राजनगर में श्री रामलीला महोत्सव 16 सितंबर से, डांडिया नाइट से गूंजेगी शुरुआत – हाईटेक मंचन और भव्य शोभा यात्रा मुख्य आकर्षण

गाज़ियाबाद | 13 सितंबर 2025
गाजियाबाद के राजनगर में इस वर्ष श्री रामलीला महोत्सव का आयोजन और भी भव्य स्वरूप में होने जा रहा है। श्री रामलीला समिति राजनगर (रजि.) की ओर से 16 सितंबर से डांडिया नाइट के साथ महोत्सव का शुभारंभ होगा। समिति के मुख्य संरक्षक जितेन्द्र यादव और अध्यक्ष जयकुमार गुप्ता ने बताया कि इस बार आयोजन में पारंपरिक आस्था के साथ-साथ तकनीकी आकर्षण भी जोड़ा गया है।
भक्ति और संस्कृति का संगम
17 सितंबर को खाटू श्याम महोत्सव और 18 सितंबर को गणेश पूजन एवं शोभा यात्रा के साथ रामलीला मेले की शुरुआत होगी। अध्यक्ष जयकुमार गुप्ता ने कहा कि भगवान श्रीराम केवल आराध्य ही नहीं, बल्कि सनातन संस्कृति के आधार स्तंभ भी हैं।
“उनका चरित्र सदियों बाद भी हम सबके लिए प्रेरणा का स्रोत है। पुरानी पीढ़ी जहां श्रद्धा से उनकी लीला का रसास्वादन करती है, वहीं नई पीढ़ी उनके आदर्शों से प्रेरणा लेने का प्रयास करती है,” उन्होंने कहा।
पहली बार सीता जन्म का मंचन
समिति के महामंत्री सीए दीपक मित्तल ने जानकारी दी कि इस बार पहली बार सीता जी के जन्म का मंचन किया जाएगा। 19 सितंबर को सती मोह, शिव विवाह और नारद मोह के प्रसंगों का मंचन होगा।
23 सितंबर को भगवान श्रीराम की भव्य बारात निकाली जाएगी जो राजनगर के विभिन्न सेक्टरों से गुजरकर सेक्टर-10 चौराहे पर राम-जानकी विवाह उत्सव में परिवर्तित होगी। कन्यादान की रस्म भी परंपरागत रूप से निभाई जाएगी।
दशहरा और भव्य आतिशबाजी
2 अक्टूबर को दशहरे पर रावण दहन होगा, जबकि 3 अक्टूबर को भरत मिलाप, श्रीराम राज्याभिषेक और आतिशबाजी का आयोजन किया जाएगा। महोत्सव का समापन 4 अक्टूबर को कवि सम्मेलन के साथ होगा।
मेले में आकर्षण और सुविधाएं
मेला प्रबंधक एस.एन. अग्रवाल ने बताया कि मेले में आकर्षक स्टॉल, खानपान के उच्च गुणवत्ता वाले स्टॉल और बच्चों के लिए झूले लगाए जाएंगे। समिति की ओर से पहली बार स्मारिका का भी प्रकाशन किया जाएगा।
गणमान्य व्यक्तियों की मौजूदगी
इस मौके पर कोषाध्यक्ष आर.के. शर्मा, मुख्य संयोजक राकेश मिश्रा, पार्षद प्रवीण चौधरी, संस्थापक सदस्य नरेश सिंगल, संगठन मंत्री अमरीश कुमार त्यागी, मुख्य सलाहकार अनिल कुमार, स्वागत अध्यक्ष योगेश गोयल सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद रहे।
यह आयोजन न केवल धार्मिक आस्था बल्कि सामाजिक एकता, संस्कृति और पारिवारिक सहभागिता का प्रतीक बनने जा रहा है।