
जन्मदिन पर विशेषः
विकास और संगठन के लिए समर्पित निष्ठावान जननायक नरेंद्र सिंह तोमर
केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का रविवार 12 जून को 65वां जन्मदिन है। मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले से संबंध रखने वाले तोमर अपने राज्य की सियासत के साथ-साथ केंद्रीय राजनीति में भी आज एक अहम मुकाम पर हैं। अपनी प्रतिभा के दम पर वे दो बार मध्य प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे। मेहनत और लगन के साथ उन्होंने मध्य प्रदेश में भाजपा को दो बार सत्ता तक पहुंचाने में अहम भूमिका निभाई। विकास और संगठन को समर्पित इस जन नायक ने जहां भाजपा संगठन में वार्ड अध्यक्ष से लेकर पार्टी के केंद्रीय महासचिव पद तक का सफर तय किया है, वहीं, छात्र संघ अध्यक्ष से लेकर नगर निगम पार्षद और विधानसभा के रास्ते संसद के उच्च सदन और फिर लोकसभा के सदस्य बनने तक का भी लम्बा रास्ता तय किया है। यानी सियासत की हर डेहरी पार करते हुए तोमर आज केंद्र में कृषि मंत्री के तौर पर राष्ट्र सेवा में समर्पित हैं। केंद्रीय कृषि मंत्री के तौर पर वे पिछले साल तब सबसे ज्यादा चर्चाओं में रहे, जब तीन केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर नाराज किसानों को मनाने में वे सतत प्रयासरत रहे और करीब 11 बार किसान प्रतिनिधियों के साथ चर्चा कर समाधान निकालने का प्रयास किया।

जीवन परिचय-
ऋषि गालव की तपोभूमि ग्वालियर के आर्य नगर, मुरार में बुधवार, 12 जून 1957 को जन्मे नरेन्द्र सिंह तोमर ने स्नातक तक की शिक्षा ग्रहण की है। उनके पिता का नाम मुंशी सिंह तोमर और माता का नाम शारदा देवी तोमर है। उनका विवाह 1979 में किरण तोमर के साथ हुआ। गांव से शुरुआती शिक्षा के बाद वे जीवाजी राव विश्वविद्यालय से स्नातक की पढ़ाई पूरी की।
राजनीतिक यात्रा-
तोमर छात्र जीवन से ही सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में दिलचस्पी लेने लगे थे। वर्ष 1979-80 में शासकीय महाविद्यालय मुरार के छात्र संघ अध्यक्ष, वर्ष 1983 से 1987 तक नगर निगम, ग्वालियर के पार्षद, वर्ष 1980 से निरंतर ग्वालियर की प्रमुख खेल संस्था दर्पण खेल संस्थान थाटीपुर ग्वालियर के संरक्षक/अध्यक्ष का दायित्व निभा रहे हैं। तोमर ने अपने सामाजिक एवं राजनीतिक जीवन के अनेक पड़ाव तय किए हैं। वे 1974-1977, भारतीय युवा संघ मुरार के वार्ड अध्यक्ष, वर्ष 1977-78 तक भाजयुमो के मण्डल अध्यक्ष, वर्ष 1980 में भाजयुमो के जिला मंत्री, वर्ष 1985 में प्रांतीय मंत्री तथा वर्ष 1986 से 1990 तक भाजयुमो के प्रांतीय उपाध्यक्ष रहे। 1991 में प्रांतीय संयोजक केसरिया वाहिनी (एकता यात्रा) मध्य प्रदेश तथा 1991-1996 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेशाध्यक्ष रहे हैं। वर्ष 1996 से निरन्तर प्रदेश मंत्री तथा भाजपा संगठन के ग्वालियर/चंबल संभाग के प्रभारी रहे।

2003 में पहली बार मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री बने
तोमर विधान सभा क्षेत्र क्रमांक-15 ग्वालियर से क्रमशः वर्ष 1998 में प्रथम बार और वर्ष 2003 में दूसरी बार विधायक निर्वाचित हुए, 8 दिसम्बर 2003 को मध्य प्रदेश मंत्रिपरिषद में कैबिनेट मंत्री, 27 अगस्त 2004 को मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के मंत्रिमंडल में पुनः कैबिनेट मंत्री, तथा 4 दिसम्बर 2005 को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री के रूप में शामिल किया गया। तत्कालीन लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी के द्वारा मई 2008 में उन्हें मध्यप्रदेश विधान सभा में ‘‘उत्कृष्ट मंत्री’’ के रूप में सम्मानित किया गया। 20 नवंबर 2006 को भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष निर्वाचित हुए।

