- 2003 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं गाजियाबाद के पहले पुलिस कमिश्नर अजय मिश्रा
- अजय मिश्रा के पिता कुबेर नाथ मिश्रा लंबे समय तक वाराणसी पुलिस में रहे थे तैनात
- केंद्रीय प्रतिनियुक्ति से लौटने के बाद गाजियाबाद कमिश्नर के रूप में किया गया प्रतिनियुक्त
गाजियाबाद: गाजियाबाद को कमिश्नरेट बने हुए तकरीबन एक हफ्ता बीत चुका है ऐसे में बतौर कमिश्नर यहां पर अजय मिश्रा ने पदभार संभाला है। लोकल पोस्ट से खास बातचीत करते हुए बताया कि उनकी क्या-क्या प्राथमिकता है। उन्होंने बताया कि गाजियाबाद को क्राइम मुक्त करना, साथ ही जाम की समस्या से निजात दिलाना उनकी प्राथमिकता रहेगी। कहना साफ है कि गाजियाबाद के नए कमिश्नर अपने दिमाग में तमाम पहलुओं को लेकर आए हैं जिनके चलते उन्हें गाजियाबाद को और भी बेहतर बनाना है और पुलिस और भी बेहतर करनी है।
पुलिस लाइन में पत्रकारों से मुखातिब हुए। अजय मिश्रा 2003 बैच के आईपीएस अफसर 7 साल आइबी में रहे, गाजियाबाद के पहले पुलिस कमिश्नर होंगे। कमिश्नर अजय मिश्रा को इंटेलिजेंस ब्यूरो और कई जिलों की कमान संभालने का अनुभव है। 48 साल के अजय मिश्रा 2015 में केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर चले गए थे। इस दौरान उन्होंने इंटेलिजेंस ब्यूरो में रहते हुए दिल्ली और श्रीनगर में अपनी सेवाएं दी। उसके बाद इसी साल सितंबर में वे अपने मूल कैडर में वापस आ गए। अजय के पिता भी पुलिस अधिकारी के पद से रिटायर हुए हैं।
पुलिस कमिश्नरेट बनने के बाद गाजियाबाद को 9 सर्कल में बांटा गया है। अभी ज्वाइंट सीपी और डीसीपी रैंक के अधिकारियों की पोस्टिंग होनी है। गाजियाबाद में 2021 की तुलना में हत्या और रोज ऐसे मामले खड़े हैं दूसरी तरफ यहां हर दिन औसतन छह से सात वाहन चोरी हो रहे हैं। स्नेचिंग की घटनाएं होती हैं। एसीपी के सामने समस्या को दूर करना बड़ी चुनौती होगी हालांकि गौतम बुध नगर कमिश्नरेट बनने के बाद में स्ट्रीट क्राइम में कमी के दावे किए जा रहे हैं। इसका बड़ा कारण फ़ोर्स की संख्या का बढ़ना बताया गया हालांकि शुरुआत में मौजूद सिस्टम और स्थान के साथ ही काम करने की चुनौती होगी। ऑफिस कहां होगा अभी यह साफ नहीं है। विक्रम त्यागी अपहरण कांड समेत कई हाईप्रोफाइल केस अनसुलझे हैं इन्हें सुलझाना भी बड़ी चुनौती से कम नहीं होगा।
यह पूछे जाने पर कि वह एनसीआर के सबसे अधिक आबादी वाले जिले में पुलिसिंग में क्या बदलाव लाना चाहते हैं? अजय मिश्रा ने कहा कि हम गाजियाबाद आयुक कार्यालय का विकेंद्रीकरण करेंगे। तीन पुलिस जिलों लोनी, हिंडन और सिटी का गठन करेंगे। प्रत्येक जिले का नेतृत्व डीसीपी-रैंक के अधिकारी करेंगे। यातायात और अपराध विभाग भी एक डीसीपी के नेतृत्व में होंगे। प्रस्तावों को डीजीपी द्वारा अनुमोदित किया जाएगा। नए पुलिस प्रमुख के लिए महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध की जांच सूची में सबसे ऊपर होगी। उन्होंने कहा कि हम अपराध सिंडिकेट के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई करेंगे। वरिष्ठ अधिकारी शिकायतों पर काम करेंगे।