शिवांगी संगीत महाविद्यालय में “गायन, तबला वादन, एवं कथक नृत्य की संगीत कार्यशाला का शुभारंभ

मेरठ: गढ़ रोड स्थित शिवांगी संगीत महाविद्यालय (मुख्यालय) एवं रुड़की रोड स्थित (कुबेर स्कूल स्थित) शिवांगी संगीत महाविद्यालय (शाखा) में गायन, वादन एवं नृत्य की “संगीत कार्यशाला” का शुभारंभ किया गया। संगीत कार्यशाला दिनांक 29 मई 2023 से 8 जून 2023 तक आयोजित की जा रही है। कार्यशाला में छात्र-छात्राएं विभिन्न वर्गों के अंतर्गत भाग ले रहे हैं।
संगीत-कार्यशाला का शुभारंभ संस्थान अध्यक्ष राजेश शर्मा एवं निदेशिका ऋचा शर्मा ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन कर किया। उन्होंने बताया कि संगीत की इस कार्यशाला के अंतर्गत छात्रों को गायन के अंतर्गत स्वर, लय, ताल का बोध कराया जाएगा।
गायन, वादन, नृत्य की विधिवत कार्यशाला के अंतर्गत शास्त्रीय गायन कथक नृत्य एवं उपशास्त्रीय नृत्य की बारीकियों से छात्रों को अवगत कराया जाएगा। शिवांगी संगीत महाविद्यालय में चल रही संगीत कार्यशाला के अंतर्गत संस्थान की निदेशिका ऋचा शर्मा ने छात्रों को संबोधित करते हुए ‘संगीत’ की विशेषताओं एवं महत्व को समझाया।



संस्थान की निदेशिका ऋचा शर्मा ने अपने उद्बोधन में कहा कि छात्रों को जीवन को अनुशासित, कलात्मक, उन्नत एवं विकसित बनाने के लिए लय-गति युक्त जीवन जीने की प्रेरणा प्राप्त कराने के लिए, हमारी सांस्कृतिक धरोहरों के प्रति आने वाली पीढ़ी का रुझान बढ़ाने हेतु संगीत कार्यशाला का आयोजन करके शिवांगी संस्थान प्रयासरत है इन्हीं आधारों पर समय-समय पर संगीत कार्यशाला का आयोजन संस्थान द्वारा किया जाता है। उक्त कथनों द्वारा संगीत-कार्यशाला पर संस्थान की निदेशिका ऋचा शर्मा ने छात्रों के समक्ष संगीत के महत्व को प्रतिपादित किया। कथक नृत्य की बारीकियों, विशेषताओं एवं गुणों से अवगत कराया।

कथक नृत्यांगना सुश्री ईप्सा नरूला ने कथक की उत्पत्ति एवं इतिहास के बारे में छात्रों को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि इस नृत्य शैली का नाम कत्थक इसलिए पड़ा कि सर्वप्रथम इसका प्रचार कथा कहने वाली जाति “कथा वाचक” ने किया 14वी एवं 15वी शताब्दी में कथावाचक लोग कथाओं को अधिक रोचक बनाने के लिए कथा के मध्य में मनोरंजन का पुट देने के लिए कथा के कुछ अंशों को नृत्याभिनय द्वारा प्रस्तुत किया करते थे। इस नृत्याभिनय से ही शास्त्रीय “कथक-नृत्य” का जन्म हुआA धीरे-धीरे “कथक-नृत्य” कथाओं से पृथक हो गया तथा स्वतंत्र रूप से होने लगाA



विलंबित मध्य एवं द्रुत लय की लयकारियों, तीनताल में तत्कार के अंतर्गत छात्रों को सिखाई गई. पलटे, हस्तक, थाट एवं सलामी की बारीकियों को कार्यशाला के प्रथम दिन सिखाया।
शिवांगी संगीत महाविद्यालय में संगीत कार्यशाला के शुभारंभ के अवसर पर छात्रों को शास्त्रीय गायन के विभिन्न घरानों एवं शास्त्रीय संगीत के इतिहास के छात्रों को अवगत कराया।उन्होंने गायन के सभी छात्रों को स्वर, लय एवं ताल की विशेषताओं एवं संगीत में स्वर, लय एवं ताल के महत्व का बोल छात्रों को कराया गया।