
मेरठ : शिवांगी संगीत महाविद्यालय एवं कुबेर स्कूल स्थित शिवांगी संगीत महाविद्यालय की शाखा में गायन वादन एवं नृत्य की संगीत कार्यशाला दिनांक 24 मई 2022 से 10 जून 2022 तक आयोजित की जा रही है ।

कार्यशाला में छात्र-छात्राएं विभिन्न वर्गों के अंतर्गत भाग ले रहे हैं । कार्यशाला का शुभारंभ संस्थान की निर्देशिका रिचा शर्मा ने मां सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्वलन द्वारा किया । उन्होंने बताया कि संगीत की इस कार्यशाला के अंतर्गत छात्रों को गायन के अंतर्गत स्वर्ग लय ताल का बोध कराया जा रहा है। गायन वादन नृत्य की विधिवत कार्यशाला के अंतर्गत शास्त्रीय गायन कथक नृत्य एवं उप शास्त्रीय नृत्य की बारीकियों से छात्रों को अवगत कराया जा रहा है ।

शिवांगी संगीत महाविद्यालय में चल रही संगीत कार्यशाला के अंतर्गत रिचा शर्मा ने छात्रों को संबोधित करते हुए संगीत की विशेषताओं एवं महत्व को समझाया, अपने उद्बोधन में कहां की छात्रों को जीवन को अनुशासित कलात्मक एवं विकसित बनाने के लिए लय गति युक्त जीवन जीने की प्रेरणा प्राप्त कराने के लिए हमारी सांस्कृतिक धरोहरो के प्रति आने वाली पीढ़ी का रुझान बढ़ाने हेतु संगीत कार्यशाला का आयोजन करके शिवांगी संस्थान प्रयासरत है । इन्हीं आधारों पर समय-समय पर संगीत कार्यशालाओं का आयोजन संस्थान द्वारा किया जाता है ।

जयपुर घराने की विशिष्ट कलाकार एवं कथक गुरु रुचि बलूनी ने को कथक नृत्य की बारीकियों विशेषताओं एवं गुणों से अवगत कराया । गुरु रुचि बलूनी ने कथक की उत्पत्ति एवं इतिहास के बारे में छात्रों को अवगत कराया। उन्होंने बताया कि इस नृत्य शैली का नाम कत्थक इसलिए पड़ा इसका प्रचार कथा कहने वाली जाति कथा वाचक ने किया । 14 वी एवं15वी शताब्दी में कथावाचक लोग कथाओं को अधिक रोचक बनाने के लिए कथा के मध्य में मनोरंजन देने के लिए कथा के कुछ अंशों को मृत अभिनय द्वारा प्रस्तुत किया करते थे । इस नृत्य अभिनय से ही शास्त्रीय कथक नृत्य का जन्म हुआ । धीरे धीरे कथक नृत्य कथाओं से पृथक हो गया तथा स्वतंत्र रूप से होने लगा ।
