धनतेरस का शुभ दिन है आज ,जाने शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

हिंदू पंचांग के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है। इस साल यह पर्व आज यानि 22 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। वहीं कुछ लोग कल 23 अक्टूबर को भी धनतेरस की पूजा करेंगे। हालांकि ज्योतिषों के अनुसार धनतेरस की पूजा के लिए 22 अक्टूबर यानी आज का दिन बेहद शुभ है।
हिंदू धर्म में धनतेरस का विशेष महत्व है और इस दिन धन के देवता भगवान कुबेर का पूजन किया जाता है ।धनतेरस, नरक चतुर्दशी और दीपावली की पूजा हमेशा शाम के वक्त ही की जाती है। यह पूजा यदि शुभ मुहूर्त में की जाए तो और अधिक फलदायी और लाभकारी होती है। आज यानि 22 अक्टूबर को धनतेरस की पूजा के लिए शुभ समय शाम 7 बजकर 1 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 17 मिनट तक रहेगा। आज प्रदोष काल शाम 5 बजकर 45 मिनट से लेकर रात 8 बजकर 17 मिनट तक है।
धनतेरस शुभ मुहूर्त 2022:
धनतेरस पूजा 22 अक्टूबर को है। द्रिक पंचांग के अनुसार पूजा का मुहूर्त शाम 07:01 बजे से रात 08:17 बजे तक है। त्रयोदशी तिथि 22 अक्टूबर को शाम 06:02 बजे शुरू होती है और 23 अक्टूबर 2022 को शाम 06:03 बजे समाप्त होती है।
इस बीच, यम दीपम 22 अक्टूबर (शनिवार) को मनाया जाएगा। प्रदोष काल शाम 05:45 बजे से शुरू होकर 08:17 बजे समाप्त होगा। वृषभ काल 07:01 बजे से शुरू होता है और 08:56 बजे समाप्त होता है।
अज्ञात के लिए, यम दीपम मृत्यु के देवता – यमराज के लिए मनाया जाता है। भक्तों का मानना है कि त्रयोदशी तिथि पर अपने घरों के बाहर एक छोटा दीपक जलाना चाहिए ताकि किसी भी परिवार की असामयिक मृत्यु को दूर किया जा सके।
धनतेरस की पूजा प्रदोष काल में की जाती है और इसके लिए शाम के समय शुभ मुहूर्त देखकर सबसे पहले चौकी धोकर बिछाकर उस पर लाल रंग का कपड़ा बिछाएं। इसके बाद भगवान धनवंतरि, भगवान कुबेर और मां लक्ष्मी की मूर्ति स्थापित करें और इन्हें गंगाजल छिड़क कर स्वच्छ करें। इसके बाद सभी भगवान का तिलक करें और उनके समक्ष घी का दीपक जलाएं और धूपबत्ती करें फिर पुष्प व फल अर्पित करें। धनतेरस के दिन आपने जो भी नया सामान खरीदा है उसे भगवान की मूर्ति के सामने रख दें फिर कुबेर स्रोत, लक्ष्मी स्रोत और लक्ष्मी चालीसा का पाठ करें।
धनतेरस का इतिहास और कहानी
हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि आयुर्वेद के स्वामी धन्वंतरि इस दिन समुद्र मंथन के दौरान प्रकट हुए थे। समुद्र मंथन सभी देवी-देवताओं द्वारा समुद्र और समुद्र का मंथन करने के लिए किया गया था। यह वह समय था जब धन्वंतरि एक हाथ में आयुर्वेद का पवित्र पाठ और दूसरे में अमृत से भरा बर्तन लेकर प्रकट हुए थे। उन्हें देवी-देवताओं का चिकित्सक भी कहा जाता है।
महत्व:
धनतेरस पूजा को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है क्योंकि इस दिन आयुर्वेद के भगवान प्रकट हुए थे। इस दिन लोग अपने घरों को साफ करते हैं और इसे रंगोली, रोशनी, लालटेन, दीयों और रंगों से सजाते हैं। वे नए कपड़े भी पहनते हैं और शाम को धन्वंतरि की पूजा करते हैं। धनतेरस के दिन लोग अपने घरों में सुख-समृद्धि लाने के लिए सोना-चांदी खरीदते हैं।
