नोएडा : प्राचीन काल से पूजा प्रणाली का एक अभिन्न अंग रहा है। जप का अर्थ है दोहराव। जप के लिए माला आवश्यक है। माला जप में उपयोगी तो होती है, लेकिन उसमें एक विलक्षण दिव्यता भी होती है। नामजप करते समय क्या सावधानियां बरतनी चाहिए? माला कई प्रकार की होती है। आपको कौन सी माला पसंद है?
माला कई प्रकार की होती है। रुद्राक्ष तुलसी, वज्यंती, क्रिस्टल, मोती या रत्नों से बनता है। इनमें रुद्राक्ष की माला जाप के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है। क्योंकि इसका सीधा संबंध रुद्र यानी भगवान शिव से है। हार में मोतियों की संख्या कम से कम 27 या 108 होनी चाहिए, प्रत्येक मनके के बाद एक गाँठ बंधी हो।
एक माला में अनेक मनके होते हैं। इसका उपयोग इसलिए किया जाता है ताकि मंत्रों की संख्या की गणना की जा सके और नामजप में कोई गलती न हो। घोसले में 108 मनके होते हैं। ज्योतिष में 27 नक्षत्र होते हैं और प्रत्येक नक्षत्र में 4 चरण होते हैं। इनका गुणनफल 108 आता है, जो एक पवित्र अंक माना जाता है। संख्या 108 के महत्व को एक अन्य तरीके से भी देखा जा सकता है कि ब्रह्मांड 12 भागों में विभाजित है। इस प्रकार 12 राशियों और 9 ग्रहों का फल 108 होता है, अर्थात 108 का अंक अत्यंत रहस्यमय और दिव्य होता है।
सुमेरु को पार नहीं करना चाहिए
माला का ऊपरी भाग ‘सुमेरु’ नामक फूल के आकार का होता है। इसका विशेष महत्व है। माला गिनना सुमेरु से शुरू करना है और सुमेरु के बाद फिर से बंद कर देना चाहिए, यानी 108 का चक्र पूरा हो गया है। सुमेरु को माथे पर लगाएं, यह ब्रह्मा का रूप है। ऐसा माना जाता है कि सुमेरु ब्रह्मांड में सर्वोच्च स्थान रखता है। माला जप करते समय सुमेरु को पार न करें और माला को न मोड़ें। मालापूरी होने के बाद अपने इष्टदेव का स्मरण करें। ये सावधानियां बरतें
जब भी माला बनाएं तो माला को कपड़े से ढक देना चाहिए ताकि कोई घूमती हुई माला न देख सके। इसके अलावा गोमुखी का भी प्रयोग किया जा सकता है। मंत्र का जाप न तो बहुत तेज और न ही बहुत धीरे-धीरे करना चाहिए। जप करते समय मुख पूर्व या उत्तर दिशा में रखना चाहिए। जप करते समय हमेशा आसन पर बैठना चाहिए, सीधे जमीन को नहीं छूना चाहिए। मंत्र जाप से पहले हाथ में माला लेकर प्रार्थना करनी चाहिए ताकि जप सफल हो। मोती हमेशा अपने होने चाहिए। दूसरे के मोतियों का प्रयोग न करें। जिस माला से आप मंत्र जाप करते हैं वह माला नहीं पहननी चाहिए। जप करते समय भगवान के चार नामों स्वरूप, लीला और धाम में से किसी एक का मनन करना चाहिए।
माला करते समय अंगूठे और अनामिका को आपस में मिलाना चाहिए, फिर माला को मध्यमा अंगुली से और तर्जनी को ऊपर की ओर रखना चाहिए। इनका पालन करने से मंत्रों का जाप करने से लाभ होता है और मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।