राजनगर रेजीडेंसी: गीले कचरे से खाद बनाकर स्वच्छता और पर्यावरण संरक्षण की मिसाल
गाजियाबाद : राजनगर एक्सटेंशन की सोसाइटी राजनगर रेसीडेंसी के रेजिडेंट्स ने कचरे के निस्तारण की समस्या का समाधान ढूंढ लिया है। अब वे सोसाइटी के अंदर ही गीले कचरे से खाद बना रहे हैं।
इस पहल के तहत, आईपीसीए (IPCA) नामक एक सामाजिक संस्था सोसाइटी से हर 15 दिन में एक बार प्लास्टिक और सूखे कचरे को इकट्ठा करती है। संस्था इस कचरे का रीसाइक्लिंग करती है और कुछ निश्चित मात्रा में प्लास्टिक का लक्ष्य प्राप्त होने पर सोसाइटी को इस रिसाइकिल्ड प्लास्टिक से निर्मित वस्तुवें भेंट करती है।
इसके अलावा, संस्था ने सोसाइटी में चार कंपोस्टर भी मुफ्त लगवा दिए हैं। इन कंपोस्टर में गीले कचरे को 45 दिनों में खाद में बदल दिया जाता है। संस्था ने सब्जी, फल, चायपत्ती आदि गीले कचरे से कम्पोस्ट खाद बनाने की भी पहल की हैं । इन कंपोस्टर में 45 दिन के बाद खाद बनकर उपयोग के लिए तैयार हो जाती हैं। अन्य सोसाइटी वासियों ने जहां यह विशेष तकनीकी के कंपोस्टर पहले से लगे हैं उन्होंने बताया कि इन कंपोस्टर से कोई दुर्गंध आदि भी नहीं आती हैं। इस प्रकार हमारे प्लास्टिक एवं गीले कचरे के लिए एक समाधान आ गया हैं। कुछ हद्द तक अब सोसाइटी के अंदर ही कचरे का निस्तारण शुरू हो गया है।
सोसाइटी के रेजिडेंट एम के अग्रवाल ने कहा, “यह पहल पर्यावरण संरक्षण में हमारे योगदान का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इससे न केवल कचरे का निस्तारण होता है, बल्कि खाद के रूप में हमें एक उपयोगी उत्पाद भी मिलता है।”
उन्होंने कहा, “यह पहल अन्य सोसाइटी के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।”
सोसाइटी के अन्य रेजिडेंट्स ने भी इस पहल की सराहना की है। उनका कहना है कि इससे सोसाइटी में स्वच्छता बढ़ेगी और पर्यावरण भी स्वच्छ रहेगा।
यह पहल निश्चित रूप से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह अन्य सोसाइटी के लिए भी प्रेरणा का स्रोत बन सकती है।
इस पहल के कुछ लाभ:
- कचरे का निस्तारण
- खाद का उत्पादन
- स्वच्छता में वृद्धि
- पर्यावरण संरक्षण
इस पहल को सफल बनाने के लिए सभी लोगों का सहयोग आवश्यक है।