अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के स्थापना दिवस का आयोजन

गाजियाबाद: अधिवक्ता परिषद ब्रज की गाजियाबाद इकाई द्वारा आज अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद का स्थापना दिवस मनाया। कार्यक्रम में बोलते हुए अखिल भारतीय अधिवक्ता परिषद के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य (विशेष आमंत्रित) विपिन त्यागी द्वारा बताया गया कि अधिवक्ता परिषद का उद्देश्य है कि न्याय प्रणाली में भारत, भारतीय एवं भारतीयता का भाव जीवित रहे, साथ ही वादकारी को उसकी भाषा में न्याय प्राप्त हो। उन्होंने बताया कि 7 सितंबर 1992 को राष्ट्रहित के विचारक व अन्य संस्कारवान संगठनों के आरंभकर्ता के श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी जी द्वारा राष्ट्र वादी विचारों के कुछ अधिवक्ताओं को लेकर जिस संगठन की शुरुआत की थी वह आज भारतवर्ष के प्रत्येक प्रदेश से लेकर तहसील तक विस्तारित हो चुका है, जहां पर अधिवक्ता परिषद की इकाइयां न्याय एवं धर्म के सिद्धांत के साथ कार्य कर रही है।
आगे कहा कि परिषद के प्रत्येक कार्यकर्ता का एक ही उद्देश्य है कि इस देश को बांटने वाली शक्तियां न्यायिक प्रक्रिया का उपयोग करते हुए राष्ट्र विरोधी कार्य न कर सके। उन्होंने बताया कि भारतीय न्याय प्रणाली में उपयोग किए जाने वाले अधिकतर कानून इस कदर अपने प्रासंगिकता खो चुके हैं कि वर्तमान समय में उनकी उपयोगिता पर भी प्रसन्न चिन्ह लगा हुआ है। अधिकतर कानून उसे वक्त के हैं जब भारत के पास अपनी न्याय व्यवस्था की चिंता करने वाले व्यक्तियों को आंदोलनकारी कहा जाता था।

इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ भारत माता के समक्ष दीप प्रज्वलित करते हुए किया गया। उपस्थित श्रोताओं के समक्ष चंचल गुप्ता द्वारा देश के प्रति अपना सर्वस्व न्योछावर करने का आह्वान करने हेतु गीत प्रस्तुत किया। न्यायालय में हिंदी की उपयोगिता पर उपस्थित श्रोताओं का मार्गदर्शन करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता एवं इकाई संरक्षक केपी सिंह द्वारा बताया गया कि न्यायालय प्रक्रिया में हिंदी उपयोग के बिना यदि पीड़ित को न्याय मिलता भी है तो उसे किसी अन्य का सहारा लेना पड़ता है जिस कारण वह न्याय से कुछ समय तक वंचित रह जाता है, उपस्थित श्रोताओं का आह्वान करते हुए उन्होंने सभी को हिंदी भाषा में अधिकतम कार्य करने हेतु प्रेरित किया।
कार्यक्रम में उपस्थित संघ के क्षेत्रीय अभिलेखाकार प्रमुख व परिषद के संपर्क अधिकारी तपन कुमार द्वारा उपस्थित श्रोताओं को संबोधित करते हुए कहा कि संगठन के कार्यकर्ता अनौपचारिक भाव से मित्रता के रूप में एक दूसरे के साथ मिलकर राष्ट्रवादी सोच के साथ राष्ट्र की एकता व अखंडता के लिए कार्य करते हैं। उन्होंने उपस्थित कार्यकर्ताओं को अपने आसपास होने वाली सभी देश विरोधी घटनाओं का चिंतन करते हुए उनका निराकरण करने का आह्वान भी किया तथा इस संबंध में विदेश की अनेक घटनाओं का उदाहरण देते हुए बताया कि अंग्रेजों द्वारा हमारी न्यायिक व्यवस्था पर भी प्रहार किया गया है। उन्होंने कहा कि परिषद बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों का समूह है इसलिए उनकी जिम्मेदारी एक सामान्य व्यक्ति से अधिक होती है।

कार्यक्रम के अंत में आशा रानी द्वारा उपस्थित अधिवक्ताओं का धन्यवाद करते हुए वक्ताओं द्वारा बताए गए उद्देश्य तथा कथनों का अनुसरण करने का आह्वान किया व राष्ट्रगान के साथ कार्यक्रम का समापन किया। कार्यक्रम का संचालन न्याय प्रवाह प्रमुख अरुण कुमार द्वारा किया गया जिसमें उनका सहयोग प्रमोद टीटोरिया द्वारा किया गया। कार्यक्रम में मुख्य रूप से महिला प्रमुख श्रद्धा चौहान, स्वाध्याय मंडल प्रमुख मोहनीश जयंत, गीता सिंघल, सुनीता वर्मा, अतुल्य त्यागी, आलोक कुमार, रेखा पुंडीर, इकाई के कोषाध्यक्ष राजीव गुप्ता, मंत्री ज्ञानेन्द्र शर्मा सोनिका सिंह, आभा वर्मा, सोमेश् त्यागी एवं जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजेश शर्मा अपर जिला शासकीय अधिवक्ता वरुण त्यागी, नरेश चौधरी एवं हरीश कुमार सहित अन्य अधिवक्ता उपस्थित रहे।