मुंबई : लंग कनेक्ट एक अनूठी पहल है जो फेफड़ों के कैंसर के रोगियों और देखभाल करने वालों को उनकी शारीरिक, कार्यात्मक, भावनात्मक, सामाजिक और वित्तीय जरूरतों को पूरा करने में सहायता करने की कोशिश कर रहा है । लंग कनेक्ट कैंसर रोगियों, देखभाल करने वालों और डॉक्टर्स द्वारा चलाया जाता है और फेफड़ों के कैंसर के रोगियों को उनके ठीक होने की यात्रा के हर पड़ाव पर मदद करने का इरादा रखता है।
‘लंग कनेक्ट’ एक लंग कैंसर सपोर्ट ऑनलाइन कम्युनिटी है। यह फेफड़ों के कैंसर के रोगियों को ऑनलाइन बातचीत करने, सटीक जानकारी प्राप्त करने, डॉक्टरों से बात करने और अन्य रोगियों के साथ कठिन विषयों पर चर्चा करने की अनुमति देता है। आज, इसमें लगभग 5,000 सदस्य हैं और कल इसने अपना 50वां सत्र आयोजित किया। लंग कनेक्ट लोगों के लिए वरदान सरीखा है। क्योंकि, इसके माध्यम से लंग कैंसर के मरीज रोज-रोज होने वाली परेशानियों का समाधान वर्चुअली पा लेते हैं । इसके लिए उन्हें कहीं जाने की जरूरत नहीं होती है। अपनी तरह के दूसरे लोगों से पहचान भी बन जाती है, जो ज्यादा अटूट होती है।
डॉ कुमार प्रभाष कहते हैं कि कोविड-19 के संक्रमण के दौरान कैंसर जैसी बीमारी से ग्रसित रोगियों की जिंदगी दांव पर लग गयी थी।परिवहन के साधन उपलब्ध नहीं होने के कारण ऐसे मरीज मुंबई आ नहीं पा रहे थे और उनका इलाज बीच में ही रुक गया था । उसी दौरान मैंने , संजीव शर्मा रोगी अधिवक्ता, वंदना महाजन कैंसर कोच, एनजीओ, रोगियों और देखभाल करने वालों ने संयुक्त रूप से लंग कनेक्ट के बारे में सोचा और इसकी शुरुआत करायी। ताकि कैंसर मरीजों को घर बैठे सहायता की जा सके। अब यह प्लेटफार्म मरीजों की मुस्कान की जगह बन चुका है। इसकी मुझे खुशी है।
डॉ. कुमार प्रभाष, एचओडी मेडिकल ऑन्कोलॉजी, टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल, मुंबई
डॉ एस डी बनावली डायरेक्टर एकेडमिक्स टीएमसी मुंबई का कहना है कि ऐसे सपोर्ट ग्रुप्स पेशेंट को हॉलिस्टिकली बहुत हील करते हैं और साथ में पेशेंट एडवोकेसी ग्रुप्स क्लिनिकल ट्रायल्स को इंडिया में लाने में मदद कर सकते हैं ।
डॉ एस डी बनावली, डायरेक्टर एकेडमिक्स, टीएमसी मुंबई
लंग कनेक्ट सपोर्ट ग्रुप, एक ऐसा मंच जो कोविड 19 महामारी के कारण लगाए गए लॉक डाउन के दौरान फेफड़ों के कैंसर के रोगियों को सहायता प्रदान करने की आवश्यकता से पैदा हुआ था, आज एक सुंदर समुदाय में विकसित हो गया है। मुझे इसकी स्थापना के दिन से ही इससे जुड़े रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।अध्ययनों से पता चला है कि सहायता समूह के माध्यम से जुड़े रोगी और देखभाल करने वाले मानसिक और शारीरिक रूप से बेहतर प्रदर्शन करते हैं। तो आइए साझा करें और इस समुदाय को बनाने में मदद करें ।
वंदना महाजन, प्रशामक देखभाल परामर्शदाता, कैंसर कोच, कैंसर योद्धा
भारत जैसे कम आय वाले देशों में कैंसर सहायता समूहों जैसे रोगी संसाधन बहुत कम उपलब्ध हैं। इसलिए लंग कनेक्ट पहल इतनी नवीन है। सत्र महीने में दो बार आयोजित किए जाते हैं रोगी अपनी स्थिति, प्रश्न साझा करते हैं और अपनी चिकित्सा स्थितियों पर चर्चा करते हैं। ऑन्कोलॉजिस्ट उनके रोग के इतिहास और वर्तमान शिकायतों की जांच करता है, और फिर सलाह देता है ।
सबसे पहले, उद्देश्य उन रोगियों की मदद करना था जो अस्पताल नहीं पहुंच पाते थे और यह सुनिश्चित करते थे कि उनकी दवाएं समय पर हों। लंग कनेक्ट के निदेशक संजीव शर्मा कहते हैं, “अब ये सत्र फेफड़ों के रोगियों को आशा दे रहे हैं क्योंकि वे ऐसे रोगियों को देखते हैं जो सात या आठ साल से इस बीमारी के साथ जी रहे हैं।” “वे दवाओं के दुष्प्रभावों के बारे में बात करते हैं और क्या मदद करता है। यह जानकारी बहुत महत्वपूर्ण है।”
Sanjeev Sharma, Director, Lung Connect
टाटा मेमोरियल अस्पताल में मेडिकल ऑन्कोलॉजी के प्रोफेसर और प्रमुख कुमार प्रभाष के अनुसार, यह भारत का पहला ऑनलाइन प्लेटफॉर्म है जहां कैंसर रोगी और देखभाल करने वाले जानकारी साझा करते हैं।
“यदि यह पहल सफल साबित होती है, तो यह विकासशील देशों में रोगियों को जानकारी प्रदान करने के लिए एक अभिनव मार्ग प्रशस्त कर सकती है,” प्रभाष कहते हैं ।