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मंकीपॉक्स का खतरा बच्चो और बड़ो में कितना ज्यादा हो सकता हे ? जाने लषण

नोएडा : मंकीपॉक्स अभी तक ७५ देशो में फेल चूका हे और भारत में भी इसके ४ मामले सामने आये हे। मंकीपॉक्स एक फैलने वाली बीमारी है यह एक व्यक्ति से दुसरे व्यक्ति में बड़ी आसानी से फ़ैल सकती है। अगर कोई व्यक्ति किसी संक्रमित व्यक्ति या जानवर निकट संपर्क के माध्यम से या वायरस से दूषित सामग्री के माध्यम से मनुष्यों में फैलता है। ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, चूहियों और गिलहरियों जैसे जानवरों से फैलता है। यह रोग घावों, शरीर के तरल पदार्थ, श्वसन बूंदों और दूषित सामग्री जैसे बिस्तर के माध्यम से फैलता है। यह वायरस चेचक की तुलना में कम संक्रामक है और कम गंभीर बीमारी का कारण बनता है।

बच्चों में मंकीपॉक्स के लक्षण

बच्चों में मंकीपॉक्स और चेचक के लक्षण समान हैं। सामान्य तौर पर संक्रमित व्यक्तियों और बच्चों में बेचैनी, बुखार, चकत्ते, सूजन लिम्फ नोड्स और ठंड लगने के लक्षण नज़र आते हैं।

मंकीपॉक्स के लक्षणों में चेहरे, हथेलियों, तलवों, आंखों, मुंह, गले, जांघ और जननांग आदि पर दाने-रैशेज-छाले होना भी शामिल है ।जो कि आमतौर पर 2 से 3 हफ्तों में अपने आप ठीक हो जाते हैं। ध्यान रखें कि जबतक मंकीपॉक्स के मरीज के सभी छाले या दाने सूख नहीं जाते, तबतक वह संक्रमण फैला सकता है।

मंकीपॉक्स से बचाव

  • इसके लिए सबसे पहले सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन्स का पालन करें। अगर मंकीपॉक्स से पीड़ित हैं, तो चेचक का टीका यानी वैक्सीन जरूर लगवाएं।
  • संक्रमण से बचाव के लिए संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाएं। मंकीपॉक्स के लक्षण दिखने पर घबराएं नहीं, बल्कि तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
  • संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने के बाद हाथों को साबुन और साफ पानी से धोएं। इसके अलावा, सैनिटाइजर का इस्तेमाल जरूर करें। अपने साथ सैनिटाइजर जरूर रखें।
  •  घर से बाहर निकलते समय मास्क जरूर पहनें।

(This story has not been edited by localpostit.com and is auto–generated from a syndicated feed we subscribe to)

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