हिंदी साहित्य अकादमी के तत्वावधान में महाराजा अग्रसेन भवन में आयोजित किया गया अखिल भारतीय कवि सम्मेलन
गाज़ियाबाद: हिन्दी साहित्य अकादमी के तत्वावधान में आयोजित किया गया अखिल भारतीय कवि सम्मेलन ।जहां एक ओर मंचों के सुप्रसिद्ध कवियों ने काव्य पाठ किया वहीं देशभर से चुनिंदा 11 नवोदित कवियों को बेचैन नवरत्न काव्य चेतना सम्मान से अलंकृत किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध कवि डॉ हरिओम पंवार ने की उन्होंने कहा की जो वट वृक्ष नई कोपलों का स्वागत नही करते वो ठूंठ हो जाते हैं। उन्होंने देर तक बैठकर सभी नवोदित कवियों की कविताएं सुनी।
शाम के समय दूसरे सत्र की अध्यक्षता स्टार पोएट्स डॉ अनामिका जैन अम्बर ने की। उन्होंने है रस में कविताएं सुनाकर लगभग पौने दो घंटे की प्रस्तुति में सबको स्तब्ध कर दिया। उन्होंने कहा “बिखरकर शौर्य की ख़ुशबू चमन को चूम लेती है / जवाँ हसरत तिरंगे की गगन को चूम लेती है / सिपाही जब निकलता है वतन पर जान देने को / वतन की धूल उड़ उड़ कर बदन को चूम लेती है।”
संचालन कर रहे अकादमी के राष्ट्रीय अध्यक्ष कवि सौरभ जैन सुमन ने कहा “ज्ञानवापी से, कुतुब से ताज से, भावभीनी वो विदाई चाहता है/जानता है सत्य शायद इसलिए, अब खुदा भी बस खुदाई चाहता है”
उन्होंने कहा की अब हिंदू मुस्लिम को लड़ना नहीं चाहिए आगे बढ़कर दोनो को परस्पर स्नेह के लिए काम करना चाहिए। “हिंदू धर्म है जितना प्यारा उतना ही इस्लाम है/जितनी पावन रामायण है उतनी पाक कुरान है/हिंदी उर्दू भाषा दोनो बहने हैं एक दूजे की/हिंदू से न मुस्लिम से दोनो से हिन्दुस्तान है”
संयोजक कवि अनुभव शुक्ला ने कहा “गांडीव धारी अर्जुन जब जब रण में हताश हो जाते हैं/माधव अर्जुन की खातिर तब गीता का ज्ञान सुनाते हैं
लखनऊ से आए कवि कमल आग्नेय के पढ़ा “भारती की आरती उतारने के लिए आज
विश्व की समस्त प्रभुताई रुक जाती है
भारत का जयगान होने लगता है वहीं
जहाँ भी हमारी तरुणाई रुक जाती है
भारत के भाल की भृकुटि तनती है तब
पूरी दुनिया की अंगड़ाई रुक जाती है
अपना तिरंगा आसमान में लहरता तो
बड़े-बड़े देशों की लड़ाई रुक जाती है
गाजियाबाद की कवयित्री एवं संगठन की राष्ट्रीय मंत्री शिखा दीप्ती ने कहा मेरी आंखों के दंडक वन में तुम वनवास तो काटो
मुझे है राम की सौगंध सीता बनके निकलूंगी”
मैनपुरी से आए ओजस्वी कवि मनोज चौहान ने बोला “वर्ष प्रतिपदा ना होती ये ज्येष्ठ आषाढ़ नहीं होता।
फागुन के रंग बदल जाते दीपों से लाड़ नहीं होता।।
भारत की ये स्वर्णिम आभा काबा की रंगत ढल जाती,
यदि भामाशाह नहीं होते तो फिर मेवाड़ नहीं होता।।”
प्रसिद्ध गीतकार मोहन मुंतजिर ने कहा “प्यार करो धरती से और आजाद भगत सुखदेव बनो
लैलाओ के चक्कर में मजनू बनने से क्या होगा”
कार्यक्रम के संरक्षक अजय जैन ने सभी कवियों का स्वागत सम्मान किया, उन्होंने कहा की ये गौरव के क्षण हैं जब गाजियाबाद की जमीन पर 11 नवोदित कवियों को सम्मान दिया जा रहा है।
मुख्य अतिथि विधायक दिनेश गोयल देर रात तक कवि सम्मेलन में कवियों को सुनते रहे। उन्होंने कहा की माननीय मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में आज प्रदेश में कोई भी दंगा नही होता, न ही कोई अराजकता का माहौल है। कवियों को अपनी कविताओं में रामराज्य की चर्चा करनी चाहिए।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि विभु बंसल,स्वागताध्यक्ष रामअवतार जिन्दल,दीप प्रज्वलनकर्ता अतुल गुप्ता,विशिष्ट अतिथि के रूप में विधायक दिनेश गोयल,अनिल गर्ग,राकेश छारिया,विकास बंसल,आलोक जैन,तरुण गर्ग,पूर्व विधायक कृष्ण वीर सिरोही आदि उपस्थित थे।