प्रवर्तक आशीष मुनि के सानिध्य में दीक्षार्थी पवन जैन की तिलक रस्म संपन्न, 13 अक्टूबर को दिल्ली में ग्रहण करेंगे जैन सन्यास

बड़ौत: जैन धर्म के त्याग और तपस्या के उच्च आदर्शों को जीवन में अपनाते हुए दीक्षार्थी पवन जैन ने राजधानी दिल्ली में आगामी 13 अक्टूबर को जैन सन्यास ग्रहण करने का संकल्प लिया है। इसके पूर्व, बड़ौत नगर में प्रवर्तक आशीष मुनि महाराज के सानिध्य में पवन जैन की तिलक रस्म संपन्न हुई। इस अवसर पर बड़ी संख्या में जैन श्रद्धालु उपस्थित रहे और उन्होंने पवन जैन को आशीर्वाद देते हुए उनके आगामी साधु जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं।
तिलक समारोह को संबोधित करते हुए प्रवर्तक आशीष मुनि महाराज ने जैन सन्यास की कठिनाइयों और महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “जैन सन्यास ग्रहण करना तलवार की धार पर चलने के समान है। जरा सी चूक भी व्यक्ति को संकट में डाल सकती है। जैन साधु का जीवन त्याग, तपस्या और अहिंसा पर आधारित होता है, और उनकी जीवनशैली पूरे विश्व में मिसाल मानी जाती है।” उन्होंने आगे बताया कि पवन जैन ने करोड़ों की संपत्ति का त्याग कर जैन सन्यास का मार्ग चुना है, जो इस भौतिकवादी युग में एक अद्वितीय उदाहरण है।


समारोह में मौजूद इतिहासकार डॉक्टर अमित राय जैन ने बताया कि पवन जैन को तीन साल पहले वैराग्य की अनुभूति हुई थी, और उनकी प्रेरणा से उनकी धर्मपत्नी नीलिमा जैन ने भी दो साल पूर्व सन्यास ग्रहण कर लिया था। यह पश्चिमी उत्तर प्रदेश के निवासियों के लिए गर्व का क्षण है, क्योंकि पवन जैन अल्लम गांव के निवासी रहे हैं।
पवन जैन ने इस अवसर पर सभी श्रद्धालुओं को आश्वासन दिया कि वह अपने साधु जीवन के सभी नियमों का कठोरता से पालन करेंगे और त्याग का आदर्श स्थापित करेंगे। उन्होंने कहा, “मैं संपूर्ण जीवन जैन धर्म के सिद्धांतों का पालन करते हुए त्याग और तपस्या के आदर्शों को प्रस्तुत करूंगा।”
तिलक रस्म में अध्यक्ष घसीटू मल जैन, शिखर चंद जैन, संजय जैन, अनुराग जैन, प्रवीण जैन, इंद्राणी जैन, मोनिका जैन सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे। सभी ने पवन जैन को उनके भविष्य के साधु जीवन के लिए शुभकामनाएं दीं और आशीर्वाद प्रदान किया।
इस तिलक रस्म ने न केवल पवन जैन के जीवन में एक नया अध्याय जोड़ा, बल्कि समाज के लिए भी त्याग और तपस्या का एक अद्वितीय आदर्श प्रस्तुत किया। अब, सभी की निगाहें 13 अक्टूबर को दिल्ली में आयोजित होने वाले उनके जैन सन्यास ग्रहण समारोह पर टिकी हैं।



