Ghaziabad

महफ़िल ए बारादरी में सिर चढ़ कर बोला पंकज शर्मा, गुलशन, ‘गौहर’, नेहा, ‘उर्वी’ और खुशबू के गीत-ग़ज़ल का जादू

  • तुम्हारे शहर में उल्फत की क्या खपत होगी, तुम्हारे शहर में मैं कारोबार करना चाहता हूं : भरत दीप माथुर
  • अकादमी ला रही है कविता आपके द्वार : ऋषि कुमार शर्मा

गाजियाबाद:मनुष्यता के लोप के इस दौर में वैचारिक संकट से निपटने के लिए महफिल ए बारादरी जैसे आए आयोजन संजीवनी का काम कर रहे हैं। महफिल ए बारादरी के कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कार्यक्रम अध्यक्ष व सुप्रसिद्ध शायर भारत दीप माथुर ने उक्त उद्गार व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि वैचारिक विविधता के क्षेत्र में बारादरी बेमिसाल कम कर रही है। आगरा से आए श्री माथुर ने अपने अशआर पर जमकर दाद बटोरी। उन्होंने फरमाया ‘तुम्हारे शहर में उल्फत की क्या खपत होगी, तुम्हारे शहर में मैं कारोबार करना चाहता हूं।’ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि एवं हिंदी अकादमी के उप सचिव ऋषि कुमार शर्मा ने कहा कि वैश्वीकरण के इस दौर में हमें भाषा के संरक्षण का बीड़ा उठाना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि अकादमिक स्तर पर उन्हें यह अवसर मिला है कि आज अकादमी आपके दरवाजे तक आ रही है। कविता आपके द्वार के सार्थक नतीजे भी देखने को मिल रहे हैं।

नेहरू नगर स्थित सिल्वर लाइन प्रेस्टीज स्कूल में आयोजित महफिल ए बारादरी के अती विशिष्ट अतिथि पंकज शर्मा ने कहा कि अदब की दुनिया में बारादरी में अपना कलाम पढ़ना आज सम्मान की बात समझी जाती है। बारादरी अदब की पहचान का दूसरा नाम है। उन्होंने अपने गीतों पर खूब सराहना बटोरी। उनकी पंक्तियां ‘जब मैं तन्हा हो जाऊंगा, गुमनामी में खो जाऊंगा, दुनिया के बंधन टूटेंगे, जब मेरे मुझ से रुठेंगे, तब मेरे दीवान से चुनकर, कोई नज़्म सुनाओगी क्या, मुझसे मिलने आओगी क्या, बोलो प्रीत निभाओगी क्या…’ विशेष रूप से सराही गईं।

बारादरी के अध्यक्ष गोविंद गुलशन ने ‘मुझको इस बार दुआओं का असर देखना है, कैसे बच पाता है आंधी में शजर देखना है’ पर भरपूर दाद बटोरी। बारादरी की संस्थापिका डॉ. माला कपूर ‘गौहर’ के शेर ‘सारे मंजर पर छा रहा है कोई, हर जगह मुस्कुरा रहा है कोई। सात पर्दे हैं और पर्दे से अपना जलवा दिखा रहा है कोई’ भी सराहे गए। सुरेंद्र सिंघल ने अपने शेर ‘मैं भी हादसों में शरीर था, मैं भी खबरों में ही सिमट गया, मेरा जिक्र जिन में था कभी, वही कतरने मेरे साथ हैं’ पर भरपूर दाद बटोरी।

कार्यक्रम का शुभारंभ डॉ. तारा गुप्ता की सरस्वती वंदना से हुआ। कार्यक्रम का सफल संचालन खुशबू सक्सेना ने किया। सुभाष चंदर, जगदीश पंकज, बी. के. वर्मा ‘शैदी’, डॉ. वीना मित्तल, डॉ. सुधीर त्यागी, आलोक यात्री, उर्वशी अग्रवाल ‘उर्वी’, अनिमेष शर्मा आतिश, सुभाष अखिल, नेहा वैद, सोनम यादव, देवेन्द्र शर्मा ‘देव’, तुलिका सेठ, प्रीति त्रिपाठी, मनीषा जोशी, संजीव शर्मा, सुरेंद्र शर्मा, विनय विक्रम सिंह, ऋचा सूद, मृत्युंजय साधक, शुभ्रा पालीवाल, प्रखर पुंज, संजीव जैन, अनुज गुरुवंशी, अंजू साधक आदि की रचनाएं भी साराही गईं। इस अवसर पर पंडित सत्यनारायण शर्मा, वागीश शर्मा, विश्वेंद्र गोयल, संगीता गोयल, कुलदीप, उपेन्द्र गोयल, राष्ट्र वर्धन अरोड़ा, देवेन्द्र गर्ग, उत्कर्ष गर्ग, नंदिनी शर्मा, प्रताप सिंह, अमित कुमार, डॉ. मनीषा त्यागी, डॉ. अंजलि त्यागी, वीरेन्द्र सिंह राठौर, राकेश सेठ, अनिल कुमार शर्मा, उर्मिल शर्मा व डॉ. शगुन गोयल सहित बड़ी संख्या में काव्य अनुरागी उपस्थित थे।

Umesh Kumar

Umesh is a senior journalist with more than 15 years of experience. Freelance photo journalist with some leading newspapers, magazines, and news websites and is now associated with Local Post as Consulting Editor

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