मैं लिखना चाहती हूं वो सब, जो दिल महसूस कर रहा है

मैं लिखना चाहती हूं वो सब,
जो दिल महसूस कर रहा है,
मुझे फ़िक्र नहीं लोग इसे पढ़कर
क्या अंदाज़ा लगाएंगे,
खैर उनका तो काम ही यही है
वो बिचारे अपनी दिहाड़ी मजदूरी तो करके जायेंगे,
मैं बताना चाहती हूं कि;
तुम मेरे कुछ भी नहीं लगते,
फिर भी तुम्हारे बिना कुछ भी अच्छा नहीं लग रहा,
मुझे मालूम है तुम्हारा दिल कहीं लगा हुआ है,
फिर भी मेरा दिल कहीं और नहीं लग रहा,
उदास नहीं हूं फिर भी,
दिल मोहब्बत के तराने गुनगुना रहा है,
वो जो हवा के ज़रिए सुनेहा भेजा था तुमको
वो लौटकर मेरे ही पास आ रहा है,
कुछ तो है जो दूर जाकर भी पास हो रहा है,
मुझे एक तरफा प्रेम का एहसास हो रहा है,
खुद में महसूस किया तुम्हें,
और अब खुद से खूब प्यार हो रहा है।
मैं लिखना चाहती हूं वो सब,
जो दिल महसूस कर रहा है.!
मुझे फ़िक्र नहीं लोग इसे पढ़कर
क्या अंदाज़ा लगाएंगे,
अनीता भारद्वाज द्वारा लिखित। ये काव्य है। (NewsReach)