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मेडिकल कालेज मेरठ में चार हाथ एवम चार पांव वाले नवजात का ईलाज किया जा रहा है

मेरठ: मेडिकल कालेज के मीडिया प्रभारी डा वी डी पाण्डेय ने बताया कि एक नवजात शिशु का जन्म मुजफफरनगर में उनके घर पर 06-11-23 को दोपहर 03ः30 पर हुआ। बच्चे के पिता को बच्चा पैदा होने के बाद बताया गया कि बच्चे के 04 हाथ व 04 पैर है तब वो बच्चे को जिला अस्पताल मुजफफरनगर लेकर गये जहां से बच्चे को मेडिकल कालेज मेरठ के लिये रेफर कर दिया गया।

डा0 नवरतन गुप्ता विभागाध्यक्ष बाल रोग विभाग ने बताया कि बच्चे के पिता से की गई बात चीत से पता चला कि इस बच्चे से बड़ी तीन बहने जिनकी उम्र क्रमशः 7, 4, 1 वर्ष है एवं यह चौथा बच्चा है। सभी बच्चो का प्रसव घर पर दाई के द्वारा ही कराया गया था। जब बच्चा मेडिकल कालेज मेरठ में भर्ती किया गया तब सांस लेने में दिक्कत थी जिसका उपचार कर दिया गया तथा नलकी के माध्यम से दुध दिया जा रहा है एवं बच्चे की स्थिति स्थिर बनी हुई है। इस प्रकार की विकृति जुड़वां बच्चे की जटिलता (काम्प्लीकेशन) है। इसमें एक बच्चा तो पूरी तरह विकसित इुआ परन्तु दूसरे बच्चे का अपूर्ण विकास धड़ से निचले हिस्से का ही हो पाया एवं धड़ से उपर का हिस्सा विकसित न होकर एक में ही जुड़ गया। जबकि देखने से ऐसा प्रतीत हो रहा है कि एक बच्चे के ही चार हाथ एवं चार पैर है जब्कि दो हाथ व दो पैर दूसरे अविकसित बच्चे के है। इस प्रकार के बच्चो की जन्मजात विक्रति 50 से 60 हजार में से किसी एक बच्चे को ही होती है। यदि किसी माता-पिता का पहला व दूसरा बच्चा नार्मल हुआ है तो एसा नही है कि उनके अगले पैदा होने वाले बच्चो में जटिलता नही आयेगी। बच्चे के पिता चाहते है कि उनके बच्चे का किसी प्रकार से इलाज मेडिकल कालेज में हो तथा इस बच्चे के अतिरिक्त अंगो की सर्जरी के द्वारा हटाते हुए साधारण जीवन यापन एवं दैनिक दिनचर्या के समस्त कार्य योग्य बनाने तथा सामाजिक स्वीकृति के अनुरूप बनाया जाए।

डा0 रचना चौधरी, विभागाध्यक्ष, स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञा ने बताया कि गर्भधारण के पश्चात भारत सरकार द्वारा जननी सुरक्षा योजना के मध्यम से आम जनमानस तक यह जागृति पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा की कोई भी गर्भवति सुरु के तीन माह के बीच एक बार, चार से छ माह के बीच एक बार तथा सात से नौ माह के मध्य दो बार प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र/सामुदायिेक स्वास्थ्य केन्द्र/जिला चिकित्सालय/मेडिकल कालेज में स्त्री एवं प्रसूती रोग विशेषज्ञ से अवश्य सलाह ले एवं निःशुल्क दवाओं एवे व्यवस्थाओं का लाभ लें। प्रथम तीन माह गर्भवती महिला के लिए अत्यन्त ही महत्वपूर्ण है जिसमें कुछ दवाओं का सेवन कराया जाता है जिसके सेवन से शिशुओं के जन्मजात विक्रतियों में कमी आती है। यदि गर्भवती महिलायें चिकित्सक से सम्पर्क करेगी तो चिकित्सक अल्टासाउन्ड के मायम से गर्भ का परिक्षण समय समय पर कराते रहतें है। डा0 चौधरी ने बल देते हुए कहा कि हर गर्भवती का 18 से 20 सप्ताह की गर्भावस्था में जन्मजात विक्रतियों को देखने के लिये अल्टासाउंड विशेषज्ञ द्वारा कराया जाना अति आवश्यक है। यदि कोई जन्मजात विक्रति गर्भ में दिखती है तो एसे शिशु को न पैदा करते हुए अधिकत 24 सप्ताह के भीतर तक गर्भ समापन (MTP) किया जा सकता है।

डा0 आर0सी0 गुप्ता, प्रधानाचार्य, मेडिकल कालेज मेरठ ने बताया कि बच्चे के इलाज का मेडिकल कालेज के विशेषज्ञ चिकित्सकों की टीम (बालरोग विशेषज्ञ/पीडियाट्रीक सर्जन/प्लास्टिक सर्जन/एनेस्थिसिया) के साझा प्रयास से बच्चे को सामान्य बनाये जाने हेतु हर सम्भव प्रयास किया जायेगा।

Munish Kumar

Munish is a senior journalist with more than 18 years of experience. Freelance photo journalist with some leading newspapers, magazines, and news websites, has extensively contributing to The Times of India, Delhi Times, Wire, ANI, PTI, Nav Bharat Times & Business Byte and is now associated with Local Post as Editor

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