शहजाद राय शोध संस्थान की दुर्लभ पांडुलिपियों की ललक खींच लाई लंदन के प्रोफेसर दंपत्ति को बड़ौत

- शहजाद राय शोध संस्थान बड़ौत की पांडुलिपिया जाएंगी लंदन विश्वविद्यालय की प्रदर्शनी में
- लंदन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर दंपत्ति दुर्लभ पांडुलिपियों चयन करने पहुंचे बड़ौत
मेरठ: लंदन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीटर फयुगल एवं प्रोफेसर इनग्रिड स्कून आज विश्वविख्यात शहजाद राय शोध संस्थान के दुर्लभ पांडुलिपियों संग्रह को देखने बड़ौत पहुंचे। संस्थान में पहुंचने पर उनका स्वागत संस्थान के संस्थापक निदेशक डॉ अमित राय जैन ने किया।
दरअसल जून 2023 में लंदन विश्वविद्यालय इंग्लैंड में तीन दिवसीय स्थानकवासी जैन परंपरा की विश्व स्तरीय दुर्लभ पांडुलिपियों का प्रदर्शन एवं सेमिनार आयोजित है। उसमें बड़ौत नगर के शहजाद राय शोध संस्थान की दुर्लभ पांडुलिपियों को लंदन लोन पर ले जाकर प्रदर्शित किया जाना तय किया गया है। उन्हीं दुर्लभ पांडुलिपियों के चयन हेतु लंदन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर पीटर अपनी सहयोगी प्रोफेसर इनग्रिड स्कून के साथ बड़ौत नगर के शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक डॉ. अमित राय जैन से मिलने पहुंचे।
इतिहासकार डॉ अमित राय जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि इंग्लैंड के लंदन विश्वविद्यालय के साथ बड़ौत नगर के शहजाद राय शोध संस्थान का पिछले कई वर्षों से दुर्लभ पांडुलिपियों को लेकर पत्र व्यवहार चल रहा था। जिसके अंतर्गत पिछले दिनों तय हुआ कि लंदन विश्व विद्यालय में तीन दिवस का एक स्थानकवासी जैन परंपरा की दुर्लभ पांडुलिपियों पर आधारित सेमिनार और पांडुलिपियों का प्रदर्शन आयोजित किया जाए। जिसमें विश्व के जाने-माने शोधार्थी अनुसंधानकर्ता एवं पांडुलिपियों के विशेषज्ञ हिस्सा लेंगे।

शहजाद राय शोध संस्थान में करीब 12000 दुर्लभ प्राचीन पांडुलिपियों मौजूद हैं, जिनके आधार पर संपूर्ण विश्व के शोधार्थी शोध अनुसंधान का कार्य कर रहे हैं। अभी पिछले दिनों पुणे के श्रुत संवर्धन संशोधन केंद्र के पांडुलिपि विशेषज्ञों ने 6 महीने बड़ौत में रहकर यहां पर संग्रहित 3000 पांडुलिपियों का डिजिटाइजेशन किया था। जिसमें करीब 5 लाख प्राचीन पांडुलिपियों के पन्नो को स्कैन करके पूना डिजिटल रूप में ले जाया गया था। वहां से विषय के विशेषज्ञों ने शहजाद राय शोध संस्थान की दुर्लभ पांडुलिपियों का व्यवस्थित सूची पत्र तैयार किया है, वह सूची पत्र भी शीघ्र ही भारत सरकार के सहयोग से प्रकाशित कर संपूर्ण विश्व में वितरित किया जाना प्रस्तावित है।
बड़ौत में पहुंचे प्रोफेसर पीटर ने कहा कि लंदन विश्वविद्यालय में भारत की करीब 1200 पांडुलिपियों संग्रहित हैं, जिनके आधार पर लगातार पिछले 100 वर्षों से शोध एवं अनुसंधान का काम चल रहा है। भारत की राजधानी दिल्ली के इतने निकट बड़ौत नगर जैसे छोटे कस्बे में विश्व स्तर की दुर्लभ पांडुलिपियों का यह अद्भुत संग्रह शहजाद राय शोध संस्थान को विश्व स्तरीय शोध संस्थान सिद्ध करता है। विश्वविद्यालय कई वर्षों तक संस्थान की दुर्लभ पांडुलिपियों पर शोध अनुसंधान एवं प्रकाशन का कार्य करेगा।
इस अवसर पर शहजाद राय शोध संस्थान प्रबंधन न्यास के ट्रस्टी सुरेश चंद जैन, अनुराग जैन, राशि जैन, डॉक्टर आंचल जैन ने लंदन से पधारे विद्वानों का स्वागत अभिनंदन शॉल ओढ़ाकर एवं साहित्य भेंट करके किया।