मंत्री पद त्याग कर उत्कृष्ट उदाहरण पेश किया
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने से पहले तोमर ने ‘‘एक व्यक्ति-एक पद’’ के सिंद्धांत का प्रतिपादन करते हुए खुद ही मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया और भाजपा को दोबारा सत्ता में लाने के लिए नवम्बर 2008 में हुए विधानसभा का चुनाव न लड़ने की घोषणा कर एक संगठन के प्रति समर्पण और सिद्धांतवादी राजनीति का उदाहरण प्रस्तुत किया। इसके बाद 15 जनवरी 2009 को मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए निर्विरोध निवार्चित हुए। अप्रैल 2009 को लोकसभा संसदीय निर्वाचन क्षेत्र क्रमांक-1 मुरैना-श्योपुर से एक लाख से अधिक मतों से निर्वाचित हुए। लोकसभा की रसायन और उर्वरक संबंधी स्थायी समिति के सदस्य रहे तथा शहर विकास में विशेषज्ञता के कारण भारत सरकार के शहरी विकास मंत्रालय की परामर्शदा़त्री समिति के भी सदस्य रहे। उन्हें 16 मार्च 2010 को भाजपा का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। वे पार्टी की ओर से उत्तर प्रदेश जैसे बड़े राज्य के प्रभारी रहे हैं। किन्तु मध्यप्रदेश विधान सभा के अक्टूबर 2013 में होने वाले चुनाव को दृष्टिगत रखते हुए 16 दिसम्बर 2012 को तोमर को प्रदेश भाजपा का दूसरी बार निर्विरोध अध्यक्ष निर्वाचित किया गया। जय और वीरू के नाम से विख्यात शिवराज और नरेन्द्र की इस युगल जोड़ी ने विधानसभा की 165 सीटें जितवाकर तीसरी बार मध्य प्रदेश में भाजपा को सत्ता पर काबिज करवाने का काम किया।

2014 में मोदी सरकार में पहली बार केंद्रीय मंत्री बने
2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में भी एक बार फिर नरेन्द्र सिंह तोमर ने विजयी पताका फहराई और 2014 व 2019 में नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में बनी भाजपा की केंद्रीय सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर के पद से नवाजा गया। उन्हें मोदी सरकार में इस्पात, खनन, कोयला, श्रम एवं रोजगार, शहरी विकास, स्वच्छता एवं पेयजल, संसदीय कार्य, ग्रामीण विकास, पंचायती राज, भू-संसाधन, कृशि एवं किसान कल्याण व सकारिता और खाद्य प्रसंस्करण व उद्योग जैसे अहम मंत्रालय सौंपे गए। मोदी के दूसरे कार्यकाल में भी तोमर केन्द्रीय मंत्रिमण्डल में हैं और कृषि एवं किसान कल्याण जैसा बड़ा विभाग सम्भाल रहे हैं।

इस अवसर पर पीयूष उपाध्याय(7999970206) मंडल मंत्री -भाजपा ग्वालियर ने कहा – आप कल, आज और भविष्य की दुनिया के लिए एक अद्भुत नेता हैं।।संगठन के अद्वितीय शिल्पी जिन्होंने कई बार अपनी संगठन क्षमता का लोहा साबित करके मध्य प्रदेश एवं देश की राजनीति में परचम लहराया है एवं मध्य प्रदेश में दो बार की सरकार के जनक माननीय नरेंद्र सिंह तोमर जी को जन्मदिवस की हार्दिक शुभकामनाएं एवं बधाई माननीय ने हमे हमेशा सिखाया संगठन गढ़े चलो जब भी बात आये संगठन की तो पूरी श्रद्धा एवं निष्ठा से लग जाओ कभी भी पद के पीछे मत भागो संगठन आपके बारे में अवश्य विचार करेगा आपका वार्ड अध्यक्ष से लेकर केंद्रीय मंत्री बनने का सफर हमारे लिए एक प्रेरणा है आपको मैंने अपने जीवन में एक शिक्षक के रूप में देखा है मैं भगवान का शुक्रिया करता हूं कि मुझे इस छोटे से कार्यकर्ता को आप जैसा गुरु दिया!जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं! ईश्वर आपको दीर्घायू करें बाबा महाकाल का आशीर्वाद आप पर सदैव बना रहे!
बतौर केंद्रीय कृषि मंत्री प्रमुख उपलब्धियां-
बजट आवंटन में वृद्धिः वर्ष 2013-14 में कृषि विभाग के लिए बजट आवंटन मात्र 21933.50 करोड़ रु था । तोमर के हाथ में कृषि मंत्रालय आने के बाद से 2022-23 तक बजट 5.6 गुना से अधिक बढ़ाकर 1,24,000 करोड़ रुपए कर दिया गया है।

एमएसपी में बढ़ोतरी तोमर के नेतृत्व में वर्ष 2018-19 से उत्पादन की अखिल भारतीय भारित औसत लागत पर सभी अनिवार्य खरीफ, रबी और अन्य वाणिज्यिक फसलों के लिए एमएसपी में करीब करीब 50 फीसद तक की वृद्धि की गई है। धान के लिए एमएसपी को वर्ष 2013-14 में 1310 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर वर्ष 2021-22 में 1940 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया गया है। गेहूं के लिए एमएसपी को वर्ष 2013-14 में 1400 रुपये प्रति क्विंटल से बढ़ाकर वर्ष 2021-22 में 2015 रुपये प्रति क्विंटल किया गया।

