
नोएडा : 14 जून को दुनियाभर में वर्ल्ड ब्लड डोनर-डे मनाया जाता है। इसके पीछे उद्देश्य लोगों को ब्लड डोनेशन के प्रति अवेयर करना है। आज भी ज्यादातर देशों में जरूरत के हिसाब से ब्लड उपलब्ध नहीं है। 2022 के लिए इस दिन का स्लोगन है, डोनेटिंग ब्लड इज एन एक्ट ऑफ सॉलिडेरिटी : जॉइन अफोर्ट एंड सेव लाइव्स। यानी ब्लड डोनेशन एकजुटता का काम है : प्रयासों में शामिल हों और जीवन बचाएं। इस साल मैक्सिको को होस्ट कंट्री बनाया गया है। 14 जून को ब्लड डोनेशन के लिए अवेयर करने वाले सभी प्रमुख कार्यक्रम मैक्सिको में आयोजित किए जाएंगे।

कौन दे सकता है ब्लड
ब्लड कौन व्यक्ति दे सकता है। इस बारे में डब्ल्यूएचओ ने गाइडलाइंस जारी की हैं। इसके अनुसार,
– 18 से 65 साल उम्र के लोग ब्लड डोनेशन कर सकते हैं। हालांकि, कुछ देशों में उम्र की यह सीमा 17 से 60 साल भी है।
– आमतौर पर ब्लड डोनेशन के लिए कम से कम 50 किलो वजन वाले व्यक्ति को ही चुना जाता है।
– एक स्वस्थ व्यक्ति ही रक्तदान कर सकता है। खून देते समय सर्दी, फ्लू, गले में खराश, पेट में परेशानी या कोई इन्फेक्शन न हो।
– मामला खून का है, इसलिए हीमोग्लोबिन की जांच करना बहुत जरूरी होता है। महिलाओं में हीमोग्लोबिन कम से कम 12 ग्राम/100 मिलीलीटर और पुरुषों में 13 ग्राम/100 मिलीलीटर से अधिक होना चाहिए।
– डब्ल्यूएचओ के अनुसार, ब्लड में एचआईवी, हेपेटाइटिस-बी, सी और सिफेलिस संक्रमण की जांच भी होनी चाहिए।
ब्लड डोनेशन के बाद क्या करें
– चार-पांच गिलास लिक्विड लें।
– पांच घंटे तक एक्सरसाइज न करें।
– आयरन से भरपूर फूड लें।
– ब्लड डोनेशन की जगह पर स्वैलिंग हो, तो 10-15 मिनट तक बर्फ लगाते रहें।
– चक्कर आएं तो सीधे लेट जाएं और पैरों को थोड़े समय के लिए ऊपर उठा लें।
– एक बार ब्लड डोनेशन के बाद 8 हफ्ते बाद ब्लड डोनेट करना चाहिए। साल में 6 बार ही ब्लड दिया जा सकता है।

तीन तरह के होते हैं डोनर
ब्लड डोनर्स तीन तरह के माने गए हैं।
1. वॉलंट्री/अनपेड : स्वेच्छा से रक्तदान करने वाले।
2. फैमिली/रिप्लेसमेंट : मरीज के परिवार के लोग यदि उसकी जरूरत के लिए खून दें।
3. पेड डोनर : रक्तदान के बदले कुछ रकम लेने वाले प्रोफेशनल ब्लड डोनर्स।
इनमें सबसे सुरक्षित ब्लड वॉलंट्री डोनर्स का माना जाता है, जिसमें इन्फेक्शन का खतरा सबसे कम होता है।
इस तरह होता है डोनेशन
– दो तरह से लिया जाता है ब्लड। होल ब्लड और ब्लड कॉम्पोनेंट्स।
– ब्लड कॉम्पोनेंट्स में रेड सेल कंसंट्रेट, प्लाज्मा, प्लेटलेट्स कंसंट्रेट और क्रायोप्रेसिपिटेट के रूप में लिया जाता है ब्लड।
– ब्लड कॉम्पोनेंट्स के रूप में डोनेशन से एक से ज्यादा मरीजों को मिल सकता है डोनेशन का फायदा।
– डब्ल्यूएचओ के अनुसार, सबसे ज्यादा 96% ब्लड कॉम्पोनेंट्स के रूप में डोनेट होता है हाई और अपर-मिडल इनकम देशों में।
11 करोड़ से ज्यादा डोनर्स
– 11.85 करोड़ ब्लड डोनर्स हैं दुनिया में, इनमें से 40% हाई इनकम देशों में।
– लो इनकम देशों में 54% ब्लड दिया जाता है पांच साल से कम उम्र के बच्चों को।
– सबसे ज्यादा ब्लड 60 साल से ऊपर के बुजुर्गों को चढ़ाया जाता है।
– ब्लड डोनर्स में शामिल हैं 33% लेडीज।
– लो और मिडल इनकम देशों में ब्लड डोनर्स में यूथ की संख्या ज्यादा।
– 54 देशों में वॉलंट्री ब्लड डोनर्स की है काफी कमी, फैमिली और पेड डोनर्स पर है डिपेंडेंसी।