
- श्रुत संवर्धन समिति दिल्ली एवं श्रुत संशोधन भवन पुणे के संयुक्त प्रयासों से हो रहा है राष्ट्रव्यापी स्थानकवासी जैन पांडुलिपि संरक्षण कार्यक्रम का आयोजन
बड़ौत: शहजाद राय शोध संस्थान में संग्रहित संस्कृत, प्राकृत, देवनागरी, उर्दू, फारसी, अरबी इत्यादि भाषाओं की मुगल कालीन विशिष्ट एवं दुर्लभ पांडुलिपियों के डिजिटाइजेशन एवं सूचीकरण हेतु कार्यशाला के द्वितीय चरण का शुभारंभ जैन स्थानक में चातुर्मास हेतु विराजमान राजऋषि श्री राजेंद्र मुनि जी महाराज, श्री नरेंद्र मुनि जी महाराज, श्री जयंत मुनि जी महाराज के सानिध्य में संस्थान के निदेशक डॉ अमित राय जैन द्वारा किया गया। डिजिटाइजेशन एवं संरक्षण करने के लिए श्रुत संशोधन केंद्र, पुणे (महाराष्ट्र) के प्रशिक्षित विशेषज्ञों की टीम इस कार्य को करने के लिए बड़ौत पहुंच चुकी है।
पांडुलिपियों के डिजिटलाइजेशन के लिए उच्च स्तर के स्कैनर पुणे से मंगाई गए हैं, जिनके द्वारा दुर्लभ एवं प्राचीन पांडुलिपियों के हस्तलिखित पन्नों की स्कैनिंग पांडुलिपि विज्ञान विशेषज्ञ श्री वैराग्यरति विजय जी महाराज के द्वारा प्रशिक्षित विशाल चौरसिया एवं सूरज पाटिल के द्वारा की जा रही है।

पांडुलिपियों के संरक्षण कार्यक्रम के विषय में जानकारी देते हुए शहजाद राय शोध संस्थान एवं श्रुत संवर्धन समिति के केंद्रीय संयोजक डॉक्टर अमित राय जैन ने बताया कि पहले भी शहजाद राय शोध संस्थान में संग्रहित 2600 पांडुलिपियों का डिजिटाइजेशन एवं सूचीकरण किया गया है, इस श्रृंखला में यह द्वितीय चरण की शुरुआत आज की गई।
पांडुलिपियों के डिजिटाइजेशन के इस द्वितीय चरण के दौरान संस्थान में संग्रहित मुगल काल की अरबी फारसी की दुर्लभ पांडुलिपियों तथा जैन संस्कृति एवं धर्म से संबंधित प्राचीन पांडुलिपियों को शामिल किया गया है। इस डिजिटलाइजेशन के बाद पूरे विश्व भर में जैन साहित्य और संस्कृति पर शोध करने वाले शोधार्थियों को इन पांडुलिपियों का सूची पत्र भेज दिया जाएगा जिसके आधार पर वह पूरे विश्व में कहीं भी बैठकर बड़ौत में संग्रहित पांडुलिपियों पर आधारित शोध एवं अनुसंधान का कार्य कर पाएंगे।