हरतालिका तीज के व्रत में इन नियमों का जरूर करे पालन

नोएडा : भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि के दिन हरतालिका तीज का व्रत किया जाता है। हिंदू धर्म में इस दिन विशेष महत्व है। हरितालिका तीज का व्रत सुहागिन महिलाओं और कुंवारी कन्याओं के लिए काफी महत्वपूर्ण होता है। सुहागिन महिलाएं यह व्रत अपने पति की लंबी उम्र व अच्छे स्वास्थ्य की कामना से करती हैं। जबकि कुंवारी कन्या अच्छे वर की इच्छापूर्ति के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। इस दिन भगवान शिव व माता पार्वती का पूजन किया जाता है। हरतालिका तीज चातुर्मास अवधि के दौरान विवाहित हिंदू महिलाओं द्वारा मनाए जाने वाले तीन मुख्य त्योहारों में से एक है। भगवान शिव और उनकी पत्नी देवी पार्वती को समर्पित, इस सदियों पुरानी परंपरा को उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, बिहार, झारखंड और राजस्थान के भक्तों द्वारा मनाया जाता है।



- हरितालिका तीज के दिन निर्जला व्रत किया जाता है, यानि इस दिन फल और जल कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता। हालांकि, गर्भवती महिला या बीमारी महिला फलाहार कर सकती है।
- अगर हरितालिका व्रत शुरू करते हैं तो इसे कभी छोड़ना नहीं चाहिए। इसके साथ ही ध्यान रखें कि जिस घर में सूतक लगा हो वहां भी हरितालिका तीज का व्रत जरूर किया जाता है, हालांकि पूजा मंदिर में जाकर ही करनी चाहिए।
- हरतालिका तीज का व्रत करते समय ध्यान रखें कि इस व्रत में सोना वर्जित होता है। व्रती को ना दिन में और ना ही रात में सोना चाहिए। बल्कि रातभर जागकर भगवान शिव व माता पार्वती की अराधना व भजन-कीर्तन करने चाहिए।
हरतालिका तीज 2022 तारीख
हरतालिका तीज इस साल 30 अगस्त को मनाई जाएगी।
हरतालिका तीज 2022 तिथि
तृतीया तिथि 29 अगस्त को दोपहर 3:20 बजे से 30 अगस्त को दोपहर 3:33 बजे तक प्रभावी रहेगी।
हरतालिका तीज 2022 पूजा का समय और पूजा शुभ मुहूर्त
हरतालिका तीज प्रथम काल पूजा मुहूर्त 5:58 AM to 8:31 AM



हरतालिका संस्कृत के दो शब्दों हरात (अपहरण) और आलिका (मित्र) से मिलकर बनी है। संयुक्त होने पर, इसे हरतालिका के रूप में लिखा जाता है, जिसका अर्थ है एक दोस्त का अपहरण। हालाँकि, अपहरण शब्द को शाब्दिक अर्थ में नहीं लिया जाना चाहिए। इस संदर्भ में इसका अधिक गहरा अर्थ है।
हरतालिका तीज से जुड़ी किंवदंती के अनुसार, देवी पार्वती शिव से विवाह करना चाहती थीं, लेकिन उनके पिता ने भगवान विष्णु के विवाह प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। इसलिए, देवी पार्वती ने अपने एक मित्र को घने जंगल में एक सुनसान जगह में छिपने में मदद करने के लिए कहा। आखिरकार, पार्वती, जिन्होंने पहले भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए घोर तपस्या की थी, उनका ध्यान और साथ ही उनका दिल जीतने में सफल रही।

इसलिए इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की मिट्टी की मूर्तियां बनाकर उनकी पूजा की जाती है। विवाहित महिलाएं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए प्रार्थना करती हैं, जबकि अविवाहित लड़कियां अपने पसंद के साथी की कामना करती हैं।