गाज़ियाबाद में ‘सनातन सम्मान मिशन’ का प्रभावी अभियान, युवाओं ने दिलों को छुआ

गाज़ियाबाद। डॉ. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ के मार्गदर्शन में युवा अभ्युदय मिशन (YAM) के युवाओं ने मंगलवार को श्री चौपला हनुमान मंदिर के निकट अग्रसेन बाज़ार में ‘सनातन सम्मान मिशन’ के तहत एक महत्वपूर्ण जागरूकता अभियान चलाया। इस पहल ने बाज़ार से गुजरने वाले सैकड़ों लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया और उन्हें एक गहरे सामाजिक मुद्दे से अवगत कराया।
भगवान के चित्रों का अनादर, गंभीर लेकिन अनदेखा अपराध
समाज में अक्सर देखा जाता है कि मंदिरों के बाहर, सड़क किनारे, पेड़ों के नीचे, दुकानों की दीवारों पर या कार्यालयों के बाहर भगवान के चित्र और मूर्तियाँ उपेक्षा की स्थिति में रख दी जाती हैं। लोग अनजाने में या डर के कारण उन्हें हटाने या उचित स्थान देने से कतराते हैं और इस तरह अनजाने में ही अपमानजनक व्यवहार का हिस्सा बन जाते हैं।
इसी सामाजिक कुरीति को समाप्त करने के उद्देश्य से डॉ. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ ने ‘सनातन सम्मान मिशन’ की शुरुआत वर्ष 2022 में की थी। तब से यह अभियान निरंतर देशभर में सनातन धर्म के प्रति सम्मान की भावना को पुनर्जीवित करने के लिए समर्पित है।
युवाओं की अद्भुत सहभागिता
गत सप्ताह दूधेश्वरनाथ मंदिर से आरंभ हुए इस मिशन को मंगलवार को YAM के युवाओं ने और गति दी। उन्होंने लोगों को समझाया कि:
- भगवान के चित्रों को सड़क या कचरे में फेंकना अपमान है।
- यदि कहीं धार्मिक चित्र या मूर्ति अनादर की स्थिति में मिले, तो उसे मंदिर में उचित स्थान दिया जाना चाहिए।
- सनातन धर्म सम्मान और संरक्षण की भावना पर आधारित है, इसे जीवित रखना हर सनातनी का कर्तव्य है।
लोगों ने दिखाई गहरी रुचि, अभियान को मिली प्रशंसा
अभियान के दौरान बड़ी संख्या में लोगों ने YAM के सदस्यों से बातचीत की, उनके समर्पण की सराहना की और मिशन से जुड़ने की इच्छा भी व्यक्त की। कई लोगों ने स्वीकार किया कि वे इस समस्या से अवगत तो थे, पर समाधान का तरीका नहीं जानते थे, जिसे अब मिशन ने सरल और स्पष्ट रूप से समझाया है।
युवाओं की निष्ठा और गुरुदेव का संदेश
युवा अभ्युदय मिशन के स्वयंसेवकों ने बताया कि उनका उद्देश्य किसी की आलोचना करना नहीं, बल्कि समाज को सही दिशा दिखाना है। डॉ. पवन सिन्हा ‘गुरुजी’ का संदेश है: “जहाँ भगवान हैं, वहाँ सम्मान हो; जहाँ सम्मान नहीं, वहाँ परिवर्तन की शुरुआत स्वयं बने।”
अग्रसेन बाज़ार में चला यह अभियान न केवल जागरूकता बढ़ाने में सफल रहा, बल्कि यह भी सिद्ध किया कि सनातन संस्कृति के प्रति आदर की भावना जगाने में युवा वर्ग बड़ी भूमिका निभा सकता है।

