Ghaziabad

राजनगर एक्सटेंशन में जलभराव और टूटी सड़कें बनीं मुसीबत, सोशल मीडिया पर फूटा ग़ुस्सा – विकास के दावों पर उठे सवाल

राजनगर एक्सटेंशन, गाज़ियाबाद।
तेज़ बारिश तो हुई नहीं, फिर भी सड़कों पर पानी भरा पड़ा है। गलियों में जलभराव है, टूटी-फूटी सड़कें किसी दुर्घटना को दावत दे रही हैं, और गलियों में बदबू फैल रही है। यह नज़ारा किसी गांव या पिछड़े इलाके का नहीं, बल्कि गाज़ियाबाद के आधुनिक आवासीय क्षेत्र राजनगर एक्सटेंशन का है – जिसे कभी “विकास की नई पहचान” बताया गया था।

इन दिनों यहां के निवासी अपने गुस्से और असंतोष को सोशल मीडिया पर खुलकर ज़ाहिर कर रहे हैं। फोटो और वीडियो वायरल हो रहे हैं, जिनमें दिखता है कि कैसे हल्की बारिश भी क्षेत्र को अस्त-व्यस्त कर देती है।

वार्ड नंबर 50 की स्थिति खासतौर पर चिंता का विषय बनी हुई है। सड़कों पर भरे पानी को लेकर सोशल मीडिया पर कई मीम्स, पोस्ट्स और टिप्पणियां सामने आई हैं, जो प्रशासन की ज़मीन पर मौजूदगी पर सवाल उठाती हैं।

स्थानीय निवासी राज वर्मा, जो पिछले कई सालों से राजनगर एक्सटेंशन में रह रहे हैं, ने अपनी नाराज़गी कुछ तीखे शब्दों में व्यक्त की:

“यह स्थिति तब है जब बारिश बहुत कम हुई है। सोचिए अगर कभी भारी बारिश हो जाए तो क्या होगा? यहां के लोग कहते हैं कि पार्क और स्विमिंग पूल नहीं हैं – लेकिन अब देखिए, सड़कों पर भरा पानी खुद ही प्राकृतिक स्विमिंग पूल बन गया है। चारों तरफ गंदगी, टूटे फुटपाथ, जलभराव और कोई सुनने वाला नहीं। करोड़ों की वसूली होने के बावजूद सुविधाओं की हालत बेहद चिंताजनक है। ऐसा लगता है जैसे कोई विभाग यहां काम करना ही नहीं चाहता।”

तेज़ी से बढ़ता कंक्रीट का जंगल, पर बुनियादी ढांचे की अनदेखी

राजनगर एक्सटेंशन कभी एक सुनियोजित रिहायशी हब बनने का सपना था, पर बढ़ती आबादी और बेतरतीब विकास के चलते अब वह सपना संघर्ष बनता जा रहा है। हर दिन नए प्रोजेक्ट्स, नई सोसाइटियां बन रही हैं – लेकिन नालियों की सफाई, कचरा प्रबंधन, जल निकासी जैसी बुनियादी सुविधाएं बुरी तरह चरमराई हुई हैं।

विशेषज्ञों के अनुसार, महानगरों में जब जनसंख्या बढ़ती है और शहरीकरण तेज़ होता है, तो प्रशासनिक मशीनरी को सिर्फ इमारतों पर नहीं, ज़मीन से जुड़े मूलभूत ढांचे पर भी ध्यान देना चाहिए।

निवासियों की भी है ज़िम्मेदारी

जहां एक ओर प्रशासन की निष्क्रियता पर सवाल उठ रहे हैं, वहीं नागरिक जिम्मेदारी की भी चर्चा होनी चाहिए। कई बार नालियों में कचरा फेंकना, प्लास्टिक जाम करना और सोसाइटी के कचरे को सड़कों पर डालना – यह सब जलभराव की समस्या को बढ़ावा देते हैं।

समझदारी और सक्रियता दोनों ज़रूरी हैं। रहवासियों को मिलकर RWAs के माध्यम से स्वच्छता और जागरूकता अभियानों को बढ़ावा देना चाहिए, ताकि एक सकारात्मक बदलाव की शुरुआत हो सके।

सोशल मीडिया बनी आवाज़

इस बार सोशल मीडिया ने लोगों की पीड़ा को एकजुट कर दिया है। इंस्टाग्राम, ट्विटर और व्हाट्सएप ग्रुप्स पर लगातार शिकायतें, फ़ोटो और वीडियो शेयर किए जा रहे हैं। अब उम्मीद की जा रही है कि प्रशासन इन मुद्दों पर ध्यान देगा और ज़मीनी स्तर पर बदलाव लाएगा।

राजनगर एक्सटेंशन की कहानी आज किसी एक मोहल्ले की नहीं, बल्कि हर उस नए शहर की है जो विकास की दौड़ में बुनियादी ज़रूरतों को पीछे छोड़ता जा रहा है। यह वक्त है जागने का – न सिर्फ़ शासन के लिए, बल्कि जनता के लिए भी। क्योंकि एक शहर तभी बेहतर बनता है जब सरकार और नागरिक मिलकर उसकी ज़िम्मेदारी उठाएं।

Umesh Kumar

Umesh is a senior journalist with more than 15 years of experience. Freelance photo journalist with some leading newspapers, magazines, and news websites and is now associated with Local Post as Consulting Editor

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