सीजे डीएवी सैंटेनरी पब्लिक स्कूल, मेरठ में रक्तदान शिविर और विज्ञान-कला प्रदर्शनी का सफल आयोजन

मेरठ। सीजे डीएवी सैंटेनरी पब्लिक स्कूल, मेरठ में आर्य समाज, थापर नगर से संबद्ध होकर तथा इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) के सहयोग से ‘रक्तदान महादान’ शिविर का आयोजन किया गया। इस अवसर पर विद्यालय परिसर में विज्ञान, गणित और कला प्रदर्शनी का भी भव्य आयोजन हुआ, जिसमें विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिभा और सृजनात्मकता का शानदार प्रदर्शन किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ मुख्य अतिथि डॉ. विरोत्तम तोमर, आईएमए अध्यक्ष मनीषा त्यागी, आईएमए सचिव विकास गुप्ता और आर्य समाज, थापर नगर के प्रमुख श्री राजेश सेठी द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया।
‘रक्तदान महादान’ — एक जीवनदायी पहल
शिविर का उद्देश्य समाज में रक्तदान के प्रति जागरूकता फैलाना और लोगों को इस महान कार्य में सहभागी बनाना था। आयोजन के दौरान लगभग 40 लोगों ने रक्तदान कर मानवता की मिसाल पेश की। विद्यालय के शिक्षकों, अभिभावकों और स्थानीय नागरिकों ने उत्साहपूर्वक भाग लेकर इस पुनीत कार्य को सफल बनाया।
प्रधानाचार्या अपर्णा जैन ने कहा कि “रक्तदान वास्तव में जीवनदान है — यह सेवा की सर्वोच्च अभिव्यक्ति है।” उन्होंने सभी रक्तदाताओं और सहयोगियों का आभार व्यक्त किया।
ज्ञान और सृजन का संगम — प्रदर्शनी बनी आकर्षण का केंद्र
इसी अवसर पर विद्यालय में आयोजित गणित, विज्ञान और कला प्रदर्शनी ने आगंतुकों का ध्यान अपनी ओर खींचा।
- गणित विभाग के विद्यार्थियों ने ज्यामिति, अनुपात, माप और पैटर्न से जुड़े मॉडल प्रस्तुत कर खूब सराहना पाई।
- विज्ञान विभाग ने कार्यशील (वर्किंग) मॉडल्स के माध्यम से वैज्ञानिक सोच और नवाचार का परिचय दिया।
- कला विभाग के विद्यार्थियों ने अपनी रंगीन कल्पनाशीलता से प्रदर्शनी को जीवंत बना दिया।
आगंतुक अभिभावकों और अतिथियों ने विद्यार्थियों की रचनात्मकता और विद्यालय की समग्र शिक्षा पद्धति की प्रशंसा की।
प्रेरणा और नेतृत्व
यह आयोजन डीएवी स्कूल, यूपी जोन-ए की क्षेत्रीय अधिकारी डॉ. अल्पना शर्मा की प्रेरणा तथा विद्यालय की प्रधानाचार्या अपर्णा जैन के कुशल नेतृत्व में संपन्न हुआ।
प्रधानाचार्या ने कहा कि “ऐसे आयोजन विद्यार्थियों में सामाजिक संवेदना और वैज्ञानिक दृष्टिकोण दोनों को सशक्त करते हैं।”
रक्तदान शिविर और प्रदर्शनी के इस सफल संयोजन ने न केवल शिक्षा और सेवा का सुंदर समन्वय प्रस्तुत किया, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि विद्यालय केवल ज्ञान का केंद्र नहीं, बल्कि समाज सेवा और मानवीय मूल्यों का भी प्रेरक स्थल है।