Ghaziabad

दिल्ली दिल वालों की नहीं मजबूत फेफड़ों वालों की है – पंकज प्रसून

गाजियाबाद: शनिवार को शंभू दयाल इंटर कॉलेज में अंतरराष्ट्रीय कवि और व्यंग्यकार पंकज प्रसून ने साइनटेनमेंट की प्रस्तुति दी। यह कार्यक्रम नक्षत्र फाउंडेशन की शैक्षिक दक्षता वृद्धि व्याख्यानमाला के अंतर्गत प्रख्यात प्रकाशक “कियान फाउंडेशन” के सहयोग से आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में पंकज प्रसून ने हास्य शैली में विज्ञान के कई सिद्धांतों को प्रस्तुत किया एवं साथ ही गंभीर सवाल भी उठाए। उन्होंने दिल की हालात पर कविता पढ़ते हुए कहा- ” कैसे बने सहारा दिल ,
ब्लड पंपिंग से हारा दिल,प्यार घटा है फैट बढ़ा है, कोलेस्ट्रॉल का मारा दिल” । उन्होंने दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण पर कहा कि- “सांस के संग आ रहे बीमारी के विषाणु ,हाल क्या होगा मुसलसल जिंदगानी का, देखकर यमुना की लहरें बोलता नाला , फर्क क्या बतलाओ तेरे मेरे पानी का ।

“उन्होंने खतरनाक स्तर पर पहुंच रहे एयर क्वालिटी इंडेक्स ( एक्यूआई) पर कहा कि दिल्ली दिल वालों की नहीं मजबूत फेफड़ों वालों की है। उन्होंने कहा “गाजियाबाद में प्रदूषण चरम पर है संभल जाइए , बॉडी बनाना छोड़ एंटीबॉडी बनाइए” ।उन्होंने जेनेटिक इंजीनियरिंग जैसे विषय को व्यंग्य में ढालते हुए कटाक्ष किया -“आज छल कपट ईर्ष्या द्वेषी जीन सक्रिय हैं,न्याय नीति बंधुत्व के जीन सुप्त हो रहे हैं , प्रेम के क्रोमोसोम पर स्थित करुणा मैत्री दया के जीन विलुप्त हो रहे हैं” ।”अभी वक्त है संभल जाइए पैरों की जींस तो फट ही चुकी है संस्कारों के जींस को फटने से बचाइए”। उन्होंने बताया कि क्लोरोफिल और हीमोग्लोबिन की केमिकल संरचना एक समान होती है।उन्होंने कहा -“समंदर की है बेचैनी उसे साहिल नहीं मिलता ,यहां तो आदमी का आदमी से दिल नहीं मिलता”। जहां पर खून हिंदुस्तान का रग रग में बहता है,वहां की पत्तियों में आज क्लोरोफिल नहीं मिलता।”

सोशल मीडिया की विसंगतियों पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा “खुल गए उनके अकाउंट फेसबुक पर ,बैंक में जिनका कोई खाता नहीं है।कर रहे वह साइन इन और साइन आउट जिनको करना साइन तक आता नहीं है” ।

इस शो में पंकज प्रसून ने मॉलेक्युलर बायोलॉजी,न्यूक्लियर फिजिक्स, एटॉमिक साइंस, इन्फोर्मेशन टेक्नोलॉजी, केमिकल साइंस, कार्डियो वैस्कुलर साइंस, पर्यावरण विज्ञान के तमाम गूढ़ सिद्धांतों, नियमों को हास्य शैली में प्रस्तुत किया। पंकज प्रसून का मानना है कि साइंस को सीरियस नहीं बल्कि सेलिब्रेशन बहाने की जरुरत है। तभी असल मायने में वैज्ञानिक चेतना का प्रसार होगा। अगर हम नर्सरी के बच्चों को रोचक कविताओं के जरिए विज्ञान समझाएं तो उनके अंदर वैज्ञानिक अभिरुचि विकसित होगी। सीएसआई , आरएचआरडीसी की प्रधान वैज्ञानिक डॉक्टर शोभना चौधरी ने कहा कि विज्ञान को मनोरंजन बनाकर ही आम जनमानस तक पहुंचा जा सकता है। विज्ञान कविताएं चेतना के उत्प्रेरक के रूप में कार्य करती हैं। कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार सुभाष चंदर ने कहा कि हमारे देश को नोबेल पुरस्कार इसलिए नहीं मिल रहे हैं क्योंकि वैज्ञानिक चेतना का प्रसार उतना नहीं हो रहा जितना होना चाहिए। इसलिए बच्चों में विज्ञान के संस्कारों को डालना जरूरी है।

कियान फाउंडेशन के संस्थापक अशोक गुप्ता ने कहा कि विज्ञान कविताओं की किताबें न के बराबर हैं। इस दिशा में कार्य करने की बेहद आवश्यकता है। हमारा पूरा वैदिक विज्ञान कविताओं में ही था।कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर रिचा आर्य ने किया। शंभू दयाल इंटर कॉलेज के प्रधानाचार्य देवेंद्र कुमार भी उपस्थित थे। कथा संवाद इस कार्यक्रम का सहयोगी था।

Umesh Kumar

Umesh is a senior journalist with more than 15 years of experience. Freelance photo journalist with some leading newspapers, magazines, and news websites and is now associated with Local Post as Consulting Editor

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