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रोग बदलूं कि मैं दवा बदलूं – जश्ने अदब द्वारा इंडिया इंटरनेशन सेंटर में भव्य कवि सम्मेलन का हुआ आयोजन

नई दिल्ली। जश्ने अदब द्वारा इंडिया इंटरनेशन सेंटर, नई दिल्ली के सभागार में पद्मभूषण गोपाल दास नीरज की स्मृतिशेष को समर्पित एक भव्य कवि सम्मेलन / मुशायरा आयोजित किया गया। जिसकी अध्यक्षता वरिष्ठ शायर फ़रहत एहसास ने की। अनस फ़ैज़ी के कुशल मंच संचालन में सभी कवियों / शायरों ने शानदार काव्यपाठ करके श्रोताओं की वाह वाही लूटी।

वरिष्ठ शायर विज्ञान व्रत ने अपने चिर परिचित अंदाज में पढ़ा –
मैं था तनहा एक तरफ़,
और ज़माना एक तरफ़।
तू जो मेरा हो जाता,
मैं हो जाता एक तरफ़।

प्रख्यात शायर दीक्षित दनकौरी ने पुरकशिश तरन्नुम में अपना काव्य पाठ किया –
राह बदलूं कि क़ाफ़िला बदलूं,
इससे बहतर है रहनुमा बदलूं।
दर्द जाता नहीं ऐ चारागर,
रोग बदलूं कि मैं दवा बदलूं।

मशहूर शायर गोविन्द गुलशन ने पढ़ा –
दिल है उसी के पास, हैं सांसें उसी के पास,
देखा उसे तो रह गईं आँखें उसी के पास।
बुझने से जिस चराग़ ने इंकार कर दिया,
चक्कर लगा रहीं हैं, हवाएं उसी के पास।

कार्यक्रम के संयोजक कुंअर रंजीत चौहान ने पढ़ा –
रंजीत भाई आपका खोना कमाल है,
उस पर कमाल आपके जैसा तलाशना।

अज़्म शाकिरी ने पढ़ा –
लाखों सदमे ढेरों ग़म,
फिर भी नहीं हैं आँखें नम।

जावेद मुशीरी ने कहा –
अपनी आंखों को गुनाहगार नहीं कर सकता,
मैं किसी और का दीदार नहीं कर सकता।

करीब 3 घंटे तक चले इस शानदार कवि सम्मेलन में पवन (आईएएस), शिखा पचौरी, डॉ.ओम निश्चल, डॉ.बिनोद सिन्हा, ज्योति आज़ाद खत्री, अश्विनी कुमार ‘चांद’, रामायण धर द्विवेदी ने भी अपने काव्यपाठ से श्रोताओं का मन मोह लिया।

Deepak Tyagi

वरिष्ठ पत्रकार, स्तंभकार, रचनाकार व राजनीतिक विश्लेषक ईमेल आईडी :- deepaklawguy@gmail.com, deepaktyagigzb9@gmail.com टविटर हैंडल :- @DeepakTyagiIND

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