Meerut

लाला लाजपत राय मेडिकल कॉलेज मेरठ में वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे धूमधाम से मनाया गया

मेरठ, 16 अक्टूबर। लाला लाजपत राय स्मारक मेडिकल कॉलेज मेरठ में गुरुवार को वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ कॉलेज के प्राचार्य डॉ. आर.सी. गुप्ता, एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विपिन धामा और संकाय सदस्यों ने केक काटकर किया। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. आर.सी. गुप्ता ने कहा कि किसी भी सर्जरी से पहले मरीज को बेहोश करना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी है कि एनेस्थीसिया देने वाले डॉक्टर को मरीज की मेडिकल हिस्ट्री की पूरी जानकारी हो। उन्होंने कहा कि लापरवाही की स्थिति में ऑपरेशन टेबल पर ही मरीज की जान खतरे में पड़ सकती है। इसी वजह से वर्ल्ड एनेस्थीसिया डे के अवसर पर डॉक्टर अब जनजागरूकता अभियान भी चला रहे हैं। तेजी से विकसित होते मेडिकल साइंस और तकनीकी के दौर में एनेस्थीसिया देने की विधियां भी आधुनिक हो रही हैं।

एनेस्थीसिया विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. विपिन धामा ने बताया कि हर साल 16 अक्टूबर को विश्व एनेस्थीसिया दिवस मनाया जाता है। 1846 में इसी दिन बोस्टन में डॉ. विलियम मॉर्टन ने पहली बार जनरल एनेस्थीसिया का सफल उपयोग किया था। तब से अब तक एनेस्थीसिया के क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव हुए हैं।

विभाग के आचार्य डॉ. सुभाष दहिया ने कहा कि मेडिकल कॉलेज का प्री एनेस्थेटिक क्लिनिक मरीजों की सर्जरी से पहले की जांच और तैयारी का अहम केंद्र है, जो मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करता है। यहां मरीज की मेडिकल हिस्ट्री, शारीरिक जांच, लैब टेस्ट और जोखिम मूल्यांकन किया जाता है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य ऑपरेशन थिएटर में किसी भी अप्रत्याशित समस्या से बचाव करना है। उन्होंने बताया कि जांच के दौरान मरीज के वज़न, ब्लड प्रेशर, पल्स रेट, ऑक्सीजन लेवल (SpO2), तापमान और श्वसन दर की नियमित निगरानी की जाती है।

डॉ. योगेश मणिक ने बताया कि आईसीयू में गंभीर रूप से बीमार मरीजों जैसे श्वसन विफलता, हृदय गति रुकना, मल्टी-ऑर्गन फेल्योर, या बड़े ऑपरेशन के बाद की जटिलताओं का इलाज किया जाता है। इन सभी स्थितियों में एनेस्थीसिया विशेषज्ञ की भूमिका बेहद अहम होती है, क्योंकि उन्हें शरीर की विभिन्न प्रणालियों जैसे श्वसन, हृदय, द्रव संतुलन और दवाओं के प्रभाव की गहरी समझ होती है। उन्होंने कहा कि अब मेडिकल कॉलेज मेरठ में अल्ट्रासाउंड-निर्देशित क्षेत्रीय संज्ञाहरण और आईसीयू में फेफड़ों का अल्ट्रासाउंड तथा बेड साइड इको का प्रशिक्षण भी शुरू किया गया है। साथ ही, इंडियन कॉलेज ऑफ एनेस्थेसियोलॉजिस्ट के तत्वावधान में रीजनल एनेस्थीसिया और ऑब्स्टेट्रिक्स फेलोशिप कार्यक्रम भी संचालित किए जा रहे हैं।

कार्यक्रम के दौरान डॉ. सुभाष दहिया के नेतृत्व में 57 नर्सिंग विद्यार्थियों को NELS (बेसिक लाइफ सपोर्ट) का प्रशिक्षण दिया गया, जबकि क्लिनिकल सोसाइटी के सहयोग से 23 एमबीबीएस विद्यार्थियों को सीपीआर (कार्डियो पल्मोनरी रीससिटेशन) की ट्रेनिंग दी गई।

अब मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए मेडिकल कॉलेज में Depth of Anaesthesia Monitors (BIS), Neuromuscular Monitoring और Target Controlled Infusion (TCI) जैसी आधुनिक तकनीकें भी उपलब्ध हैं, जो मरीज की जरूरत के अनुसार एनेस्थीसिया की मात्रा को एडजस्ट करती हैं। इससे मरीज की रिकवरी तेज़ और स्मूथ होती है।

कार्यक्रम में मेडिकल कॉलेज के संकाय सदस्य, सीनियर और जूनियर रेजिडेंट, नर्सिंग स्टाफ और अन्य कर्मचारी उपस्थित रहे। अंत में प्राचार्य डॉ. आर.सी. गुप्ता ने इस कार्यक्रम के सफल आयोजन के लिए विभागाध्यक्ष डॉ. विपिन धामा और उनकी पूरी टीम को शुभकामनाएँ दीं।

Munish Kumar

Munish is a senior journalist with more than 18 years of experience. Freelance photo journalist with some leading newspapers, magazines, and news websites, has extensively contributing to The Times of India, Delhi Times, Wire, ANI, PTI, Nav Bharat Times & Business Byte and is now associated with Local Post as Editor

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