“शिवांगी संगीत महाविद्यालय” में मासिक बैठक “ताल- तरंग” का आयोजन
मेरठ: गांधी नगर, गढ़ रोड स्थित शिवांगी संगीत महाविद्यालय में मासिक बैठक “ताल तरंग” का आयोजन किया गया। जिसके अन्तर्गत संस्थान के उदीयमान कलाकारों ने शास्त्रीय गायन एवं कथक नृत्य की मनमोहक एवं भावपूर्ण प्रस्तुतियों द्वारा सभी को मन्त्रमुग्ध किया।
संस्थान के अध्यक्ष राजेश शर्मा एवं संस्थान की निदेशिका, ऋचा शर्मा ने माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारम्भ किया, एवं शास्त्रीय संगीत की बैठक के समस्त प्रतिभागी छात्रों की श्रेष्ठ प्रदर्शन हेतु मुक्तकंठ से सराहना की तथा संस्थान के प्रधानाचार्य श्री राजा बलूनी ने सभी का आभार व्यक्त किया।
कार्यक्रम
1) गणेश – भजन – शिवांगी संगीत महाविद्यालय द्वारा आयोजित ताल- तरंग के अंतर्गत दादरा ताल में निबद्ध “गणेश – भजन” “प्रथम सुमिर श्री गणेश” की मनमोहक प्रस्तुति संस्थान के उदीयमान छात्रों आरोही बलूनी एवं कोविद बलूनी।
2) एकल नृत्य प्रस्तुति – “ताल तरंग” के अंतर्गत शुद्ध कथक नृत्य रूपकताल में निबद्ध “राम – भजन” “श्री राम चंद्र कृपालु भजमन” तथा धमार ताल 14 मात्रा के अंतर्गत चाला, थाट, उठान, आमद, परन, टुकड़ा, तोड़ा, तिहाई, आदि की लयात्मक प्रस्तुति संस्थान की उदीयमान छात्रा आरोही बलूनी द्वारा दी गई।
3) गुरु वंदना ” धरा गगन, चहूं दिशा” – शिवांगी संगीत महाविद्यालय द्वारा आयोजित “ताल- तरंग” की प्रस्तुति शुद्ध कथक नृत्य के अंतर्गत गुरु वंदना तथा तीनताल 16 मात्रा के अंतर्गत चाला, थाट, उठान, आमद, परन, टुकड़ा, तोड़ा, तिहाई आदि की लयात्मक प्रस्तुति संस्थान की छात्रा गुन गोयल द्वारा दी गई।
4) भवानी दयानी ( उप शास्त्रीय नृत्य) – मासिक बैठक ताल तरंग के अंतर्गत शिवांगी संस्थान की उदीयमान छात्रा वंशिका त्यागी ने शास्त्रीय नृत्य” भवानी दयानी “द्वारा मां दुर्गा एवं राक्षस महिषासुर के मध्य हुए युद्ध का कथक अंग में चित्रण किया ।
5) “अष्टपदी” (नाचत सुदंग )- शिवांगी संगीत महाविद्यालय की कथक नृत्य संरचनाओं के अन्तर्गत “अष्टपदी” (नाचत सुदंग ) की मनमोहक प्रस्तुति संस्थान की उदीयमान कलाकार प्रियांशी यादव द्वारा दी गई।
“नाचत सुदंग “बारहवी शताब्दी में सूरदास जी द्वारा रचित अष्टपदी कृष्ण भजनों में से एक है। अष्टपदी में श्री कृष्ण के मनमोहक सौन्दर्य का वर्णन किया गया है।
6) अष्टमंगल ताल एवं ठुमरी – कथक नृत्य के अंतर्गत अष्टमंगल 11 मात्रा की बंदिशें , चाला, थाट, उठान, आमद, परन, टुकड़े, तोड़े, तिहाइयां, कवित तथा अंत में ठुमरी “छाडो छाडो जी बिहारी” की सुन्दर प्रस्तुति संस्थान की उदीयमान छात्रा आयुश्री गुप्ता द्वारा दी गई।
समस्त उपस्थित जन ने मुक्तकंठ से सहारना की तथा कार्यक्रम का आनंद लिया।