जैन मुनि प्रवर्तक श्री आशीष मुनि जी एवं श्री उत्तम मुनि जी ने शहजाद राय शोध संस्थान में संग्रहित दुर्लभ पांडुलिपि संग्रह का अवलोकन किया। प्राकृत, संस्कृत इत्यादि भाषाओं की दुर्लभ सैकड़ों वर्ष प्राचीन पांडुलिपियों को देखकर प्रवर्तक आशीष मुनि जी ने कहा कि यहां का संग्रह अतिविशिष्ट श्रेणी का है, जिसके आधार पर सैकड़ों शोधार्थी शोध एवं अनुसंधान का कार्य संपन्न कर सकते हैं।
संस्थान में आगमन पर महाराज श्री जी का स्वागत करते हुए निदेशक डॉ अमित राय जैन ने बताया कि शहजाद राय शोध संस्थान में संग्रहित करीब ढाई हजार दुर्लभ पांडुलिपियों का अभी तक डिजिटाइजेशन स्कैनिंग का प्रथम चरण पूरा कर लिया गया है। डिजिटाइजेशन के बाद द्वितीय चरण के रूप में इनका सूचीकरण और तृतीय चरण में इन दुर्लभ पांडुलिपि संग्रह का संरक्षण एवं रासायनिक उपचार किया जाएगा ।उन्होंने बताया कि यह है डिजिटाइजेशन का कार्य श्रुतभवन संशोधन संस्थान पुणे की टीम के सहयोग से किया गया है।
इस ऐतिहासिक महत्व के कार्य को राष्ट्रीय स्तर का स्वरूप प्रदान करने हेतु आचार्य सम्राट श्री शिव मुनि जी महाराज का आशीर्वाद एवं गणि श्री वैराग्यरति विजय जी महाराज का दिशा निर्देशन प्राप्त हो रहा है ।श्री ऑल इंडिया श्वेतांबर स्थानकवासी जैन कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री आनंदमल छल्लानी जी द्वारा गठित श्रुत संवर्धन समिति के अंतर्गत यह कार्य संपूर्ण राष्ट्र भर में व्याप्त स्थानकवासी जैन समाज के विभिन्न पांडुलिपि भंडारों एवं निजी संग्रह हेतु संचालित किया जाएगा।
शहजाद राय शोध संस्थान के निदेशक एवं श्रुत संवर्धन समिति के केंद्रीय संयोजक डॉ अमित राय जैन द्वारा बताया गया कि इस महत्वपूर्ण कार्य के अंतर्गत शहजाद राय शोध संस्थान, बड़ोत एवं मुनिराज श्री फूलचंद्र जैन शास्त्र भंडार, गुरुग्राम के पांडुलिपि संग्रह का डिजिटाइजेशन का कार्य संपन्न हो चुका है ।इस महत्वपूर्ण कार्य में उत्तर भारतीय प्रवर्तक श्री आशीष मुनि जी महाराज का आशीर्वाद एवं दिशा निर्देश हमारे लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।