उत्तर प्रदेश वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस ने 25 भारतीय रॉक अजगर के बच्चों को बचाया!
एक सफल संयुक्त अभियान में, उत्तर प्रदेश वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस ने इटावा जिले के पाली गोकुलपुरा गांव में एक ट्यूबवेल से 25 अजगर के बच्चों को बचाया, जिन्हें बाद में सुरक्षित रूप से वापस उनके प्राकर्तिक आवास में छोड़ दिया गया। यह रेस्क्यू और रिलीज़ ऑपरेशन सरीसृपों की उपस्थिति के बारे में स्थानीय लोगों द्वारा दी गई कंप्लेंट के जवाब में करा गया था।
इंडियन रॉक पाइथन (अजगर) , जो भारत की मूल प्रजाति है, भारतीय कानून के तहत श्रेडी 1 में संरक्षित है। अपनी संरक्षित स्थिति के बावजूद, इन सरीसृपों को अक्सर मानवीय गतिविधियों से खतरों का सामना करना पड़ता है, जिसमें निवास स्थान, पालतू जानवरों के रूप में शिकार और आकस्मिक मुठभेड़ शामिल हैं। इन 25 बच्चों के अस्तित्व को सुनिश्चित करने के लिए ऐसे बचाव अभियान महत्वपूर्ण साबित होते हैं।
कोटेश कुमार त्यागी, क्षेत्रिये वनाधिकारी, इटावा ने बताया, “जैसे ही हमें सूचना मिली, हमने अपनी टीम को स्थान पर तैनात कर दिया। हम सफल रेस्क्यू और रिलीज़ अभियान में बहुमूल्य सहायता और त्वरित प्रतिक्रिया के लिए वाइल्डलाइफ एसओएस टीम के आभारी हैं।
बचाए गए बच्चों का वाइल्डलाइफ एसओएस की पशु चिकित्सा टीम द्वारा सावधानीपूर्वक मूल्यांकन किया गया और उन्हें अच्छे स्वास्थ्य में पाया गया। बाद में उन्हें उनके प्राकृतिक आवास में छोड़ दिया गया, जहां वे अच्छे से फल-फूल सकते हैं।
वाइल्डलाइफ एसओएस के सीईओ और सह-संस्थापक, कार्तिक सत्यनारायण ने इटावा वन विभाग के समय पर हस्तक्षेप के लिए आभार व्यक्त करते हुए कहा, “हमें इन युवा सरीसृपों के बचाव में वन विभाग की सहायता करने में खुशी हो रही है। क्षेत्र के पारिस्थितिक संतुलन को बनाए रखने के लिए उनका अस्तित्व महत्वपूर्ण है। हम जंगली जानवरों और उनके आवासों की सुरक्षा में वन विभाग के प्रयासों की सराहना करते हैं।”
वाइल्डलाइफ एसओएस के डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, बैजूराज एम.वी. ने कहा, “इन बच्चों को बचाना हमारी टीम के समर्पण और विशेषज्ञता को दर्शाता है। हम अपने संरक्षण प्रयासों में उत्तर प्रदेश वन विभाग के निरंतर समर्थन के लिए आभारी हैं।”
सफल बचाव अभियान मानव-वन्यजीव सह-अस्तित्व के महत्व और भारत की समृद्ध जैव विविधता की रक्षा के लिए चल रहे संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता पर प्रकाश डालता है।