उफ़! मेरठ में कुत्तों का दहशत, डॉक्टरों ने शुरू की बात- क्यों न पकड़े जाएं, कितने इंजेक्शन लगाऊं

मेरठ : हेलो डॉक्टर साहब… मेरे बेटे को कुत्ते ने काट लिया है, क्या उसे इंजेक्शन दिया जाएगा? मुझे क्या करना चाहिए…यहाँ हर दिन इंजेक्शन खत्म हो रहा है। मुझे कितने लगाना चाहिए? तुम लोग कुत्तों को पकड़ क्यों नहीं लेते? यह डायलॉग एक डॉक्टर और एक मरीज के बीच का है, जिससे साफ होता है कि स्थिति कितनी भयावह है। जब आप घर से बाहर निकलें तो अपनी सुरक्षा स्वयं करें। आवारा कुत्ते कहीं भी हमला कर सकते हैं।
300 से अधिक इंजेक्शन
पहले जिला अस्पताल में रोजाना 100-125 लोगों को एंटी रैबीज के इंजेक्शन दिए जाते थे, लेकिन अब यह आंकड़ा बढ़कर 140-150 हो गया है। जबकि जिले में प्रतिदिन 300 से अधिक इंजेक्शन लगाए जा रहे हैं।
सड़कों पर कुत्ते अधिक आक्रामक
पिछले माह सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर जब इंजेक्शन खत्म हुआ तो मरीज जिला अस्पताल पहुंचने लगे। कुत्ते के काटने के मामले इतने बढ़ गए कि जिला अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड में एंटी रैबीज इंजेक्शन लगवाने पड़े। पुराने मोहल्लों की संकरी गलियों में कुत्ते अधिक आक्रामक होते हैं क्योंकि वाहनों के आवागमन में वृद्धि हुई है। मछली बाजारों और मांस की कटाई के पास रहने वाले कुत्ते अधिक काटते हैं।
80 फीसदी बाजार से ले रहे इंजेक्शन
एक बड़ी आबादी को रेबीज संक्रमण का खतरा है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में एंटी रैबीज इंजेक्शन का सेवन किया जाता है। फार्मासिस्ट रजनीश कौशल का कहना है कि ऐसे हालात होते हैं जब 80 फीसदी लोग कुत्ते के काटने के बाद बाजार से एंटी रैबीज इंजेक्शन लेते हैं। अगर वे जिला अस्पताल और सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में जाएंगे तो इंजेक्शन की भारी कमी हो जाएगी.

जिला अस्पताल में उपलब्ध 1320 शीशियां
एसआईसी डॉ. एसके नंदा ने बताया कि स्टॉक में 1320 शीशियां उपलब्ध हैं, जिनमें से 6600 लोगों को इंजेक्शन लगाया जा सकता है. शहर में 26 स्वास्थ्य केंद्र हैं, लेकिन वे एंटी रैबीज इंजेक्शन नहीं देते हैं। वहीं, ग्रामीण क्षेत्रों में कार्यरत 12 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में प्रतिदिन 170 से 190 लोगों को इंजेक्शन दिए जाते हैं। सीएमओ की दवा की दुकान में सिर्फ 131 शीशियां ही बची हैं। जल्द ही लखनऊ से मेरठ तक 1100 शीशी के इंजेक्शन उपलब्ध कराए जाएंगे।
कुत्ते के काटने पर क्या करें
- घाव को बहते पानी में साबुन से 30 मिनट तक धोएं। इससे वायरस बाहर निकल जाएगा।
- अगर कुत्ते को पेट या गले में काट लिया गया है तो विशेष सावधानी बरतें। रेबीज का वायरस दिमाग में तेजी से पहुंचता है।तुरंत टिटनेस का इंजेक्शन लगवाएं।
- बिल्ली, कुत्ता, सियार, लकड़बग्घा, बाघ, शेर, बंदर, चूहा, गिलहरी, नेवला और संक्रमित गाय
- भैंस के काटने से भी रेबीज हो सकता है।
- पहला इंजेक्शन जीरो-डे में यानि 24 घंटे के अंदर दिया जाना चाहिए। तीन इंजेक्शन के लिए कुत्ते पर नजर रखें।
- रेबीज वाले कुत्तों की पहचान करें और बच्चों को शिक्षित करें। संक्रमित कुत्ते दौड़ते रहते हैं। मुंह से लार गिरती रहती है और हर चीज पर झपटती है।
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