गाज़ियाबाद कमिश्नरेट पुलिस ने शुरू की “साक्ष्य आधारित विवेचना प्रणाली”, पारदर्शिता और निष्पक्षता को मिलेगा बल
गाज़ियाबाद: अपराधों की जाँच को अधिक वैज्ञानिक, पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की दिशा में गाज़ियाबाद पुलिस कमिश्नरेट ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। पुलिस आयुक्त महोदय द्वारा “साक्ष्य आधारित विवेचना प्रणाली” की औपचारिक शुरुआत की गई है, जो 6 मई 2025 से कमिश्नरेट के सभी थानों में लागू की जाएगी।
📌 क्या है साक्ष्य आधारित विवेचना प्रणाली?
इस प्रणाली का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि प्रत्येक अपराध की विवेचना वैज्ञानिक साक्ष्यों के आधार पर की जाए और जांच प्रक्रिया में किसी प्रकार की पक्षपात या अनियमितता न हो।
🔍 मुख्य विशेषताएँ:
- प्रत्येक अपराध के लिए “व्यक्तिगत पत्रावली” तैयार की जाएगी, जिसमें विवेचना के सभी 14 बिंदुओं पर विस्तार से विवरण होगा।
- पीड़ित द्वारा दिए गए प्रार्थना पत्र के आधार पर आरोप दर्ज करने के बाद पत्रावली के बिंदु 1 से 5 तक की जानकारी थाना प्रभारी/सहायक निरीक्षक द्वारा अंकित की जाएगी।
- FIR, CD की प्रतिलिपि, फोरेंसिक रिपोर्ट, अन्य दस्तावेज़ विवेचक को हस्तांतरित किए जाएंगे।
- विवेचक साक्ष्य एकत्रित कर बिंदु 6 से 14 तक पत्रावली में दर्ज करेगा, और केस डायरी सहित प्रतिलिपियाँ संलग्न करेगा।
- विवेचना प्रारंभ करने के साथ ही जांच योजना बनाई जाएगी और अनुमोदन की कार्यवाही की जाएगी।
- 1 मई 2025 से दर्ज सभी नए और पुराने लंबित मामलों की पत्रावलियाँ विवेचकों को सौंपी जाएँगी।
📚 जवाबदेही और पारदर्शिता:
- प्रत्येक विवेचना की समीक्षा संबंधित पर्यवेक्षण अधिकारी द्वारा की जाएगी।
- आवश्यकता अनुसार उच्चाधिकारियों से मार्गदर्शन भी लिया जाएगा।
- श्रेष्ठ कार्य करने वाले विवेचकों को पुरस्कृत किया जाएगा, वहीं लापरवाही बरतने वालों के विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई सुनिश्चित की जाएगी।
🧾 आरोप पत्र दाखिल करने की प्रक्रिया:
- विवेचक द्वारा आरोप पत्र या अंतिम रिपोर्ट प्रस्तुत करते समय संपूर्ण पत्रावली कार्यालय में जमा करनी होगी।
- थाना प्रभारी द्वारा उसे सरकारी दस्तावेज़ के रूप में संरक्षित किया जाएगा।
📌 क्या बदलेगा?
इस प्रणाली के तहत आरोप तय करने, धाराएं जोड़ने, नामजद अभियुक्तों के नाम जोड़ने या हटाने जैसी कार्यवाहियों के लिए पुलिस उपायुक्त/सहायक आयुक्त से अनुमति लेना अनिवार्य होगा। इससे विवेचना की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होगी।
गाज़ियाबाद कमिश्नरेट की यह पहल न केवल विवेचना प्रक्रिया को पारदर्शी बनाएगी, बल्कि पीड़ितों में न्याय के प्रति विश्वास को भी मजबूत करेगी। यह मॉडल आने वाले समय में प्रदेश के अन्य जिलों के लिए भी अनुकरणीय साबित हो सकता है।
– मीडिया सेल, पुलिस कमिश्नरेट गाज़ियाबाद