
गाजियाबाद : राज नगर एक्सटेंशन स्थित एसजी ग्रैंड सोसाइटी करवाचौथ के पावन अवसर पर रंगों, रौशनी और पारंपरिक उल्लास से झिलमिला उठी। इस अवसर पर सोसाइटी की महिलाओं ने करवाचौथ व्रत को न केवल धार्मिक श्रद्धा से निभाया बल्कि इसे सांस्कृतिक एकता और नारी सशक्तिकरण का प्रतीक भी बना दिया।
पूरे दिन निर्जला व्रत रखने के बाद शाम को जब चाँद के दीदार का समय आया, तो सोसाइटी की छतों और बालकनियों से पूजा की थालियों की घंटियाँ और गीतों की गूंज वातावरण को आध्यात्मिक बना रही थी। पारंपरिक वस्त्रों में सजी महिलाओं ने भगवान शिव-पार्वती की पूजा की, करवाचौथ की कथा सुनी और चाँद को अर्घ्य अर्पित कर पति के दीर्घायु जीवन की कामना की।
🌕 सांस्कृतिक रंग में रंगा आयोजन
इस वर्ष करवाचौथ को एसजी ग्रैंड सोसाइटी की महिलाओं ने एक अनोखे सांस्कृतिक समारोह के रूप में मनाया। हिंदी कथा सोसायटी मंदिर के सम्मानित पंडित जी और पंजाबी कथा सोसायटी की श्रीमती रंजना शर्मा ने करवाचौथ कथा का वाचन किया, जिसे सुनकर उपस्थित महिलाएं भावविभोर हो गईं। कथा के माध्यम से न केवल धार्मिक भावना जाग्रत हुई, बल्कि वैवाहिक प्रेम और त्याग की भारतीय परंपरा का भी सुंदर स्मरण हुआ।

💫 महिलाओं ने निभाई नेतृत्व की भूमिका
इस आयोजन की तैयारी और प्रबंधन की जिम्मेदारी पूरी तरह सोसाइटी की महिला समिति और एसोसिएशन के सदस्यों ने संभाली। साज-सज्जा से लेकर पूजा सामग्री, कथा वाचन और सामूहिक आरती तक, हर कार्य में महिलाओं की सक्रिय भूमिका रही। आयोजन की रूपरेखा तैयार करने में एसजी ग्रैंड एसोसिएशन की टीम ने विशेष योगदान दिया, जिससे यह कार्यक्रम न केवल सफल रहा बल्कि सामुदायिक सौहार्द का उदाहरण भी प्रस्तुत कर गया।
🌸 करवाचौथ का ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व
करवाचौथ का पर्व भारत की प्राचीन परंपराओं में से एक है, जिसकी जड़ें महाभारत काल तक जाती हैं। माना जाता है कि इस व्रत की शुरुआत द्रौपदी ने भगवान श्रीकृष्ण के कहने पर की थी, जब अर्जुन वनवास पर गए थे। ‘करवा’ यानी मिट्टी का पात्र और ‘चौथ’ यानी चौथी तिथि — यह संयोजन उस प्रेम, समर्पण और त्याग का प्रतीक है जो भारतीय नारी अपने परिवार और जीवनसाथी के लिए करती है।
आज यह पर्व केवल धार्मिक आस्था तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नारी सशक्तिकरण, आत्मबल और सामूहिक एकता का भी प्रतीक बन चुका है। राज नगर एक्सटेंशन जैसे शहरी क्षेत्रों में ऐसे आयोजन यह दर्शाते हैं कि आधुनिक समाज में भी भारतीय परंपराओं की जड़ें गहरी और जीवंत हैं।

कार्यक्रम के अंत में सोसाइटी परिसर में सभी ने एक-दूसरे को शुभकामनाएँ दीं और करवाचौथ के इस पवित्र पर्व को प्यार, आस्था और एकता के साथ मनाया।



