Meerut

उत्तराखंड के डीजीपी ने किया आईआईएमटी विश्वविद्यालय में छात्रों से संवाद

मेरठ: अगर आपके साथ किसी भी तरह का कोई फ्रॉड होता है तो फौरन अपने बैंक और पुलिस को सूचना दें। जितनी जल्दी फ्रॉड की जानकारी पुलिस और बैंक तक पहुंच सकेगी उतनी ही जल्दी ऐसे अपराधियों के खिलाफ प्रभावी कदम उठाए जा सकेंगे। उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार ने साइबर क्राइम के बारे में आईआईएमटी विश्वविद्यालय के छात्रों को सावधान करते हुए साइबर क्राइम से बचने के लिए जरूरी और कारगर सुझाव दिये।

उत्तराखंड के डायरेक्टर जनरल ऑफ पुलिस अशोक कुमार शुक्रवार को छात्रों से संवाद करने के लिये आईआईएमटी विश्वविद्यालय पहुंचे। आईआईएमटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति योगेश मोहन गुप्ता और प्रति कुलाधिपति डॉ मयंक अग्रवाल ने पुलिस महानिदेशक का स्वागत किया। आईआईएमटी विश्वविद्यालय के सेमिनार हॉल में छात्रों को संबोधित करते हुए उत्तराखंड के पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार ने बताया कि देश में कुछ ही वक्त में साइबर अपराधों की बाढ़ आ गई है। सिर्फ एक साल में ही साइबर क्राइम पोर्टल पर दस लाख से ज्यादा शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं। मगर पूरे भारत में साल भर में इतनी एफआईआर भी दर्ज नहीं की जाती हैं। अपराधी वास्तविक अपराध करने की जगह साइबर अपराधों ज्यादा तेजी से लिप्त होते जा रहे हैं। हाल ही में जमताड़ा के बाद हरियाणा के मेवात में भी साइबर अपराधों का बड़ा रैकेट सामने आया है। ठगी करने के लिए बनाए गए 100 से ज्यादा मोबाइल एप बंद करवाए जा चुके हैं। फिर भी कई तरह की सुविधाओं वाले एप के जरिए तरह तरह की साइबर ठगी की जा रही है। अपराधी हाइटेक होते जा रहे हैं, इसलिए आम लोगों को भी साइबर सुरक्षा उपायों का जानकार होने की आवश्यकता है। किसी भी साइबर क्राइम की जानकारी 1930 नंबर दर्ज कराई जा सकती है। पुलिस ऐसी सूचना मिलते ही फौरन एक्शन ले रही है। डीजीपी अशोक कुमार ने स्वयं लिखित किताब साइबर क्राइम के बारे में जानकारी देते हुए कहा की इस किताब में साइबर अपराधों के अनेक मामलों को लिया गया है ताकि लोग साइबर अपराधों के प्रति सचेत रह कर खुद को सुरक्षित रख सकें।

चुनाव में प्रत्याशियों की छवि भी धूमिल कर सकते हैं साइबर अपराधी
डीजीपी अशोक कुमार ने कहा, 5 जी के शुरु होने के बाद साइबर अपराधों में भी और तेजी आने की आशंका है। चुनावों में किसी की छवि धूमिल करने के लिए भी इस तरह के अपराध किए जाने की आशंका है। आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस के जरिए नए-नए तरह के अपराध किए जा रहे हैं। वॉयस क्लोनिंग से लेकर फोन क्लोनिंग तक की कई तरह की तकनीक बाजार में हैं। सोशल मीडिया एप्लिकेशन्स को डाउनलोड करते वक्त और एप की सभी शर्तों को एक्सेप्ट करते वक्त सावधान रहने की आवश्यकता है।

आईआईएमटी विश्वविद्यालय के छात्रों द्वारा किये गये सवालों के जवाब में डीजीपी उत्तराखंड ने बताया वास्तविक अपराधों को सुलझाना पुलिस के लिए आसान होता है। 88 से 90 फीसदी तक अपराधों को सुलझा लिया जाता है। मगर साइबर क्राइम में अक्सर अपराधी दूसरे किसी देश से अपराध को ऑपरेट कर रहा होता है। ऐसे में पुलिस के लिए डिजिटल फुट प्रिंट तलाशना आसान नहीं होता और ऐसे मामलों को सुलझाने की सफलता का प्रतिशत भी इतना अच्छा नहीं होता।

आईआईएमटी विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ योगेश मोहन गुप्ता और प्रति कुलाधिपति डॉ मयंक अग्रवाल ने पुलिस महानिदेशक अशोक कुमार को प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया। स्कूल ऑफ कॉमर्स मैनेजमेंट के डीन डॉ सतीश कुमार सिंह ने डायरेक्टर जरनल ऑफ पुलिस का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम में आईआईएमटी के सभी विभागों के छात्रों ने हिस्सा लिया।

महानायक अमिताभ बच्चन ने लिखी है पुस्तक साइबर क्राइम की प्रस्तावना
उत्तराखंड के डीजीपी अशोक कुमार आईपीएस बनने से पहले दिल्ली आईआईटी से बीटेक और एमटेक कर चुके हैं और साइबर क्राइम किताब के जरिए अपनी लेखन क्षमता का भी लोहा मनवा चुके हैं। साइबर अपराधों को लेकर उनकी पुस्तक की लोकप्रियता का अंदेशा इसी बात से लगाया जा सकता है कि साइबर क्राइम की प्रस्तावना खुद सिनेमा के महानायक अमिताभ बच्चन ने लिखी है। अपराध जगत के खिलाफ अपने लंबे चौड़े करियर में अपने अनुभवों को छात्रों के साथ साझा करते हुए डीजीपी ने छात्रों को सतर्क रहने की सलाह दी।

Munish Kumar

Munish is a senior journalist with more than 18 years of experience. Freelance photo journalist with some leading newspapers, magazines, and news websites, has extensively contributing to The Times of India, Delhi Times, Wire, ANI, PTI, Nav Bharat Times & Business Byte and is now associated with Local Post as Editor

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