रघुनाथ गर्ल्स डिग्री कॉलेज में ‘भारत की बौद्धिक विरासत’ पर भव्य प्रदर्शनी

मेरठ : रघुनाथ गर्ल्स डिग्री कॉलेज के ड्राइंग एंड पेंटिंग विभाग द्वारा आज एक अनूठी और भव्य कला प्रदर्शनी का आयोजन किया गया, जिसने दर्शकों को भारत की प्राचीन बौद्धिक विरासत और सांस्कृतिक समृद्धि से रूबरू कराया। ‘भारत की बौद्धिक विरासत का पुनरुत्पादन’ शीर्षक से आयोजित इस प्रदर्शनी में छात्राओं ने 3 फुट × 4 फुट के बड़े कैनवास पर ऐक्रिलिक रंगों से आकर्षक म्यूरल बनाए, जिनमें भारतीय कला, संस्कृति, दर्शन तथा परंपराओं की गहरी झलक दिखाई दी।
कार्यक्रम का उद्घाटन महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर निवेदिता कुमारी ने दीप प्रज्वलन कर किया। उन्होंने कला प्रदर्शनी की सराहना करते हुए कहा,
“भारतीय बौद्धिक विरासत हमारी पहचान की नींव है। छात्राओं द्वारा बनाई गई कृतियाँ न केवल कला का श्रेष्ठ रूप हैं, बल्कि हमारी जड़ों से जुड़ने का माध्यम भी हैं।”
भारतीय संस्कृति की जीवंत प्रस्तुति
इस प्रदर्शनी का संचालन विभाग प्रभारी प्रोफेसर आर्चना रानी द्वारा किया गया। प्रदर्शनी में 20 से अधिक म्यूरल प्रदर्शित किए गए, जिनमें—
- वेद-उपनिषदों की आध्यात्मिक गहराई
- रामायण व महाभारत की कथात्मक भित्ति चित्रण
- केरल की पारंपरिक म्यूरल कला
- योग व ध्यान पर आधारित चित्र
- आदिवासी और लोक कला की जीवंत अभिव्यक्ति
—जैसे विविध विषयों को प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत किया गया।
इन म्यूरलों की रंग-संरचना, डिज़ाइन और सांस्कृतिक जटिलताओं की प्रस्तुति ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
सहयोगी संस्थाओं का महत्वपूर्ण योगदान
प्रदर्शनी का आयोजन रवींद्रनाथ टैगोर कल्चर क्लब, इंडियन लैंग्वेज कल्चर एंड आर्ट्स सेल, इंडियन नॉलेज सिस्टम और आरजी पीजी इनोवेशन सेल के सहयोग से किया गया। कार्यक्रम में डॉ. नाजिमा इरफान, डॉ. पूनम लता, डॉ. गरिमा कुमारी, डॉ. हीना यादव और सुश्री इंशा ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
प्रो. आर्चना रानी ने कहा,
“यह आयोजन राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप भारतीय ज्ञान प्रणाली को प्रोत्साहित करने का प्रयास है। छात्राओं ने केवल म्यूरल नहीं बनाए, बल्कि हमारी विरासत को जीवंत कर दिया।”
दर्शकों ने की कला की सराहना
प्रदर्शनी में उपस्थित दर्शकों ने छात्राओं की रचनात्मकता और सांस्कृतिक समझ की प्रशंसा की। यह आयोजन न केवल कला कौशल का प्रदर्शन था, बल्कि भारत की गहन ज्ञान परंपरा को अगली पीढ़ी तक पहुंचाने का माध्यम भी बना।


