गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन ने बच्चों की शिक्षा शरू कराने के लिए लिखा बाल आयोग को पत्र ; डीएफआरसी में शिकायत करने पर स्कूल ने बच्चों की शिक्षा पर लगाई रोक
गाज़ियाबाद: प्रदेश के निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिये उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाये गये फीस अधिनियम 2018 का प्रचार बड़े जोर शोर से किया गया था लेकिन अब यही फीस अधिनियम 2018 अभिभावको के लिये नासूर बनता नजर जा रहा है। मामला है गाजियाबाद के एक नामी स्कूल का जहाँ उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बनाये गये फीस अधिनियम 2018 के अंतर्गत जिले में बनी जिला स्तरीय शुल्क नियामक समिति में अभिभावक मनीषा पत्नी सतेंद्र कुमार द्वारा फीस वृद्धि की शिकायत करने पर स्कूल द्वारा मनीषा की पुत्री जो कक्षा 9 में पढ़ती है और पुत्र जो कक्षा 7 का विद्यार्थी है पर पिछले लंबे समय से स्कूल आने पर रोक लगा रखी है। जिसके कारण अभिभावक और इनके दोनों बच्चे गहरे मानसिक तनाव में है।
अभिभावक द्वारा जिलाधिकारी , जिला विद्यालय निरीक्षक , सयुक्त शिक्षा निदेशक , मेरठ सभी के दर पर गुहार लगाई जा चुकी है लेकिन अधिकारी आज तक बच्चों की पढ़ाई शरू नही करा सके है। जिसके बाद हार थक कर अभिभावक द्वारा पूरे प्रकरण की शिकायत गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन से की गई जिसका तत्काल सज्ञान लेते हुये जीपीए ने राष्ट्रीय बाल अधिकार सरक्षंण आयोग ,नई दिल्ली को पत्र लिखकर दोनों बच्चों की शिक्षा शरू कराने की अपील की है।
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन के सचिव अनिल सिंह ने बताया कि स्कूल प्रशासन द्वारा अभिभावक पर डीएफआरसी से शिकायत वापस लेने का दबाब बनाया जा रहा है। अभिभावक द्वारा शिकायत वापस नही लेने पर स्कूल प्रशासन द्वारा अपने अधीन शक्तियों का दुरुपयोग करते हुये अभिभावक के दोनों बच्चों की पढ़ाई पिछले लंबे समय से बाधित कर दी गई, साथ ही अभिभावक और उनके बच्चों पर अत्यधिक मानसिक दबाब बनाने की रणनीति के तहत मेल द्वारा अभिभावक को टीसी के फार्म भेज दिए गये। जिसकी शिकायत अभिभावक द्वारा जिलाधिकारी , जिला विद्यालय निरीक्षक , सयुक्त शिक्षा निदेशक , मेरठ मंडल एवम कमिश्नर से की गई लेकिन किसी भी अधिकारी द्वारा बच्चों की शिक्षा अभी तक शरू नही कराई जा सकी है।
अभिभवक का शिकायत में कहना है कि जिले का जिला विद्यालय निरीक्षक की पूरी तरीके से स्कूल से मिलीभगत है जिसके कारण स्कूल पर कोई कार्यवाई नही की गई। हम सभी जानते है कि फीस के मुद्दे पर अभिभावक और स्कूल प्रशासन के टकराव के बीच छात्र /छात्राओं की पढ़ाई किसी भी दशा में बाधित नही की जा सकती है। उसके बाद भी अधिकारियों के उदासीन रवैये के कारण अभिभावको के बच्चे स्कूल में शिक्षा लेने से वंचित है। अभिभावक द्वारा बच्चों की पढ़ाई बाधित होने पर गहरे मानसिक तनाव की बात कही गई है क्योकि छात्रा वाणी डागर कक्षा 9 में है जिसका कुछ समय बाद सीबीएसई में रजिस्ट्रेशन की डेट आने वाली है। अगर स्कूल द्वारा छात्रा का सीबीएसई में रजिस्ट्रेशन नही कराया जाता है तो छात्रा का भविष्य बर्बाद हो जाएगा जिसका सज्ञान लिया जाना अतिआवश्यक है क्योंकि अगर अभिभावक अथवा बच्चों को लंबे तनाव के कारण कोई मानसिक अथवा शारीरिक परेशानी होती है तो इसकीं जिम्मेदारी पूर्ण रूप से जिले के जिलाधिकारी , जिला विद्यालय निरीक्षक , सयुक्त शिक्षा निदेशक और स्कूल प्रबंधन की होगी।
गाजियाबाद पेरेंट्स एसोसिएशन बाल आयोग से इस अत्यंत गंभीर विषय का सज्ञान लेने की अपील करते हुये तत्काल प्रभाव से दोनों बच्चों की शिक्षा पुनः सुचारू रूप से शरू कराने का निवेदन करती है।