पावस काव्य गोष्ठी में बरसे कविताओं के मनमोहक रंग

ग़ाज़ियाबाद: अखिल भारतीय साहित्य परिषद, महानगर इकाई, गाज़ियाबाद और देवप्रभा प्रकाशन के संयुक्त तत्वावधान में पावस काव्य गोष्ठी का आयोजन राजनगर एक्सटेंशन स्थित एम सी सी सिग्नेचर होम्स के क्लब में किया गया। गोष्ठी का शुभारंभ माँ सरस्वती के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित करके किया। तत्पश्चात डाक्टर भावना तिवारी की सरस्वती वंदना- माँ शारदे मन भीतर ज्ञान भंडार भर दे, के साथ हुआ I डाक्टर सुधीर त्यागी ने सावन पर दोहे कहे I जगदीश मीणा ने अपनी ग़ज़ल, बिना मोहब्बत जिस्म यह खंडहर पुराना हो गया, से सभी का दिल जीत लिया I सीमा सागर शर्मा ने प्रेम से भरा गीत ये आँखें बोल देती हैं, पढ़कर तालियां बटोरींI कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल एमके सेठ ने प्रभु शीघ्र जगो प्रार्थना के माध्यम से सभी श्रोताओं को आध्यात्म से जोड़ाI प्रसिद्ध दोहाकार मनोज कामदेव ने अपने दोहों से खूब समां बांधाI विशेष तौर पर उनके दोहे-एक तरफ तो भूख थी एक तरफ थी लाज, मालिक ने उसको यूँही नहीं दिया अनाज, पर श्रोताओं ने खूब वाहवाही दी। डॉ. तारा गुप्ता ने अपने चिरपरिचित अंदाज में ग़ज़ल कहीI प्रख्यात कवयित्री अंजू जैन की, जो सच के आईनों से बच कर निकल रहे हैं, ग़ज़ल को खूब सराहा गयाI डाक्टर अलका अग्रवाल ने अपनी रचना, दर्द बयां करने को शब्दों की जरूरत कहाँ है, से श्रोताओं को अपने साथ जोड़ा I गार्गी कौशिक ने वर्षा ऋतु पर गीत प्रस्तुत कियाI मोनू त्यागी मधुकर ने ओज की रचनाओं से गोष्ठी को एक अलग रंग दियाI








विशिष्ट अतिथि रवि कुमार ने तुम जो होते तो कुछ और बात होती, तुम्हारे बिना तो बारिश सिर्फ पानी है, ग़ज़ल कहकर श्रोताओं को जोड़ा I मंच संचालक ममता लड़ीवाल ने सावन की रिम झिम बूँदों ने मन मेरा हर्षाया है, गीत से वर्षा ऋतु का चित्र खींचाI अजीत श्रीवास्तव “नवीन ” ने बरस बरस कर बूंदे बरसायें प्रकृति का प्यार, गीत पढ़कर सावन मास के चित्रों को वर्णित कियाI मीनाक्षी शर्मा मुसाफ़िर ने भी अपनी रचनाओं से तालियां बटोरींI सुप्रसिद्ध कवयित्री भावना तिवारी ने किस मिट्टी के बने हुए हो, जगते हो न सोते हो, और ककहरा प्रेम का पढ़ते जैसे गीतों से कार्यक्रम को एक अलग ऊँचाई प्रदान कीI





देवप्रभा प्रकाशन के प्रकाशक व सुप्रसिद्ध कवि डाक्टर चेतन आनंद ने कठिन बड़े हों रास्ते, जटिल बड़ी हों मंज़िलें रचना पढ़कर श्रोताओं में जोश का संचार कर दियाI बुलन्दशहर से पधारे प्रख्यात कवि डॉ. आलोक बेज़ान ने अपने अंदाज में चार-चार मिसरों से अलग-अलग रंग प्रस्तुत कियेI अखिल भारतीय साहित्य परिषद मेरठ प्रांत के अध्यक्ष व कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि देवेन्द्र देव मिर्जापुरी ने ने रिमझिम रिमझिम काले मेघ बरसते हैं जी, मल्हार के माध्यम से गोष्ठी प्रांगण में बादलों का सजीव रूप प्रस्तुत कर दिया I वीडियो संदेश के माध्यम से प्रमोद कुमार कुश भी मुंबई से जुड़े और अपनी ग़ज़ल पेश की I कार्यक्रम के आखिर में इकाई की अध्यक्ष सुप्रसिध्द कवयित्री डाक्टर रमा सिंह ने तुम आओ न एक बार, गीत से श्रोताओं के मध्य प्रेम की पराकाष्ठा का चित्रण किया I

#INDIANTHEM..sing for India, It’s not just a competition, it’s an expression of your feelings for your motherland, for its beauty, for its character, for its culture, for its tradition, for its glorious history, for its freedom fighters, for its developing present and for its bright future.
So, let’s participate with lot of vigor and let the world hear your voice in reverence for your nation.
Local Post and 1857 REVOLTEAM supports every voice which speaks for India.
कार्यक्रम के समापन पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद, महानगर इकाई, गाज़ियाबाद के सचिव अजीत श्रीवास्तव और देवप्रभा प्रकाशन के प्रकाशक डाक्टर चेतन आनंद ने गोष्ठी को सफल बनाने के लिए सभी का आभार व्यक्त किया I