Spiritual

क्या कालिदास स्कंध माता की आराधना करके विद्वान बने – जानते है वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा से

दुर्गा-पूजामें प्रतिदिन का वैशिष्ट्य महत्व है और हर दिन एक देवी का है ।नवरात्रि के ९ दिनों में मां दुर्गा के ९ रूपों की पूजा होगी । ३० सितंबर: पंचमी को मां स्कंद माता की पूजा होगी।  

चेतन और अवचेतन दो अवस्थाएं है मनुष्य की। चेतना प्राणी की जागरुकता या सचेत अवस्था को प्रदर्शित करता है । नींद अवचेतन अवस्था को प्रदर्शित करता है। रोबोट और मनुष्य में यही चेनता का फर्क होता है। माता स्कन्द सांसार के जीवों में नवचेतना का निर्माण करती है। एक उदाहरण से समझती हु मान लीजिये किसी का बचा हट्टी है और पढ़ाई में उसका मन नहीं लगता है और एकाग्रता की कमी है अब ये बचा या उनकी माँ माता स्कन्द की आराधना करती है को बच्चे के चेतन तल पर जो गलत प्रोग्रामिंग हो रखीं है वो परिवर्तित होगी अर्थात वो बच्चा नवचेतना से जागरूक हो कर अपने जीवन को सही दिशा देगा। 

क्यों माता का नाम स्कन्द पड़ा

हम सभी जानते है की कार्तिके माता दुर्गा के ही पुत्र है। कार्तिकेय का पूरा नाम स्कंध कुमार कार्तिके है , इसी लिए माता का नाम स्कन्द पड़ा। माता के स्वरुप में कार्तिके आपने बल स्वरुप में माँ की गोद में बैठे हुए है। 

माता का ध्यान कैसे करे 

मन में माता की कल्पना करे। माँ की चार भुजाएं हैं। माता अपनी दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कन्द को गोद में पकड़े हुए हैं।नीचेवाली भुजा में कमल का फूल है। बाईं तरफ ऊपर वाली भुजा वर देने की मुद्रा में हैंऔर नीचे वाली भुजा में कमल फूल है। माता कमल के आसन पर विराजमान हैं। देवी का एक और नाम पद्मासना भी है। माता का वहां सिंह है।

किनको माता की आराधना अवश्य करनी चाहिए

मूढ़ , हट्टी बालक और उनकी माता, जिनके रूचि ज्ञान अध्ययन में आगे बढ़ने की है , मोक्ष मार्गी । डॉक्टर हु और शास्त्रीय ज्ञान है तो दोनों के आधार पर बताती हु, जिन भी लोगो को मनोवैज्ञानिक चिकित्सा की आवस्यकता पड़ रही है उन सब को माता की आराधना करनी चाहिए। जो भी व्यक्ति दिमागी दवाईया खाते है – डिप्रेशन की, अटेंशन की , फोकस बढ़ाने की उन सब को माँ की आराधना करने चाहिए। 

क्या कालिदास को विद्वान माता स्कंध ने बनाया 

मैं मेरे बाल्य अवस्था में हमेशा सोचती थी की ऐसा कैसे संभव है की अज्ञानी व्यक्ति अपनी पत्नी तिलोत्तमा से तिरष्कृत होकर इतना बड़ा विद्वान कैसे बना। शास्त्रों का अध्ययन और माता शकंद की कथा से मुझे ये ज्ञान हुआ की जब व्यक्ति एकाग्र होकर कार्य करेगा तो विजयी अवस्य होगा। सूर्य हमारे से हज़ारो हज़ारो मील दूर है पर एक कागज और मैग्निफायर की सहायता से हम सूर्य की किरणों को एक केंद्र बिंदु पर केंद्रित करके कागज़ को जला सकते है तो एकाग्रता से सब संभव है। एकाग्रता हर सफलता के पीछे की मेरुदंड है और जिनको भी एकाग्रता की समस्या है वे जीवन में सर्वोच्चा पद को पाने के लिए एकाग्रता पर ही काम करके सफलता को प्राप्त कर सकते है। एकाग्रता से और माता स्कंध की कृपा से मूढ़ता का अंत हुआ और कालिदास जैसे महा मुर्ख एक प्रकांड विद्वान बने और उनकी महान रचनाये रघुवंशम महाकाव्य और मेघदतू आज भी ज्ञान का स्तोत्र है । 

स्कंध माता को विशेष क्या चढ़ाये 

३० सितंबर : पंचमीको अङ्गराग चन्दनादि एवं आभूषण चढ़ाये। माता को सफ़ेद रंग पसंद है। 

माता स्कंध बच्चो में बढ़ रहे मानसिक रोगो से समस्त पृथ्वी की रक्षा करे। जय माता की।

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वास्तु शास्त्री डॉ सुमित्रा अग्रवाल 

इंटरनेशनल वास्तु अकडेमी 

सिटी प्रेजिडेंट कोलकाता 

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