महर्षि दयानन्द की 200वीं जयंती पर महायज्ञ कर निकाली विशाल शोभा यात्रा
गाज़ियाबाद: जिला आर्य प्रतिनिधि सभा एवं आर्य केन्द्रीय सभा के संयुक्त तत्वावधान में शम्भू दयाल वैदिक सन्यास आश्रम दयानन्द नगर में महायज्ञ का आयोजन डा.जयेंद्र कुमार आचार्य के ब्रह्मत्व में सम्पन्न हुआ,मुख्य यज्ञमान आशा रानी एवं प्रवीण आर्य,डा आरके आर्य,डा प्रमोद सक्सेना,सेवा राम त्यागी एवं सुरेश आर्य रहे।यज्ञोप्रांत डा जयेंद्र आचार्य ने यज्ञमानो को आशीर्वाद प्रदान किया और उनके सुखद जीवन की प्रभु से प्रार्थना की।उन्होंने महर्षि दयानन्द के जीवन पर सारगर्भित विचार प्रस्तुत किए।तत्पश्चात यहीं से प्रातः10 बजे महान राष्ट्रनायक, समाज सुधारक,आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती पर एक विशाल शोभा यात्रा का आयोजन किया गया जिसका उदघाटन आर्य प्रतिनिधि सभा उत्तर प्रदेश के सदस्य श्रद्धानंद शर्मा ने ओम ध्वज दिखाकर किया।
शोभायात्रा शम्भू दयाल वैदिक सन्यास आश्रम,दयानन्द नगर, ग़ाज़ियाबाद से प्रारम्भ होकर शहर के मुख्य मार्गों गांधी नगर, चौधरी मोड़,घंटाघर,चौपला, डासना गेट,माली वाडा चौक, पुराना बस अड्डा, हापुड़ रोड, आरडीसी से होते हुए रामलीला मैदान राज नगर में एक बजे संपन्न हुई।इस अवसर पर आर्ष गुरुकुल नोएडा,आर्ष कन्या गुरुकुल सौरखा,कन्या गुरुकुल सासनी,गुरुकुल पटेल मार्ग, सन्यास आश्रम के आर्य युवकों का व्यायाम प्रदर्शन विशेष आकर्षण का केंद्र रहे।शोभा यात्रा का मार्ग में व्यापारियों द्वारा अनेकों स्थानों पर व घंटाघर हनुमान मन्दिर के महंत व विजय ढींगरा,राकेश बवेजा आदि साथियों द्वारा भव्य स्वागत किया गया।
समाज सेवी ओम प्रकाश आर्य की अध्यक्षता में समाज सुधार सम्मेलन का उद्घाटन सभा के प्रधान मुंशी नरेंद्र बंसल, सुरेन्द्र पाल सिंह ने दीप प्रज्वलित एवं श्रद्धानंद शर्मा ने ध्वजारोहण कर किया।
सुप्रसिद्ध भजनोपदेशक पंडित कुलदीप आर्य ने ईश्वर भक्ति एवं दयानन्द गुणगान से श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया।
डा पवित्रा विद्यालंकार ने कहा कि ऋषि दयानंद ने राष्ट्र की निर्मात्री महिला को महर्षि मनु के अनुसार बहुत गौरव और सम्मान दिया जहां नारियों का सम्मान होता है वहां देवताओं का वास होता है, महिलाओं को वेद पढ़ने का अधिकार दिया।वर्ण व्यवस्था का प्रतिपादन किया।
सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान स्वामी आर्यवेश ने अपने ओजस्वी उद्बोधन में कहा कि महर्षि दयानन्द के मानव जाति पर बहुत उपकार हैं,वह समाज सुधारक थे उनकी पहचान वेदों से है,वेद ईश्वरीय वाणी इसलिए है, क्योंकि जैसा वेद में है वैसा संसार में है और जैसा संसार में है वैसा वेद में है।इसलिए वेदों की ओर लौटने पर बल दिया।
श्रद्धानंद शर्मा ने महर्षि दयानन्द के सिद्धातों पर चलने की आवश्यकता पर बल दिया।उन्होंने कहा हमें सामाजिक बुराइयों के विरुद्ध संघर्ष करना होगा।आर्य समाज के लोगों को समाज के बीच जाकर पाखण्ड अंधविश्वास के विरुद्ध जन जागरण करना है।शिक्षा क्षेत्र में भी आज सुधार की जरूरत है जिससे युवा पीढ़ी देश भक्त तैयार हो।
सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के कोषाध्यक्ष माया प्रकाश त्यागी ने कहा कि ऋषि को एक दृष्टि में देखना हो तो आर्य समाज के दस नियम हैं जिसमे समाज सुधार के उपाय हैं।समाज में वही देव हैं जो नियमों को तोड़ते नहीं। वेद ही एकमात्र सच्चा धर्म है।सत्यार्थ प्रकाश वेद का प्रतिनिधि व पोषक है।संसार के प्रत्येक व्यक्ति को सत्य के निर्णयार्थ सत्यार्थ प्रकाश का अध्ययन करना चाहिये।सत्यार्थप्रकाश को पढ़ने व सत्य को ग्रहण करने से ही मनुष्य मनुष्य बनता है और उसका लोक व परलोक दोनों सुधरते व उन्नति को प्राप्त होते हैं।वस्तुतः सत्यार्थ प्रकाश ही वेदों के बाद मनुष्य का धर्म ग्रन्थ है।
मंच संचालक सभा के महामंत्री नरेन्द्र पांचाल ने दूर दराज से पधारे गणमान्य अतिथियों का शोभा यात्रा व जनसभा में पधारने पर आभार व्यक्त किया।
इस अवसर पर मुख्य रूप से सुभाष गर्ग,कृष्ण शास्त्री, जय कुमार गुप्ता,आचार्य राम निवास शास्त्री,चौ.मंगल सिंह, सुरेश गर्ग, त्रिलोक शास्त्री,सुभाष शर्मा,सुदर्शनाचार्य,यज्ञवीर चौहान वेद व्यास,नरेश चन्द्र आर्य,डा वीएन सरदाना,वीके धामा आदि उपस्थित रहे।