विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले बिजली कर्मचारियों ने कार्य बहिष्कार करते हुए धरना दिया
गाजियाबाद: विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले बिजली कर्मचारियों अवर अभियंताओं वह अभियंताओं ने अपनी मांगों को लेकर राजनगर मुख्य मुख्यालय पर कार्य बहिष्कार करते हुए धरना दिया।
ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन के स्वेच्छाचारी रवैये व दमनात्मक कार्यप्रणाली के विरोध में एवं बिजली कर्मियों की वर्षों से लम्बित न्यायोचित समस्याओं के समाधान हेतु सभी ऊर्जा निगमों के तमाम बिजलीकर्मियों ने आज अनिश्चितकालीन कार्यबहिष्कार प्रारंभ कर दिया। बिजलीकर्मियों ने राजनगर मुख्य अभियंता कार्यालय के बाहर पूरे दिन विरोध सभा हुई। संघर्ष समिति ने ऊर्जा निगमों में टकराव के लिए शीर्ष प्रबंधन की नकारात्मक व हठधर्मी कार्यप्रणाली को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही चेयरमैन पर सरकार को गुमराह करने का आरोप लगाते हुए ऊर्जा मंत्री से प्रभावी हस्तक्षेप करने की अपील की।
विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, ग़ाज़ियाबाद के पदाधिकारियों आलोक त्रिपाठी, अरशद अली, नेत्रपाल, आरपी सिंह, केके सोलंकी, धर्मेंद्र मौर्या, योगेंद्र लाखा, अरविंद सूर्या, राज सिंह, धीरज त्यागी, विजय शर्मा, सतवीर सिंह, महेश समानिया, शिवम त्यागी आदि ने आज जारी बयान में बताया कि आम जनता को तकलीफ न हो अतः कार्य बहिष्कार के प्रथम चरण में उत्पादन गृहों, पारेषण विद्युत उपकेन्द्रों, सिस्टम ऑपरेशन, और 33 केवी विद्युत उपकेंद्रों में पाली में कार्यरत बिजली कर्मियों को कार्य बहिष्कार आंदोलन से अवमुक्त रखा गया है।उन्होंने बताया कि ऊर्जा निगमों के शीर्ष प्रबन्धन की हठधर्मिता और बिजलीकर्मियों की समस्याओं के प्रति उपेक्षात्मक रवैये के कारण आज पूरे प्रदेश के बिजलीकर्मी संघर्ष के रास्ते पर है, यदि ऊर्जा निगम का शीर्ष प्रबंधन द्वारा सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाते हुए द्विपक्षीय वार्ता से समस्याओं का समाधान निकालने वाली कार्यप्रणाली अपनाई गई होती तो ऊर्जा निगमों में यह टकराव उत्पन्न न होता और न ही ऊर्जा की परफॉर्मेंस व रेटिंग गिरती।
ऐसा प्रतीत होता है कि शीर्ष प्रबंधन द्वारा सरकार को वास्तविक तथ्यों के विपरीत गुमराह किया जा रहा है जिस कारण टकराव का वातावरण बना है। बिजलीकर्मियों ने स्पष्ट किया कि उनका आंदोलन शांतिपूर्ण और पूर्ण रूप से लोकतांत्रिक है और मात्र ध्यानाकर्षण के लिए है, इस आंदोलन के लिए जनता को हो रही परेशानी के लिए ऊर्जा निगम का शीर्ष प्रबंधन जिम्मेदार है, जो जनता के बीच सरकार व बिजली कर्मियों की छवि खराब कर रहे है।
पदाधिकारियों ने आगे बताया कि कल 30 नवंबर को भी कार्य बहिष्कार और विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा।बिजलीकर्मियों ने यह भी चेताया कि यदि शांतिपूर्ण आंदोलन पर या किसी भी बिजलीकर्मी पर कोई दमनात्मक या उत्पीड़न की कार्यवाही करने की कोशिश भी की गई तो इसकी तीखी प्रतिक्रिया होगी एवं प्रदेश भर के लगभग 25000 अभियंता, अवर अभियंता, कर्मचारी एवं संविदाकर्मी बिना किसी अन्य नोटिस के तत्काल हड़ताल पर चले जायेंगे जिसकी पूरी जिम्मेदारी हठधर्मी/तानाशाह प्रबंधन की होगी।