बड़ोत के शहजाद राय शोध संस्थान में संग्रहित हैं हजारों हस्तलिखित बहुमूल्य पाण्डुलिपियां.. पुणे के विशेषज्ञों की टीम ने किया 2 महीनों में कार्य पूर्ण!
बड़ोत स्थित शहजाद राय शोध संस्थान में स्थापित पाण्डुलिपि संरक्षण केन्द्र में संस्थान के निदेशक डॉ अमित राय जैन के निर्देशन में पुणे श्रुतभवन ट्रस्ट के विशेषज्ञ कार्यकर्ताओं की टीम द्वारा भारतीय संस्कृति की धरोहर कही जाने वाली पुरालिपियों में निबद्ध प्राचीन भारतीय साहित्य को संरक्षित करने एवं पाण्डुलिपियों को सुरक्षित करने का कार्य पिछले 2 महीनों से किया जा रहा था, जो आज बसंत पंचमी के अवसर पर पूर्ण हुआ। संस्थान में हजारों बहुमूल्य पाण्डुलिपियां हैं, जिनमें से अधिकतर अप्रकाशित हैं। इन सबका संरक्षण इस केन्द्र द्वारा किया जा रहा है। पुणे से विशेष रूप से पांडुलिपियों के सूचीकरण और संरक्षण का प्रशिक्षण प्राप्त विशेषज्ञ कार्यकर्ता विशाल सूर्यवंशी एवं निखिल पाटिल के द्वारा कार्य किया गया है!
इसके साथ ही उत्तर भारत के आसपास स्थानक, व्यक्तिगत पुस्तकालयों एवं घरों में संपर्क करके जहां-जहां भी पाण्डुलिपियां सुरक्षित हैं, वहां पहुंचकर उन पाण्डुलिपियों को आवश्यकतानुसार संरक्षित करने का प्रयास किया जा रहा है!
बसंत पंचमी के शुभ अवसर पर श्रुतदेवी सरस्वती के पूजन उपरांत की गई कार्य की पूर्णाहुति!
इस प्रकार की जाती है पांडुलिपियां सुरक्षित !
शहजाद राय शोध संस्थान एवं शुद्ध भवन पुणे के संयुक्त विशेषज्ञ कार्यकर्ता पाण्डुलिपियों के संरक्षण का काम कर रहे हैं। इनमें मुख्य रूप से प्रत्येक पाण्डुलिपि के पन्नों में नमी होने पर उन्हें प्राकृतिक तरीके से अथवा आवश्यक केमीकल से दूर किया जाता है और यदि यदि पन्ने फट गए हों अथवा कीड़े लग गए हों तो उनमें आवश्यकतानुसार हस्त निर्मित कागज को जोडकऱ सम आकार का किया जाता है। साथ ही केन्द्र में प्राप्त की गई प्रत्येक पाण्डुलिपि का विस्तृत रिकार्ड रखा जाता है। इन संरक्षित की गई सभी पांडुलिपियों को अंत में विशेष गत्ते को लगाकर उसे लाल रंग के सूती कपड़े में बांधा जाता है, जिससे पुन: उसमें नमी एवं कीड़े आदि ना लगे। ये सभी कार्य शहजाद राय शोध संस्थान के पाण्डुलिपि संरक्षण केन्द्र के अंतर्गत संस्थान के निदेशक डॉ अमित राय जैन के निर्देशन में किए जा रहे हैं।
पुणे के श्रुतभवन ट्रस्ट से हुआ है संस्थान का करार, करेंगे स्थानकवासी जैन समाज के पांडुलिपि भंडारों का सूचीकरण!
इस पांडुलिपि संरक्षण केन्द्र की स्थापना पुणे के श्रुतभवन ट्रस्ट एवं शहजाद राय शोध संस्थान के आपसी सहमति पत्र पर हस्ताक्षर करके की गई है! शहजाद राय शोध संस्थान के प्रयासों से देश में स्थानकवासी समाज के अंतर्गत पाण्डुलिपियों के संरक्षण, संवर्धन एवं रखरखाव के साथ उनके सूचीकरण का कार्य पिछले 2 महीनों से कराया जा रहा है। लेकिन अब तक केवल 30 प्रतिशत पाण्डुलिपियों का ही संरक्षण संभव हो पाया है। संरक्षण एवं सूचीकरण की श्रृंखला को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से इस केन्द्र की स्थापना की गई है।
The writer is an independent scholar and founder of Shahjad Rai Research Institute, Baraut, Bagpat (UP).