गाजियाबाद : इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता कर अस्थमा दिवस व अस्थमा से बचाव की जानकारी दी
मई के पहले सप्ताह के मंगलवार को मनाया जाता है वर्ल्ड अस्थमा डे गाजियाबाद की पूरी पापुलेशन में 2.5 ढाई लाख अस्थमा के मरीज है
गाजियाबाद :दमा एक ऐसी बीमारी है जिसे श्वसन मार्ग के प्रदाह और श्वसन मार्ग के संकुचित हो जाने से पहचाना जाता हैआईएमए भवन में डॉ.आरके गर्ग प्रेसिडेंट आईएमए गाजियाबाद (चेस्ट फिजिशियन) वक्ष चिकित्सक ने जानकारी दी कि, ” हालांकि, हम दमा को ठीक नहींकर सकते किंतु ऐसी दवाएं हैं जो इसकी रोकथाम कर सकती हैं जिनसे रोगी इस बीमारी पर काबू पा सकते हैं ।दमे के लक्षणों में शामिल हैं खांसी आना, सांस फूलना, व्यायाम करते समय सांस का फुलना, घरघराहट और मेहनत के कार्यो को करने के बाद थकान महसूस करना जिन कार्यों को आप पहले बिना किसी समस्या के कर लिया करते थे।अधिकतर दमा ग्रस्त लोगों को ऐसे लक्षण होते हैं जो दिन की अपेक्षा रात में काबू से बाहर अधिक होते हैं ।
दमा एक न ठीक होने वाली बीमारी है इसलिए यह आपके पूरे जीवन काल तक रहता है। आप दमे को ठीक नहीं कर सकते, लेकिन बीमारी को कुछ समय के लिए शांत कर सकते हैं लेकिन बाद में यह फिर से होगी ।
गाजियाबाद में प्रदूषण अधिक होने के कारण करीब ढाई लाख दम के मरीज है और पूरे भारत में तीन करोड़ अस्सी लाख मरीज है जो की तनावग्रस्त जिंदगी और वातावरण में प्रदूषण की वजह से अस्थमा के मरीजो की संख्या बढ़ी है जिसमे एनसीआर में बढ़ोत्तरी हुई है अकेले दिल्ली में पूरे जनसँख्या के 11 प्रतिशत अस्थमा के मरीज है।
डॉक्टर आशीष अग्रवाल चेस्ट फिजिशियन पूर्व प्रेजिडेंट आईएमए गाजियाबाद ने बताया कि दमे के बारे में एक और ग़लतफ़हमी है कि रोगियों को ऐसा लगता है कि वे अब व्यायाम या शारीरिक कामकाज नहीं कर पाएंगे, लेकिन सही उपचार हो तो दमा से ग्रस्त लोग स्वस्थ रह सकते हैं । दमा के रोगियों के लिए इनहेलर सबसे बढ़िया उपचार है इंजेक्शन ओर गोली से इनहेलर बेहतर इसलिए होते हैं क्योंकि इनसे दवा सीधे फेफड़ों में पहुंचती है और तेजी से असर की वजह से रोगियों को जल्द आराम मिलता है इंजेक्शन ओर गोली की अपेक्षा दुष्प्रभाव बहुत कम होते हैं ।