
गाजियाबाद : दिल्ली की रहने वाली 10वी क्लास की छात्रा इशानी ने गाजियाबाद के डासना इलाके में बच्चों के पढ़ने के लिए एक लाइब्रेरी खोलने में अपना योगदान दिया ।इस छात्रा ने अपनी पॉकेट मनी को तिनका तिनका जोड़कर लाइब्रेरी बनाने में अपना योगदान दिया है।
ये है 10वी क्लास में पढ़ने वाली 15 वर्षीय इशानी अग्रवाल।महज 15 साल की उम्र में इशानी ने जो कर दिखाया है वो अन्य लोगो के लिए नजीर है।आपको बता दे जिस उम्र में बच्चे अपनी पाकेट मनी का इस्तेमाल शौक पूरा करने के लिए करते हैं, उस उम्र में 10वीं की छात्रा ने जन्मदिन, रक्षाबंधन पर मिलने वाले रुपयों और पाकेट मनी से पैसों के कारण वंचित रह जाने वाले बच्चों के लिए एक किताब घर बनवाकर मिसाल पेश की है। किताब घर में 35 विद्यार्थी एक साथ बैठकर पढ़ाई कर सकते हैं। ऐसे में न केवल जिला प्रशासन बल्कि ग्रामीणों द्वारा भी छात्रा की खूब सराहना की जा रही है।



दिल्ली स्थित प्रीत विहार में रहने वाली ईशानी अग्रवाल के पिता आकाश हैं और मां सिरौना अग्रवाल गाजियाबाद स्थित आदित्य वर्ल्ड सिटी मैं एक निजी स्कूल मैं डायरेक्टर के पद पर है। ईशानी का शिक्षा से बहुत लगाव है, वह स्कूल की ओर से राजस्थान में टूर पर गईं तो वहां संसाधन के अभाव में शिक्षा से वंचित बच्चों को देखा, मन में भाव आया कि ऐसे बच्चों के लिए कुछ बेहतर करना चाहिए। फिर वह पाकेट मनी , दीपावली, रक्षाबंधन और जन्मदिन पर मिलने वाले रुपये की बचत करने लगी। ऐसा कर 1.50 लाख रुपये एकत्र कर लिए। तीन माह पहले ईशानी की मुलाकात माता-पिता के माध्यम से एक कार्यक्रम में एडीएम प्रशासन ऋतु सुहास से हुई। एडीएम को जरूरतमंद बच्चों की मदद के लिए अपनी पाकेट मनी खर्च करने की योजना के बारे में बताया और मार्गदर्शन मांगा। एडीएम प्रशासन ने ईशानी को डासना नगर पंचायत में स्थित सरकारी स्कूल के पास 15 साल से जर्जर पड़े बरात घर को किताब घर के रूप में तब्दील कराने के लिए कहा।


अब यह किताब घर बनकर तैयार हो चुका है स्वतंत्रता दिवस के मौके पर गाजियाबाद के डीएम द्वारा ध्वजारोहण करने के बाद किताब घर का उद्घाटन किया है साथ ही कहा है कि जिस बिल्डिंग में यह किताब घर बना है वह बेहद ही जर्जर हालत में था 10वीं की छात्रा ने इस किताब घर को अच्छे से रिनोवेट किया है साथ ही इस किताब घर में अनेकों प्रकार की बुक भी रखे जाएंगे जिससे छात्र छात्राएं यहां पर बैठकर ज्ञान अर्जित कर पाएंगे।
हालांकि अब ये किताबघर बनकर तैयार हो चुका है साथ ही इसमें अब पढ़ने के लिए बच्चों का आना जाना भी शुरू हो जाएगा मगर जिस तरह की सोच ने महज 15 साल की इशानी को इतना बड़ा काम करने के लिए प्रेरित किया उस सोच एवम इशानी के द्वारा किये गए कार्य की सराहना सभी लोग कर रहे हैं।