प्रतिद्वंद्वी दिग्गज मायावती और अमित शाह के मीठे बोल भविष्य के लिए तालमेल की कहानी गढ़ते नजर आए..
शतरंज के खेल में कौन-सा मोहरा कितने घरों के लिए चलेगा ये तो सब जानते हैं, लेकिन राजनीति में यह समझना मुश्किल हो जाता है कि कौन कितने घर चलाएगा और कहां मारेगा। बीजेपी और बसपा के दो दिग्गज नेताओं के बीच सराहना की काउंटर कव्वाली ने उत्तर प्रदेश की सियासत में अटकलों का नया दौर शुरू कर दिया है । मायावती ने शाह के कुलीन वर्ग को गृह मंत्री अमित शाह के इस बयान को बताया है कि बसपा दलित-मुस्लिम वोटों से मजबूती से चुनाव लड़ रही है । साथ ही उन्होंने सपा से मुसलमानों की नाराजगी पर बात की । अब माना जा रहा है कि बीजेपी और बसपा नेताओं के ये मीठे बोल भविष्य में तालमेल की कहानी गढ़ने में मददगार हो सकते हैं ।
बसपा प्रमुख मायावती ने बुधवार को मॉल एवेन्यू स्थित चिल्ड्रेन्स पैलेस म्यूनिसिपल स्कूल में वोट डाला । बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष और गृह मंत्री अमित शाह के बसपा को मजबूत, बसपा को दलित-मुस्लिम वोट मिलने वाले बयान पर यहां पत्रकारों ने जब उनसे सवाल किया तो मायावती ने इस पर शाह की तारीफ भी की । उन्होंने कहा कि यह उनका (अमित शाह) बड़प्पन है कि उन्होंने जमीनी हकीकत को स्वीकार किया।
उन्होंने अपने दावे के साथ भाजपा नेता के बयान को संशोधित करते हुए कहा कि मैं गृह मंत्री को बताना चाहती हूं कि बसपा को सबसे पिछड़े, सवर्णों सहित सभी वर्गों के वोट मिल रहे हैं, सिर्फ मुस्लिम और दलित ही नहीं। भाजपा के 300 से अधिक सीटें जीतने के दावे पर उन्होंने कहा कि विपक्षी दलों के नेता जीत के अलग-अलग दावे कर रहे हैं, लेकिन कौन कितना पानी में है यह तो वक्त ही बताएगा । कहीं ऐसा न हो कि भाजपा और सपा के सारे दावे बेबुनियाद हों। उन्होंने विश्वास जताया कि बसपा 2007 की तरह फिर से पूर्ण बहुमत के साथ सरकार बनाने जा रही है।
बसपा प्रमुख ने समाजवादी पार्टी पर भी निशाना साधा। कहा कि मुस्लिम समाज के लोग सपा की कार्यशैली से काफी नाखुश हैं । मुसलमान कह रहे हैं कि उन्होंने पांच साल सपा की सेवा की, लेकिन जब टिकट देने की बात आई तो उन्होंने संबंधित सीट पर किसी और को टिकट दिया । जब मुस्लिम समुदाय पहले से ही सपा से नाराज़ है, तो वे उसे वोट क्यों देंगे? मायावती ने सपा प्रमुख अखिलेश यादव को फर्जी अंबेडकरवादी बताते हुए कहा कि अगर अखिलेश अंबेडकरवादी हैं तो उन्होंने अपनी सरकार में उन जगहों और योजनाओं के नाम क्यों बदले, जिनका नाम बसपा सरकार ने बाबासाहेब के नाम पर रखा था । साथ ही आरोप लगाया कि दलितों और ब्राह्मणों समेत सभी वर्गों का उत्पीड़न सपा सरकार में सबसे ज्यादा हुआ. गुंडाराज और माफियाराज थे।
बसपा की तारीफ में बोले अमित शाह: हाल ही में एक चैनल को दिए इंटरव्यू में अमित शाह ने कहा था कि मायावती ने अपनी प्रासंगिकता नहीं खोई है । उनकी पार्टी को उत्तर प्रदेश में वोट मिलेगा । मुझे नहीं पता कि यह कितनी सीटों में तब्दील होगा, लेकिन वोट आएंगे। उन्होंने कहा था कि जमीन पर मायावती का अपना कब्जा है। उनके साथ जाटव वोट जाएगा। मुस्लिम वोट भी भारी मात्रा में मिलेंगे।
दोनों ने किया गठबंधन से इनकार: अमित शाह ने मायावती की और मायावती ने शाह की तारीफ की । इससे सत्ता के गलियारों में चर्चा शुरू हो गई कि चुनाव के बाद जरूरत पड़ने पर भाजपा और बसपा गठबंधन बनाकर सरकार बना सकते हैं। हालांकि, चैनलों के साक्षात्कार के दौरान, अमित शाह ने बसपा के साथ गठबंधन के सवाल को इस आधार पर खारिज कर दिया था कि भाजपा पूर्ण बहुमत की सरकार बना रही है। इसी तरह, मायावती ने गठबंधन की संभावना से इनकार किया।