राजनगर एक्सटेंशन में हुआ चांद का दीदार, सुहागिन महिलाओं में छाई खुशी की लहर

गाजियाबाद। सोमवार रात करवाचौथ का पावन पर्व राजनगर एक्सटेंशन में उल्लास और श्रद्धा के साथ मनाया गया। पूरे दिन व्रत रखकर अपने पतियों की लंबी उम्र की कामना करने वाली सुहागिन महिलाएं शाम से ही आसमान की ओर निहारती रहीं। बादलों की ओट से उम्मीदें कुछ समय के लिए थमी रहीं, लेकिन जैसे ही रात 8:27 बजे चांद ने अपनी रौशनी बिखेरी, महिलाओं के चेहरे खुशी से खिल उठे।
चांद के दीदार के साथ ही शहर की छतों और बालकनियों से पूजा की थालियों की घंटियों की मधुर ध्वनि गूंज उठी। महिलाओं ने छलनी से चांद को देखकर फिर पति के चेहरे का दर्शन किया और अर्घ्य अर्पित कर अपने व्रत का पारंपरिक विधि से समापन किया। मिठाइयों के साथ “करवाचौथ व्रत कथा” के गीतों ने वातावरण को और अधिक पवित्र बना दिया।

🌕 करवाचौथ का ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व
करवाचौथ भारतीय संस्कृति का एक प्राचीन पर्व है, जिसकी जड़ें महाभारत काल तक जाती हैं। माना जाता है कि पांडव पुत्र अर्जुन के वनवास पर जाने के समय द्रौपदी ने भगवान कृष्ण से मार्गदर्शन मांगा था। तब कृष्ण ने उन्हें करवाचौथ व्रत करने की सलाह दी, जिससे पति की रक्षा और दीर्घायु सुनिश्चित होती है।
“करवा” का अर्थ मिट्टी का पात्र है और “चौथ” का अर्थ चौथी तिथि से है, यानी यह पर्व कार्तिक महीने की कृष्ण पक्ष की चौथ को मनाया जाता है। यह न केवल वैवाहिक प्रेम का प्रतीक है, बल्कि भारतीय स्त्रियों के आस्था, त्याग और समर्पण का उत्सव भी है।
समय के साथ करवाचौथ ने धार्मिकता के साथ-साथ सामाजिक और सांस्कृतिक रूप भी धारण किया है। उत्तर भारत के राज्यों – उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, दिल्ली और राजस्थान, में यह पर्व विशेष उत्साह से मनाया जाता है। आज यह न केवल ग्रामीण परंपरा तक सीमित है, बल्कि शहरी समाज और नई पीढ़ी की महिलाओं के बीच भी गर्व और उत्सव का प्रतीक बन चुका है।


💫 राजनगर एक्सटेंशन में उत्सव का रंग
राजनगर एक्सटेंशन की विभिन्न सोसाइटियों में महिलाओं ने समूहिक रूप से सजावट, पूजा और गीतों के कार्यक्रम आयोजित किए। पारंपरिक पोशाकों, गहनों और मेहंदी से सजी महिलाओं ने एक-दूसरे के संग करवाचौथ की कथा साझा की और लोकगीतों पर नृत्य किया।
संध्या के समय मंदिरों में भी विशेष पूजा-अर्चना की गई। कई सामाजिक संगठनों और रेजिडेंट वेलफेयर एसोसिएशनों (RWA) ने सामूहिक पूजन का आयोजन किया।

🌸 करवाचौथ: प्रेम और परंपरा का संगम
यह पर्व भारतीय नारी के श्रद्धा, प्रेम और तपस्या का प्रतीक है , एक ऐसा अवसर जब नारी शक्ति अपने परिवार की समृद्धि और पति की दीर्घायु के लिए निस्वार्थ भाव से व्रत रखती है। चांद के दीदार के साथ करवाचौथ का यह पर्व हर वर्ष यह याद दिलाता है कि प्रेम, विश्वास और आस्था किसी भी रिश्ते की सबसे मजबूत नींव हैं।



