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बीमारी और मौत परोस रही हैं प्रदूषित नदियां ; 55 से अधिक गांव प्रभावित हैं, गावो में मिल रहे कैंसर के मरीज

हिंडन और कृष्णा नदी किनारे बसे गांवों के लोग दहशत में जी रहे हैं

जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग केमिकल फर्टिलाइजर को बता रहे हैं जिम्मेदार

मेरठ : बागपत में हिंडन और कृष्णा नदी किनारे बसे गांवों के लोग दहशत में जी रहे हैं। बताया गया है कि इन गांवों में पहले तो कैंसर के मरीज मिले थे लेकिन कैंसर के साथ-साथ और भी कई गंभीर बीमारियों से ग्रस्त होते जा रहे हैं यहां के स्थानीय लोग कभी जीवन देने वाली ये नदियां फैक्ट्रियों के गंदे पानी की वजह से लोगों को मौत के मुंह में धकेल रही है। नदी किनारे बसे गांवों में कैंसर और अन्य बीमारियां पांव पसार चुकी हैं। जनपद के करीब 55 से अधिक गांव प्रभावित हैं। वहीं, जिला प्रशासन व स्वास्थ्य विभाग का कहना है कि जिले में कोई भी व्यक्ति प्रदूषित जल के सेवन करने से बीमार नहीं हुआ है। विभाग की मानें तो रसायनिक उर्वरकों का फसलों के पैदावार में अधिक मात्रा में प्रयोग करने की वजह से ग्रामीणों में बीमारियां फैल रही है।

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एक तरफ दावा किया जा रहा है कि कृष्णा नदी का पानी इतना प्रदूषित हो गया है कि यह बीमारियां बांट रहा है। कैंसर की बीमारी लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। लोगों को शुद्ध पेयजल का इंतजाम की बातें फाइलों में दम तोड़ रहे हैं। प्रदूषित जल से प्रभावित हरेक गांव में कोई न कोई कैंसर जैसे जानलेवा बीमारी से ग्रसित बताया जा रहा है। मरीजों को किसी प्रकार की कोई आर्थिक सहायता भी नहीं मिल पाई है। बताया गया है कि कुछ समय पहले बागपत के गांगनौली गांव में कैंसर से 58 साल के एक शख्स तेजपाल की मौत हो गई। गांववालों का कहना है कि कृष्णा नदी में बह रहे केमिकल युक्त पानी के कारण कैंसर से उनकी मौत हुई है। गांववालों के मुताबिक पिछले तीन साल में अब तक 20 से अधिक लोगों की कैंसर से जान जा चुकी है। इससे ग्रामीणों में दहशत फैली है।

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मामला एनजीटी में भी पहुंचा था। एनजीटी ने 8 अगस्त 2018 को 124 फैक्टरी बंद करने, प्रभावित इलाकों में साफ पानी की सप्लाई करने का प्लान तैयार करने के साथ ही इसपर एक्शन लेने को कहा था। लेकिन एनजीटी के आदेश के बाद भी कुछ नहीं किया गया। इसके बाद 16 मार्च 2019 को प्रशासन को जमकर फटकार लगाई। इसके साथ ही यूपी सरकार को 5 करोड़ रुपये केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में जमा करने का आदेश दिया। इसके बाद इन गांवों में पानी की जांच कराई गई। जांच में पाया गया कि हैंडपंपों से प्रदूषित पेयजल निकल रहे हैं। एनजीटी ने सभी हैंडपंपों को उखाड़ने के आदेश जारी किए थे। हैंडपंप उखड़ने के बाद ग्रामीणों के लिए शुद्ध पेयजल की व्यवस्था करने के भी आदेश दिए गए। जिसकी जिम्मेदारी जल निगम व जिला पंचायत राज विभाग को दी गई। इस मामले में एनजीटी ने जिला प्रशासन से गांवों में कैंसर जैसे बीमारियों से बचाव और शुद्ध पेयजल आपूर्ति के लिए क्या-क्या उपाय किए गए हैं, इसकी रिपोर्ट मांगी थी। सूत्रों के मुताबिक एनजीटी को सौंपी रिपोर्ट में बताया गया है कि इन गांवों में किसी भी व्यक्ति को प्रदूषित जल के सेवन करने से कैंसर नहीं हुआ है और न ही कोई बीमार हुआ है। बीमारी फैलने की वजह खेतों में अत्यधिक मात्रा में रसायनिक उर्वरक का इस्तेमाल बताया गया है।

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फैक्ट्रियां प्रदूषित कर रही हैं नदियां

355 किमी हिंडन नदी सहारनपुर के कालूवाला के पास शिवालिक की पहाड़ियों से आती है जो गौतमबुद्धनगर जनपद के तिलवाड़ा और मोमनाथल के पास समाप्त होती है। 153 किमी कृष्णा नदी सहारनपुर के दरारी गांव से से आती है, जो बागपत के बरनावा गांव में हिडन नदी में मिलकर समाप्त होती है। जनहित फाउंडेशन की डायरेक्टर अनिता राणा का कहना है कि नदी करीब 170 चीनी मिलों और पेपर फैक्ट्रियों के केमिकल युक्त पानी की वजह से प्रदूषित हो रही हैं। प्रदूषित नदी का गंदा पानी हैड़पंपों से घरों तक पहुंच रहा है, इससे ग्रामीण आए दिन किसी न किसी बीमारी से ग्रसित हो रहे हैं। प्रदूषित पानी से लोग कैंसर, पेट दर्द, चर्म रोग आदि बीमारी का शिकार हो रहे हैं। कुंभ के दौरान इन फैक्टियों पर सरकार ने लगाम लगाई थी, लेकिन अब फिर से फैक्टियां अपना प्रदूषित पानी नदी में डाल रही हैं। श्रीमती राणा के अनुसार किसानो द्वारा खेतो में जरूरत से ज्यादा डाला गया पेस्टीसाइड व फटिलाइजर भी नदियो के प्रदूषण का एक कारण है, लेकिन फैक्टियों द्वारा किये जा रहे प्रदूषण की तुलन में यह काफी कम है। क्षेत्रीय अधिकारी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी जांच रिपोर्ट में बताया कि हिंडन में रमाला शुगर मिल की ओर से गंदे पानी का बहाव कराया जा रहा है। जांच कराने के बाद शिकायत सही पाई गई। जिस पर शुगर मिल प्रबंधन पर 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। वहीं, प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के तमाम दावों के बीच लोग दहशत में जी रहे हैं। बीमारियां उन्हें अपनी गिरफ्त में ले रही है।

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जनहित फाउंडेशन के डायरेक्टर रमन त्यागी का कहना है कि सरकार भी मानती है कि फैक्टियों की वजह से ही नदियां प्रदूषित हो रही है। इसीलिए कुंभ के दौरान प्रदेश सरकार ने फैक्टियो पर अंकुश लगाया था। रमन प्रदेश के पाल्यूशन विभाग की भूमिका पर भी सवाल खङे करते हैं और इसकी जगह नदियो की स्थिति में सुधार लाने के लिए नई व्यवस्था बनाए जाने की मांग करते हैँ।

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Munish Kumar

Munish is a senior journalist with more than 18 years of experience. Freelance photo journalist with some leading newspapers, magazines, and news websites, has extensively contributing to The Times of India, Delhi Times, Wire, ANI, PTI, Nav Bharat Times & Business Byte and is now associated with Local Post as Editor

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