मेरठ में एक बार फिर तेंदुए की दहशत पसर गई है । मेरठ के मोदीपुरम के गांव दुल्हैड़ा की ओर से होता हुआ शुक्रवार सुबह एक तेंदुआ पल्लवपुरम के क्यू पॉकेट के मकान नंबर 72 में घुस गया। जिससे परिवार में हड़कंप मच गया। बीते करीब 4 घंटों से मेरठ की इस रिहायशी कॉलोनी में तेंदुए का खौफ है । लोग अपने घरों में दुबके हुए हैं । तेंदुए ने 9 फीट ऊंची दीवार से छलांग लगाई और घर में जा छिपा । आसपास के लोगों में भगदड़ मच गई। सूचना पर पल्लवपुरम पुलिस और वन विभाग की टीम मौके पर पहुंची। तेंदुए के घर में घुसने के बाद आसपास के लोगों की भीड़ लगी है । डीएफओ राजेश कुमार ने बताया कि पल्लवपुरम फेस-2 में तेंदुआ होने की सूचना मिली है । सूचना के बाद वन विभाग की टीमों को तेंदुआ रेस्क्यू कराने के लिए रवाना किया गया है।
वहीं पुलिस ने वन विभाग को मामले की जानकारी दी है। एक घंटे बाद भी टीम मौके पर नहीं पहुंची। तेंदुए को सबसे पहले डॉ राजकुमार चौधरी ने भागते हुए देखा था। उन्हीं के शोर मचाने पर भीड़ एकत्रित हुई और तेंदुआ स्वप्निल के घर में घुस गया।
पहले तेंदुआ मकान में बंद था। यहां जाल लगाकर उसे कैद करने की कोशिश की गई। तेंदुआ जाल में फंस भी गया था लेकिन कुछ ही देर बाद वह जाल से निकलकर एक खाली प्लॉट में जा पहुंचा। इस दौरान तकरीबन 400 मीटर तक तेंदुआ दौड़ता रहा। हालांकि आसपास मौजूद भीड़ पर उसने हमला नहीं किया। तेंदुआ केवल अपनी जान बचाने के लिए दौड़ता रहा। अब फिर से तेंदुए को पकड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं। वन विभाग ने तेंदुए के पास प्लॉट में एक ही जाल लगाया लेकिन अब दूसरा जाल मंगवाया गया है। अब पल्लवपुरम फेज 2 मुख्य डिवाइडर रोड के पास एक प्लॉट जो खाली है उसमें तेंदुआ बैठा हुआ है जिसकी दोबारा से घेराबंदी की जा रही है।
तमाम दावों के बावजूद जब भी शहर में तेंदुआ आया, वन विभाग उसे पकड़ने में फेल साबित हुआ। संसाधनों के अभाव में तेंदुआ वन विभाग को धता बताकर लोगो की जान के लिए खतरा बनता रहा। 2018 में सदर स्थित लकड़ी की टाल में आया तेंदुआ वन कर्मियों की पकड़ में नहीं आया था और कई लोगों को घायल करते हुए कैंटोनमेंट अस्पताल में छिप गया था। घंटो की मशक्कत के बाद यहां से भी ऑपरेशन थिएटर का शीशा तोड़कर भाग गया था। इसके बाद इसे जीओसी मेस से पकड़ा जा सका था। यहां भी वन विभाग के संसाधन विहीन होने का पता लगा था और 5 साल बाद शुक्रवार को पल्लवपुरम फेस दो में भी वन विभाग की पोल खुल गई।
यहां वन विभाग कर्मी केवल एक जाल लेकर पहुंचे। उनके पास न कोई दूसरा जाल था और न ही उसे बेहोश करने के लिए ट्रेंकुलाइजर गन थी। करीब दस मिनट तक जाल में फंसे होने के बाद भी तेंदुआ घर से निकलकर डिवाइडर रोड पर एक खाली प्लाट में छिप गया। चार घंटे बाद हस्तिनापुर से अतिरिक्त जाल मंगाए गए। इसके बाद ही प्लाट को चारों तरफ से कवर किया जा सका।