रावण के दरबार में दूत के रुप में पहुॅचें अंगद, लक्ष्मण हुए मूर्छित
गाजियाबाद: श्री रामलीला समिति, राजनगर में चल रही रामलीला में विभीषण का अपने भाई रावण द्वारा अपमानित होने के बाद श्री राम की शरण में चले जाते हैं। हनुमान जी के द्वारा माता सीता की खबर प्राप्त होने के पश्चात् अंगद को दूत बना कर रावण के दरबार में लंका भेजने , लक्ष्मण के मूर्छित हो जाने के बाद हनुमान जी द्वारा जड़ी बूटी की तलाश में जाना और पर्वत को उठा कर ले आना तथा कुंभ करण के वध आदि प्रसंगों की प्रस्तुति की गई।
मंचन के दौरान विभीषण की शरणागति के पश्चात श्री राम ने उन्हें लंका का राजा बना दिया। दूसरी ओर सीता माता की जानकारी मिलने पर राम के शिविर में इस बात पर मंथन चल रहा हैं कि समुद्र को कैसे पार किया जाए। तभी नल और नील दो भाइयों को बुलाकर समुद्र पर पुल बनाने की योजना बनाई जाती हैं। श्री राम के द्वारा भगवान शिव की आराधना के बाद काम शुरु किया जाता हैं और सफलता भी मिलती हैं। यह स्थान आज रामेश्वरम् के रुप में जाना जाता हैं। वही पुल रामसेतु के रुप में जाना जाता हैं। श्री राम के द्वारा अंगद को दूत बनाकर रावण के दरबार में भेजा जाता हैं। जहां वह रावण के समक्ष संदेश प्रस्तुत करते हैं, लेकिन वह रावण को समझाने में असफल रहता हैं। सारे दरबारी तथा रावण पुत्र इन्द्रजीत भी अंगद के पांव को हिलाने में असमर्थ रहता हैं। तब रावण कहता हैं कि उसे अपना परिणाम पता हैं लेकिन वह युद्ध अवश्य करेगा।
श्री राम और रावण की सेना के बीच युद्ध के दौरान रावण का पुत्र इन्द्रजीत उर्फ मेघनाथ लक्ष्मण को शक्ति मार कर मूर्छित कर देता हैं। तब राम अपने भाई के लिए विलाप कर रहे हैं कि भाई के बिना कैसे अयोध्या लौट पाएगें। उनके प्राण बचाने के लिए लंका के वैद्य को हनुमान जी उठा कर राम के शिविर में ले आते हैं। वह बताते हैं कि लक्ष्मण को जो शक्ति मारी गई है उसका इलाज केवल संजीवनी बूटी से ही सम्भव है। इस समय उनके पास यह बूटी नहीं है। यह बूटी केवल द्रोण पर्वत पर ही मिलेगी जिसे सुबह से पहले लाना होगा। वैद्य की सलाह पर हनुमान जी श्री राम से आज्ञा लेकर हिमालय पर्वत पर जाते हैं। सुबह होने से पहले पर्वत सहित संजीवनी बूटी को लेकर आते हैं। जिससे राम के शिविर में खुशी का माहौल हैं। दूसरी ओर रावण अपने भाई कुम्भकरण को नींद से जगाता हैं और उसे राम तथा सीता का सारा वृतांत सुनाता हैं। जिसे सुनकर कुम्भकरण भी रावण को उसकी गलती बताता हैं। फिर भी भाई के कहने पर वह राम लक्ष्मण से युद्ध करने जाता हैं और मारा जाता हैं।
इस मौके पर समिति की ओर से राज्य मंत्री नरेंद्र कश्यप, आईएएस अधिकारी संतोष यादव, डॉ. आर के पोद्दार, सौरभ जायसवाल आदि अतिथियों का सम्मान किया गया।
इस मौके पर समिति के संरक्षक और संस्थापक सदस्य जितेन्द्र यादव, अध्यक्ष जयकुमार गुप्ता, महामंत्री आर एन पाण्डेय, कोषाध्यक्ष राजीव मोहन गुप्ता, संगठन मंत्री विनीत शर्मा, सुभाष शर्मा, दीपक मित्तल सीए, के.पी .गुप्ता, बृजमोहन सिंघल, अमरीश त्यागी, जी.पी. अग्रवाल, आर.के.शर्मा, मंत्री मुकेश मित्तल, विनोद गोयल, राजीव गुप्ता, प्रचार मंत्री रेखा अग्रवाल, सौरभ गर्ग, मनीष वशिष्ठ, मोतीलाल गर्ग, आरडब्ल्यूए अध्यक्ष दीपक कांत गुप्ता, श्रीमती उषा गुप्ता, महावीर बंसल, मदन लाल हरित, दीपक सिंघल, गोल्डी सहगल, सुन्दर लाल यादव, आलोक मित्तल, जयकमल अग्रवाल, बी.के.अग्रवाल, ओमप्रकाश भोला, अमरपाल तेवतिया, विजय लुम्बा, राजीव गुप्ता, श्रीचंद चौहान, नवीन शर्मा, नवीन झा, अनिल बैंसला, जय सिंह सहित राजनगर के कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे।