मेरठ: वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के तहत फार्मासिस्टों को प्रशिक्षण
मेरठ, 2 मार्च 2024: आज राष्ट्रीय वायरल हेपेटाइटिस कंट्रोल प्रोग्राम (एनवीएचसीपी) के तहत वायरल हेपेटाइटिस नियंत्रण कार्यक्रम के एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के विभिन्न शहरों जैसे मेरठ, सहारनपुर, बिजनौर, नोएडा आदि से आए फार्मासिस्टों को प्रशिक्षण दिया गया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मेडिकल कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ. आर.के. गुप्ता ने किया। उन्होंने कहा कि हेपेटाइटिस एक गंभीर बीमारी है जो लीवर को नुकसान पहुंचाती है। इस बीमारी से बचाव और उपचार के बारे में जागरूकता बढ़ाना बहुत महत्वपूर्ण है।
इसके बाद, डॉ. रितु गुप्ता, सहायक आचार्य, फार्मेसी विभाग ने हेपेटाइटिस बी वायरस के इतिहास के बारे में विस्तार से बताया। डॉ. राहुल सिंह, सहायक आचार्य, फार्मेसी विभाग ने हेपेटाइटिस सी वायरस के इतिहास के बारे में सभी फार्मासिस्टों को विस्तारपूर्वक बताया। डॉ. विवेक ऋषि, सहायक आचार्य और डॉ. रचना सेमवाल, सहायक आचार्य, मेडिसिन विभाग ने हेपेटाइटिस के उपचार के विषय में चर्चा की।
हेपेटाइटिस मॉडल ट्रिटमेंट सेंटर, मेडिकल कॉलेज, मेरठ के प्रभारी अधिकारी डॉ. अरविंद कुमार ने बताया कि देश में हेपेटाइटिस से संक्रमित मरीजों की लगातार बढ़ती हुई संख्या को देखते हुए भारत सरकार ने एनवीएचसीपी को विश्व हेपेटाइटिस दिवस 28 जुलाई के दिन 2018 में शुरू किया। इसका लक्ष्य 2030 तक भारत को हेपेटाइटिस जैसी गंभीर बीमारी से मुक्त कराना है।
कार्यक्रम में हेपेटाइटिस के लक्षण, संक्रमण कैसे फैलता है, उपचार और बचाव के उपायों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। सभी प्रशिक्षार्थियों को प्रमाणपत्र वितरित किए गए।
इस अवसर पर फार्मेसी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. एस.के. पालीवाल, डॉ. विभु साहनी, मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. आभा गुप्ता, डॉ. योगिता सिंह, डॉ. प्रदीप कुमार, डॉ. स्नेहलता वर्मा, डॉ. अमरेन्द्र चौधरी, डॉ. नीरज, डॉ. वंदना एवं मेडिसिन विभाग के जुनियर रेजिडेंट डॉक्टर, मेडिसिन/फार्मेसी विभाग के छात्र छात्राएं उपस्थित रहे।
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम एनवीएचसीपी के तहत एक महत्वपूर्ण पहल है। यह कार्यक्रम हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाने और इस बीमारी से बचाव और उपचार के लिए आवश्यक कदम उठाने में मदद करेगा।
यहां कुछ सुझाव दिए गए हैं जो हेपेटाइटिस को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं:
- हेपेटाइटिस के बारे में जागरूकता बढ़ाएं।
- हेपेटाइटिस बी और सी के टीके लगवाएं।
- असुरक्षित यौन संबंधों से बचें।
- उपयोग किए गए इंजेक्शन या सिरिंज का पुन: उपयोग न करें।
- टैटू बनवाते समय सावधानी बरतें।
- हेपेटाइटिस के लक्षणों के बारे में जानकार रहें और यदि आपको कोई लक्षण दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
हेपेटाइटिस एक गंभीर बीमारी है, लेकिन इसे नियंत्रित और रोका जा सकता है।