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खेत में मिले विशाल मगरमच्छ को देख किसानों के उड़े होश ! वाइल्डलाइफ एसओएस और वन विभाग ने किया रेस्क्यू

फिरोजाबाद के नगला मान सिंह गांव में सुबह के समय जब किसान अपने खेतों में सिंचाई के लिए गए, तो उन्हें एक चौंका देने वाला नज़ारा दिखाई दिया। उनके खेत में 8 फीट लंबा मगरमच्छ आराम फरमा रहा था। वाइल्डलाइफ एसओएस और वन विभाग द्वारा पूर्व में किए गए मगरमच्छ रेस्क्यू के अनेक प्रयासों से परिचित किसानों ने तुरंत वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस की इमरजेंसी हेल्पलाइन (+91 9917109666) पर कॉल कर मदद की गुहार लगाईं।

किसानों के मुताबिक, पास की नहर से निकल यह मगरमच्छ खेतों में प्रवेश कर गया था। लोगों ने सहायता के लिए तुरंत वन विभाग और वाइल्डलाइफ एसओएस को इसकी सूचना दी। वन्यजीव संरक्षण संस्था की तीन सदस्यीय रेस्क्यू टीम तुरंत घटना स्थल पर पहुंची और 2 घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद मगरमच्छ को सुरक्षित रूप से उसके प्राकृतिक आवास में स्थानातरित किया।

किसानों ने बताया कि सुबह खेत पर जाते समय उन्हें यह मगरमच्छ वहां घूमता दिखाई दिया। वाइल्डलाइफ एसओएस की टीम ने स्थान पर पहुंचकर स्थिति का जायज़ा लेने के पश्च्यात सावधानीपूर्वक मगरमच्छ को पिंजरे के अंदर कैद किया। इसके बाद, संस्था के पशु चिकित्सा टीम ने मौके पर ही मेडिकल जांच कर उसे रिलीज़ के लिए फिट घोषित किया, जिसके बाद मगरमच्छ को उसके प्राकृतिक पर्यावरण में वापस छोड़ दिया गया।

वाइल्डलाइफ एसओएस के सह-संस्थापक और सीईओ, कार्तिक सत्यनारायण ने कहा, “पानी के विभिन्न स्त्रोत नज़दीक होने के कारण मगरमच्छ अनजाने में कभी-कभी खेतों या आवासीय परिसरों में प्रवेश कर जाते हैं। हमारे जागरूकता अभियानों के कारण अब लोग अधिक सतर्क हो रहे हैं और हमें मदद के लिए कॉल करते हैं, जो कि हमारे प्रयासों का सकारात्मक परिणाम है।”

वाइल्डलाइफ एसओएस की सह-संस्थापक और सचिव, गीता शेषमणि ने कहा, “प्रकृति हमेशा, मौजूद जीव जंतुओं की एहमियत और उनकी उपस्थिति का एहसास कराती रहती है। किसानों की प्रतिक्रिया यह दर्शाती है कि शिक्षा और जागरूकता के माध्यम से हम सह-अस्तित्व की भावना को बढ़ावा दे सकते हैं। वाइल्डलाइफ एसओएस इस समझ को फैलाने के लिए अपने संरक्षण के प्रयास में प्रतिबद्ध है।”

बैजूराज एम.वी, डायरेक्टर कंज़रवेशन प्रोजेक्ट्स, वाइल्डलाइफ एसओएस ने कहा, “मगरमच्छ सामान्यतः तब तक आक्रामक नहीं होते जब तक उन्हें उकसाया न जाए, 1972 के वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची I के तहत यह संरक्षित हैं। जल स्रोतों में बदलाव और उनके आवास में अतिक्रमण के कारण इनका खेतों में आना सामान्य हो गया है।

Umesh Kumar

Umesh is a senior journalist with more than 15 years of experience. Freelance photo journalist with some leading newspapers, magazines, and news websites and is now associated with Local Post as Consulting Editor

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