हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की मिसाल: इन मुस्लिम परिवारों के लिए नहीं धर्म की दीवार, शिवभक्तों के लिए बना रहे कांवड़
मेरठ : बाबा के बुलडोजर का ऐसा कमाल रहा की अवैध निर्माणों के अलावा अब बाबा का बुलडोजर कांवड़ यात्रा में भी नजर आएगा। मेरठ सदर बाजार में बन रही है बुलडोजर कावड़ इस कावड़ के अंदर हिंदू मुस्लिम एकता का कुछ अलग नजारा देखने को मिलेगा। रात्रि 10:00 बजे से सुबह 6:00 बजे तक हिंदू मुस्लिम बच्चे बैठकर इस कावड़ को अंतिम रूप देने में लगे हुए हैं। भले ही कांवड़िए सावन शुरू होने से कुछ दिन पहले यात्रा की तैयारी करते हों, लेकिन मुस्लिम समाज के लोग इस यात्रा के लिए महीनों पहले से तैयारी करने लगते हैं।मुस्लिम समाज के द्वारा बनाई गई कांवड़ को ही लेकर कांवड़िए गंगा जल भरते हैं और बम भोले के जयघोष के साथ रवाना होते हैं।
26 जुलाई को महाशिवरात्रि का त्यौहार है। ऐसे में मुस्लिम कारीगर पिछले कई सालों से कांवड़ बनाकर साम्प्रदयिक सौहार्द की मिसाल पेश कर रहा है। जिसके लिए कच्चा माल लाकर महीन व धारदार औजार के ज़रिए कांवड़ बनाता है। कारीगर सबसे पहले लकड़ी के बांस को सुखाते हैं, जिससे कांवड़ का वजन हल्का रहे और शिव भक्तों को इसको कंधे पर उठाने में परेशानी न हो। एक कांवड़ में डेढ़ से दो किलो का वजन होता है। एक कांवड़ को बनाने में कारीगर को 200-250 रुपए की लागत आती है, जिसे वह 350 से 400 रुपय् में आसानी से बेच देते हैं।
मुख्यमंत्री योगी का बयान आया कि इस बार कावड़ यात्रा चलेगी तो उन्हें काफी राहत महसूस हुई। दो साल से कोरोना की मार का असर अन्य व्यवसायों के साथ कांवड़ व्यवसाय पर भी काफी गहरा पड़ा है, लेकिन इस बार इस धंधे से जुड़े मुस्लिम समाज के लोगों को न केवल इस विश्व प्रसिद्ध मेले से बड़ी आस है, बल्कि वे मानते हैं कि इस बार कांवड़ की डिमांड भी बीते सालों की तुलना में काफी अधिक बढ़ी है।
मेरठ से हिंदू-मुस्लिम एकता का यह संदेश यह मुस्लिम परिवार पूरे देश को देते हैं और इनसे सभी को सीखने की जरूरत है।